News Agency : पाटलिपुत्र लोकसभा सीट इस बार के चुनाव 2019 में एक बार फिर से बिहार की सियासत का केंद्र बनने को तैयार है। पिछले लोकसभा चुनाव में पाटलिपुत्र लोकसभा सीट ने जिस राजनीतिक घमासान की वजह से पूरे देश का ध्यान खींचा था, इस बार भी ऐसा ही प्रतीत हो रहा है। पाटलिपुत्र सीट पर एक बार फिर से चाचा-भतीजी के बीच साख और पगड़ी की लड़ाई होगी और इस सीट पर जीत का सेहरा भी जिसके सिर सजेगा वह प्रत्याशी अपने दल के लिए अहम चेहरा होगा। कभी लालू के सिपहसलार रहे रामकृपाल यादव के सामने इस बार भी महागठबंधन प्रत्याशी के रूप में राजद की ओर से मीसा भारती मैदान में हैं जो चाचा रामकृपाल को कड़ी टक्कर देने को तैयार हैं।
आज दोनों प्रत्याशियों ने अपना नामांकन किया है। दोनों ओर से मजबूत प्रत्याशी होने से पाटलिपुत्र सीट पर दोनों गठबंधनों के बीच मुकाबला दिलचस्प होगा। इस बार के लोकसभा चुनाव में बदले समीकरण की वजह से कहें तो इस सीट के लिए राजद को कांग्रेस के अलावा वामदलों का भी साथ मिला है। राजद ने आरा सीट भाकपा माले के लिए छोड़ी है तो भाकपा माले ने भी पाटलिपुत्रा सीट पर उम्मीदवार नहीं उतारा है । वर्ष 2014 के चुनाव में पाटलिपुत्रा सीट पर भाकपा माले चौथे स्थान पर रही थी। राजद उम्मीदवार मीसा भारती करीब 40000 वोट से हारी थी, उससे ज्यादा करीब 51000 वोट माले प्रत्याशी रामेश्वर प्रसाद को मिले थे। इसी तरह एनडीए प्रत्याशी रामकृपाल के लिए राहत की बात यह है कि भाजपा के साथ इस बार जदयू खड़ा है।
पिछली बार 2014 में हुए चुनाव में करीब 97000 वोट लाकर जदयू तीसरे नंबर पर था। परिसीमन के बाद हुए 2009 में हुए चुनाव में जदयू के रंजन यादव चुनाव ने राजद प्रमुख लालू यादव को करीब twenty three,500 वोट से शिकस्त दी थी। उसके बाद 2014 में भाजपा और जदयू ने अलग अलग चुनाव लड़ा था। तब भाजपा ने लालू के खासमखास रहे रामकृपाल को टिकट दिया था और उन्होंने लालू की बड़ी बेटी मीसा भारती को कड़े मुकाबले में हराया था। इस बार भी यह सीट एनडीए में भाजपा के खाते में गयी है।
रामकृपाल एक बार फिर चुनाव मैदान में कमल खिलाने उतरेंगे। कभी लालू प्रसाद यादव के राइट हैंड माने जाने वाले राम कृपाल यादव ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ राजद सुप्रीमो की बेटी मीसा भारती को पटखनी दी थी। लोकसभा चुनाव 2014 से पहले पाटलिपुत्र सीट पर राम कृपाल यादव का नाम राजद की ओर से तय माना जा रहा था, मगर ऐन वक्त लालू प्रसाद यादव ने राम कृपाल यादव को टिकट न देकर मीसा भारती को टिकट दे दिया, जिसके बाद राम कृपाल यादव बागी हो गए और बीजेपी ने मौके का फायदा उठाकर उन्हें टिकट दिया और वह पाटलिपुत्र से जीत कर लोकसभा पहुंच गए।
दरअसल, पाटलिपुत्र लोकसभा सीट का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है. क्योंकि लोकसभा सीट के तौर पर पाटलिपुत्र का उदय 2008 के परिसीमन के दौरान हुआ था। इससे पहले तक पटना शहर में मात्र एक ही लोकसभा सीट हुआ करती थी, जिसका नाम है- पटना साहिब। पटना साहिब को शत्रुघ्न सिन्हा का गढ़ माना जाता है. यानी अब पटना शहर में दो लोकसभा सीटें हैं- एक पटना साहिब और दूसरा पाटलीपुत्र। पाटलिपुत्र लोकसभा सीट में माना जाता है कि भूमिहार, यादव और मुसलमान का वोट बैंक ज्यादा है।
साल 2009 में पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर पहली बार चुनाव हुए। पाटलिपुत्र के पहले चुनावी अखाड़े में एक ओर जहां राजद नेता लालू प्रसाद यादव थे, वहीं दूसरी ओर थे जनता दल यूनाइटेड के नेता रंजन प्रसाद यादव।पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर हुए पहले मुकाबले में ही बड़ा उलटफेर हो गया और जदयू के रंजन प्रसाद यादव ने लालू प्रसाद को पटखनी देकर सबको हैरान कर दिया था। रंजन प्रसाद यादव ने लालू प्रसाद यादव को करीब twenty three हजार से ज्यादा वोटों से हराया और लालू प्रसाद यादव के कद पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया था। अब बारी थी साल 2014 की। इस बार राजद ने अपनी पार्टी के दिग्गज नेता और लालू प्रसाद यादव के वजीर कहे जाने वाले राम कृपाल यादव को नहीं, बल्कि अपनी बेटी मीसा भारती को पाटलिपुत्र सीट से उतारा था।
राम कृपाल यादव लालू प्रसाद यादव के इस फैसले से नाराज हुए और उन्होंने इस फैसले के विरोध किया और बागी तेवर अपनाया। पाटलिपुत्र से टिकट न मिलने से नाराज राम कृपाल यादव ने बीजेपी का दामन थामा और 2014 के लोकसभा चुनाव में ही अपनी ‘भतीजी’ और लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती को हरा दिया। लोकसभा चुनाव 2014 में भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर लड़ने वाले राम कृपाल यादव ने मीसा भारती को करीब forty हजार वोटों से हरा दिया था। अब 2019 लोकसभा चुनाव में अब तक जो तस्वीर सामने आई है, उससे साफ है कि इस बार भी पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से राजद की ओर से मीसा भारती और भाजपा की ओर से राम कृपाल यादव के बीच कड़ा मुकाबला होगा।