चुआं से पानी पीने के लिए मजबूर लंगटा बाबा समाधी स्थल के इर्द गिर्द रहने वाले लोग

ग्रामीण बोले नेताओं ने सिर्फ वादे किए

जल समस्या से लोग परेशान,चुआं का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं ग्रामीण

शुभम सौरभ गिरिडीह,

विशेष प्रतिनिधि। जिले के जमुआ प्रखंड से महज छह किलोमीटर दूर स्थित लंगटा बाबा समाधी स्थल के इर्द-गिर्द रहने वाले लोग पेयजल के लिए खाली वर्तन लेकर रोजाना इधर-उधर भटकते हैं। जानकारी के मुताबिक उक्त स्थल पर विभाग की ओर से करोड़ों रुपए की लागत से पेयजल सप्लाय योजना चल रही है। इसके बावजूद गांव की 40 परिवार पीने के पानी के लिए भटक रहे हैं। वहां के ग्रामीण उसरी नदी में चुआंखोद कर पानी पीने को मजबूर हैं। ग्रामीणों में आरती देवी, रुखशाना परवीन, जुबेदा खातून, अप्सना परवीन, रूबी खातून, रजिया खातून, मुनि देवी, राखी देवी, अब्दुल खान, मो सद्दाम, मो अहसान, नरिश रजक, सुनील रजक, मकबुल रायन सहित दर्जनों लोगों ने एक स्वर में कहा कि विभाग की लापरवाही के कारण कई महीनों से पानी आपूर्ति बाधित है कहा कि कुछ तकनीकी खराबी के कारण इन लोगों के मोहल्ले में पानी नहीं आ रहा है जिससे उन लोगों के बीच पानी को लेकर काफी समस्या झेलना पड़ता हैं। बताया कि पानी के लिए सुबह से इधर-उधर भटकना पड़ता है कहा कि गांव से आधा किलोमीटर दूर पर आपूर्ति पानी का पॉइंट है। ग्रामीणों ने बताया कि पानी का पाइप तो आया है लेकिन उसमें पानी ही नहीं आ रहा है कुछ तकनीकी खराबी के कारण पानी नहीं आ रहा,लेकिन पानी का बिल समय-समय पर आ रहा हैं। उन्होंने बताया कि आधे किलोमीटर दूर में उसरी नदी में चुआं से इन्हें पानी लाना पड़ता है तथा वही पानी से खाना बनाते हैं, वहीं पानी पीते हैं, जिस वजह से यह लोग काफी बीमार भी पडते हैं, क्योंकि स्वच्छ पानी नहीं पीने से इन्हें कई बीमारियां जकड़ रही हैं। ग्रामीणों के मुताबिक, पेयजल को लेकर तमाम पदाधिकारियो से शिकायतें की गई, जनप्रतिनिधियों से मांग भी की गई मगर उनकी मांगे तो दूर गांव में कोई झांकने तक नहीं गया। इस गांव में स्वच्छ पेयजल के लिए लोग तरस रहे हैं, ग्रामीणों का कहना है कि उसरी नदी में चुआं खोद कर दूषित पानी पीकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं।ग्रामीणों की मांग और शिकायत के तमाम पत्र प्रखंड स्तर के कर्मचारियों से लेकर जिला स्तर तक पहुंची तो जरूर लेकिन उस पर अब तक अमल नहीं हो पाया बेबस ग्रामीण कहते हैं कि उनके लिए तो सरकार चुनाव के समय उनके घर तक पहुंचती है और फिर उसके बाद तो उन्हें लगता है कि सरकार से कोई सरोकार नहीं ही नहीं।

Related posts

Leave a Comment