*नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी के नेतृत्व में ऐतिहासिक ‘बाल विवाह मुक्‍त भारत’ अभियान का हुआ शुभारंभ, जागरुकता के लिए देश भर में दस हजार गावों में जलाए गए दीये* 

*नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी के नेतृत्व में ऐतिहासिक ‘बाल विवाह मुक्‍त भारत’ अभियान का हुआ शुभारंभ, जागरुकता के लिए देश भर में दस हजार गावों में जलाए गए दीये*

 

• *बाल विवाह के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा अभियान*

• *देशभर के 500 जिलों में लोगों को जागरुक करने के लिए 70 हजार महिलाओं और बच्चों के नेतृत्व में जलाया गया दीया*

 

*बाल विवाह मुक्त भारत बनाने का लें संकल्प- अमरेंद्र यादव*

 

दुमका(सुधांशु शेखर): देश में बाल विवाह की बुराई को खत्म करने के लिए लोगों को जागरुक करने के मकसद से शुरु किया गया “बाल विवाह मुक्त भारत” अभियान का आज आगाज हो गया। तीन साल तक चलने वाले ऐतिहासिक ‘बाल विवाह मुक्‍त भारत’ अभियान का नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी और लेमा जोबोई ने राजस्‍थान से दीप जलाकर कर शुभारंभ किया। राजस्थान स्थित विराट नगर के बंजारा समुदाय की बहुलता वाले नवरंगपुरा गांव में इस अभियान के शुभारंभ ने एक नया इतिहास रच दिया।

 

कैलाश सत्यार्थी ने बाल बाल विवाह रूपी सामाजिक बुराई को खत्म करने के लिए लोगों से इसके खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया था। कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) के नेतृत्व में शुरु हुआ “बाल विवाह मुक्त भारत” अभियान, लड़कियों के बाल विवाह के खिलाफ देश का सबसे बड़ा जागरुकता अभियान बन गया। इस अभियान के तहत आज देशभर के 26 राज्‍यों में 500 से अधिक जिलों में करीब 10 हजार गांवों (केएससीएफ द्वारा 6,015 गांवों में बाकी सरकार और अन्य संस्थाओं द्वारा) की 70,547 महिलाओं और बच्चों के नेतृत्व में जागरुकता कार्यक्रम आयोजित कर दीया जलाया गया और कैंडिल मार्च निकाला गया। इस अभियान में दो करोड़ से अधिक लोगों ने हिस्सेदारी कर बाल विवाह को खत्म करने की शपथ थी। बाल विवाह बच्‍चों की शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और सुरक्षा, तीनों पर ही गंभीर प्रभाव डालता है। कई सतत् विकास लक्ष्‍य(एसडीजी) में भी बाल विवाह के खात्‍मे को प्राथमिकता दी गई है। बाल विवाह जैसी वैश्विक बुराई को खत्‍म करने के लिए कई स्‍तर पर एकजुट प्रयास करने होंगे।

 

इसी क्रम में झारखण्ड राज्‍य की ग्राम ज्योति संस्‍था ने कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन के सहयोग से दुमका जिले के जामा प्रखंड अंतर्गत भटनिया पंचायत भवन में कार्यक्रम किए। बाल विवाह के खिलाफ जागरुकता अभियान के इस दीप जलाओ कार्यक्रम में 250 इतने लोग शामिल हुए और बाल विवाह को खत्‍म करने का संकल्‍प लिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बाल कल्याण समिति के चैयरपर्सन अमरेन्द्र कुमार यादव ने अपने संबोधन में लोगो से आह्वान किया कि नोबेल पुरस्कार प्राप्त कैलाश सत्यार्थी जी का सपना बाल विवाह मुक्त भारत तभी साकार कर सकते हैं, जब आम जनता के साथ साथ बच्चे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो। बाल विवाह से बच्चे के अधिकारों का हनन होता है इससे बच्चों का विकास और अवरुद्ध होता है, साथ ही उनके शिक्षा, स्वास्थ्य , विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह कानूनन अपराध है। बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत बाल विवाह करने अथवा बाल विवाह में सहयोग करने वाले ऐसे व्यक्ति को 02 वर्ष की सजा तथा एक लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यह हमारे समाज के लिए अभिशाप से कम नहीं है।

जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश चंद्र ने कहा कि बाल विवाह मुक्त भारत बनाने के लिए सबको संकल्प लेने की आवश्यकता है। जामा के बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी समेत बड़ी संख्‍या में गणमान्‍य हस्तियां उपस्थित रहीं। संस्‍था के परियोजना निदेशक आभा ने कहा, ‘ श्री कैलाश सत्‍यार्थी ने लोगों को जागरूक कर बाल विवाह के प्रति उनकी सोच व व्‍यवहार में बदलाव लाने और बच्‍चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का बीड़ा उठाया है। इसी के लिए उन्‍होंने इस अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के तीन मुख्‍य लक्ष्‍य हैं। पहला कानून का सख्‍ती से पालन हो, यह सुनिश्चित करना। दूसरा, महिलाओं और बच्‍चों का सशक्‍तीकरण करना और 18 साल तक के सभी बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था करना। जबकि तीसरा उन्‍हें यौन शोषण से बचाना है।’

 

बाल विवाह को लेकर ग्रासरूट लेबल पर एक दिन में इतने बड़े पैमाने पर कार्यक्रम पहली बार आयोजित हुआ है। देश के कोने-कोने और दूरदराज में आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र, नौजवान, डॉक्टर, प्रोफेशनल्स, महिला नेत्री, वकील, शिक्षक, शिक्षाविद् और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने भी जम कर हिस्सा लिया। अभियान में नागरिक संगठन और स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी बड़ी तादाद में हिस्सा लिया और कार्यक्रम भी आयोजित किए। बाल विवाह मुक्त भारत अभियान की खास बात यह थी कि सड़कों पर उतर कर नेतृत्व करने वाली महिलाओं में, ऐसी महिलाओं की संख्‍या ज्‍यादा थी जो कभी खुद बाल विवाह के दंश का शिकार हो चुकी थीं। कई जगह अभियान का नेतृत्व उन बेटियों ने किया, जिन्होंने समाज और परिवार से विद्रोह कर न केवल अपना बाल विवाह रुकवाया, बल्कि अपने जैसी कई अन्य लड़कियों को भी बाल विवाह के शिकार होने से बचाया। सभी ने एकसुर में बाल विवाह को रोकने के लिए कानूनों के सख्ती से पालन करवाने की बात कही।

 

तीन साल तक चलने वाले इस अभियान को सरकार की तरफ से भी सहयोग और समर्थन मिल रहा है। कई सरकारी संस्थाओं ने इसमें शिरकत की। 14 राज्य सरकारों के महिला एवं बाल कल्याण विभाग, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, राज्य विधिक सेवा आयोग सहित रेलवे सुरक्षा पुलिस और जिला प्रशासन ने इस अभियान को अपना समर्थन दिया। इन संस्थाओं ने अपने अधिकारियों को इसमें शामिल होने और आंगनवाड़ी जैसी संस्थाओं को कार्यक्रम करने का निर्देश दिया है।

 

भारत सरकार की साल 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 1.2 करोड़ से ज्‍यादा बच्चों के बाल विवाह हुए हैं। जिसमें करीब 52 लाख नाबालिग लड़कियां थीं। इसकी तस्‍दीक नेशनल फैमिली हेल्‍थ सर्वे के ताजा आंकड़े भी करते हैं। इनके अनुसार देश में 20 से 24 साल की उम्र की 23.3 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं, जिनका बाल विवाह किया गया है। इसमें 10 प्रतिशत की कमी लाना ही अभियान का उद्देश्‍य है।

 

बाल विवाह पीड़ितों की दुर्दशा पर रौशनी डालते हुए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्‍यार्थी ने कहा, ‘बाल विवाह मानव अधिकारों और गरिमा का हनन है, जिसे दुर्भाग्य से सामाजिक स्वीकृति प्राप्त है। यह सामाजिक बुराई हमारे बच्चों, खासकर हमारी बेटियों के खिलाफ, अंतहीन अपराधों को जन्म देती है। कुछ सप्ताह पहले मैंने बाल विवाह मुक्त भारत बनाने का आह्वान किया था। इसने सदियों पुराने दमनकारी सामाजिक रिवाज से घुटन महसूस कर रही 70,547 महिलाओं में वह आग पैदा कर दी कि वे इसे चुनौती देने के लिए सड़कों पर उतर आई हैं। मैं लड़कियों की शादी की उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 करने के, भारत सरकार के प्रस्ताव का समर्थन करता हूं। मैं सभी धर्मगुरुओं का आह्वान करता हूं कि वे इस अपराध के खिलाफ बोलें और यह सुनिश्चित करें कि जो लोग शादियां कराते हैं, यहां तक कि गांव के स्तर पर भी, वे बच्चों के खिलाफ इस अपराध को न होने दें। शादियों में सजावट करने वाले, मैरेज हॉल मालिकों, बैंड-बाजा वालों, कैटरिंग वालों और दूसरे सभी लोगों से अनुरोध करता हूं कि वे इन शादियों में अपनी सेवाएं देकर इस आपराधिक कृत्य के सहभागी न बनें। आप में से जो लोग अपने गांवों में बाल विवाह रोक रहे हैं, उनको मैं भरोसा दिलाना चाहता हूं कि आप खुद को अकेला न समझें। इस लड़ाई में मैं आपके साथ खड़ा हूं। आपके भाई के रूप में, मैं आपकी हर संभव सहायता और समर्थन करूंगा। मैं इस लड़ाई में आपका साथ नहीं छोड़ने वाला।’

इस अवसर पर नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित लाइबेरिया की लेमा जेबोई ने भी बाल विवाह पर चिंता जताते हुए कहा, ‘बाल विवाह वैश्विक स्‍तर पर एक भयावह बुराई है। हमें मानवाधिकार की हत्‍या करने वाली इस कुप्रथा का अंत करना ही होगा।’ कार्यक्रम के दौरान बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष अमरेन्द्र कुमार यादव, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश चन्द्र, बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी सुमित कुमार, चाइल्डलाइन के जिला समन्वयक मुकेश दुबे एवं सभी सदस्य, ग्राम के मुखिया, प्रधान, आंगनबाड़ी के सेविका, एवं पंचायत के समस्त समाज सेवी ने मिल कर कार्यक्रम को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई |

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