जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री व नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने लोकसभा चुनाव के लिए सभा करते हुए बांदीपोरा में कहा कि “बाकी रियासत बिना शर्त के देश में मिले, पर हमने कहा कि हमारी अपनी पहचान होगी, अपना संविधान होगा। हमने उस वक्त अपने “सदर-ए-रियासत” और “वजीर-ए-आजम” भी रखा था, इंशाअल्लाह उसको भी हम वापस ले आएंगे।”
पीएम मोदी ने उमर अब्दुल्ला के बयान पर पलटवार करते हुए तेलंगाना में आयोजित रैली में कहा कि “कांग्रेस के एक बड़े सहियोगी दल, महागठबंधन के सबसे तगड़े साथी, नेशनल कांफ्रेंस ने बयान दिया है कि कश्मीर में अलग पीएम होना चाहिए, आप मुझे बताइए, कांग्रेस के इस साथी पार्टी की ये मांग आपको मंजूर है?”
पीएम मोदी ने कहा कि “वो कहते हैं कि घड़ी की सुई पीछे ले जाएंगे और 1953 के पहले की स्थिति पैदा करेंगे और हिंदुस्तान में दो पीएम होंगे, कश्मीर का अलग होगा। जवाब कांग्रेस को देना पड़ेगा, क्या कारण है कि उनका साथी दल इस प्रकार की बात बोलने की हिम्मत कर रहा है?”
जम्मू-कश्मीर में एक समय ऐसा भी था जब रियासत में मुख्यमंत्री नहीं बल्कि प्रधानमंत्री हुआ करते थे। जी हां, प्रधानमंत्री। अब तक 9 राजनेताओं ने रियासत की कमान संभाली है। कई ऐसे भी रहे जिन्होंने दो या तीन बार ये पद संभाला। लेकिन 30 मार्च 1965 से पहले और देश की आजादी के बाद एक समय वो भी था जब रियासत के प्रधानमंत्री हुआ करते थे। तो आइए आपको बताते हैं कौन-कौन बना था रियासत का प्रधानमंत्री।
तो होते थे तब प्रधानमंत्री30 मार्च 1965 से पहले की बात की जाए तो इससे पहले जम्मू कश्मीर के प्रधानमंत्री का पद हुआ करता था। 15 अक्टूबर 1947 से 5 मार्च 1948 तक मेहर चंद महाजन रियासत के पहले प्रधानमंत्री बने थे।
इसके बाद 5 मार्च 1948 से 9 अगस्त 1953 तक शेख अब्दुल्ला प्रधानमंत्री रहे। इसके बाद 9 अगस्त 1953 से 12 अक्टूबर 1963 तक बक्शी गुलाम मोहम्मद रियासत के मुख्यमंत्री रहे।
जिसके बाद ख्वाजा शमशुददीन 12 अक्टूबर 1963 से 29 फरवरी 1964 तक, 29 फरवरी 1964 से लेकर 30 मार्च 1965 तक गुलाम मोहम्मद सादिक रियासत के प्रधानमंत्री रहे। अकेले नेशनल कांफ्रेंस के शेख अब्दुल्ला ही ऐसे राजनेता रहे जिन्होंने रियासत के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का पद संभाला।
कौन कौन रहा मुख्यमंत्री30 मार्च 1965 से लेकर 12 दिसंबर 1971 तक गुलाम मोहम्मद सादिक रियासत के पहले मुख्यमंत्री बने। इसके बाद सईद मीर कासिम ने 12 दिसंबर 1971 से लेकर 25 फरवरी 1975 तक मुख्यमंत्री रहे।
शेख अब्दुल्ला ने इसके बाद 25 फरवरी 1975 से लेकर 26 मार्च 1977, 9 जुलाई 1977 से 8 सितंबर 1982 तक रियासत की कमान संभाली। शेख अब्दुल्ला के बेटे फारूख अब्दुल्ला ने पहली बार 8 सितंबर 1982 से 2 जुलाई 1984 तक कमान संभाली।
इसके बाद गुलाम मोहम्मद शाह 2 जुलाई 1984 से 6 मार्च 1986 तक मुख्यमंत्री बने। फारूख एक बार फिर 7 नवंबर 1986 से 19 जनवरी 1990 तक रियासत के मुख्यमंत्री बने।
मुफ्ती मोहम्मद सईद पहली बार 2 नवंबर 2002 से लेकर 2 नवंबर 2005 तक मुख्यमंत्री बने। फिर गुलाम नबी आजाद 2 नवंबर 2005 से लेकर 11 जुलाई 2008 तक मुख्यमंत्री रहे।
उमर अब्दुल्ला 5 जनवरी 2009 से लेकर 8 जनवरी 2015 तक रियासत के मुख्यमंत्री बने। वहीं एक बार फिर 1 मार्च 2015 से 7 जनवरी 2016 तक रियासत के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद रहे। इसी दिन उनका निधन हो गया था।
जिसके बाद 4 अप्रैल 2016 से 19 जून 2018 तक प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती बनी।