राजनीतिक संवाददाता द्वारा
रांची. झारखंड के सियासी अखाड़े में इनदिनों शह और मात का दांव लगाया जा रहा है. एक तरफ जहां सबकी निगाहें राजभवन की ओर टिकी हुई है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस की नजर उसके अपने विधायकों पर है. कांग्रेस विधायकों की हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है. झारखंड कांग्रेस ने कार्यक्रमों का एक श्रृंखला भी तैयार किया है, जिसमें पार्टी के छोटे – बड़े नेताओं के साथ विधायकों की भागीदारी भी तय की गई है.
कांग्रेस के 17 विधायकों पर पार्टी की पैनी नजर है. हमेशा से सियासी उठापटक में सॉफ्ट टारगेट कहे जाने वाले कांग्रेस विधायकों की हर गतिविधि पर नजर रही जा रही है. प्रदेश के कुछ बड़े नेता को इसकी जिम्मेदारी भी सौंपी गई है. ताकि विधायकों के क्षेत्र भ्रमण से लेकर राज्य से बाहर के भ्रमण की पूरी जानकारी संगठन के पास हो.
झारखंड कांग्रेस के नये प्रभारी अविनाश पांडेय के पदभार ग्रहण के बाद से संगठन को रफ्तार देने की पुरजोर कोशिश हो रही है. प्रमंडल से लेकर जिला और जिला से लेकर प्रखंड स्तर पर कार्यक्रम तैयार किये गए है. इस कार्यक्रम में हेमंत सोरेन सरकार में शामिल चार मंत्रियों से लेकर पार्टी के 13 विधायकों को जिम्मेदारी सौंपी गई है.
इसके पीछे की बड़ी वजह भी कांग्रेस विधायकों को संगठन के मोर्चे पर सक्रिय बनाना और संगठन की नजर में विधायक जी को रखना है. हालांकि कांग्रेस के नेता जासूसी की बात से जरूर इंकार कर रहे हैं, पर बदलते हुए राजनीति की हकीकत से वो भली भांति वाकिफ हैं.
झारखंड हमेशा से राजनीतिक अस्थिरता के लिये जाना जाता है. हालांकि वर्तमान हेमंत सोरेन सरकार के पास बहुमत से ज्यादा का आंकड़ा है, लेकिन फिर भी वो किसी बड़े उठापटक की संभावना से इंकार नहीं कर सकती. ऐसा इसलिये क्योंकि अब तक कुछ इसी तरह का राजनीतिक खेल झारखंड में होता रहा है.