विशेष प्रतिनिधि द्वारा
धनबाद। मंगलवार को निरसा में खान हादसे ने उन सभी दावों को ध्वस्त कर दिया जिसमें सुरक्षा की बात होती है। एक-दो नहीं 12 लोगों की अवैध खनन में जान चली गई। ऐसा पहली बार नहीं है कि कोयलाचंल में इस तरह का हादसा हुआ और इसमें लोगों ने अपनी जान गंवाई। इसे रोकने की कवायद आज तक नहीं हुई। लोगों की जान की कीमत इसलिए भी नहीं है क्योंकि प्रशासन की नजर में यह अवैध कोयला खनन है। आखिर जान तो जान है फिर चाहे वह अवैध खनन में जाए या वैध। अवैध खनन रोकने का प्रयास भी नाकाफी है। यही कारण है कि ऐसे हादसे होते आ रहे हैं।
धनबाद में अवैध कोयला खनन का इतिहास उतना ही पुराना है जितना यहां की कोयला खदानें। अवैध कोयला खनन को रोकने के लिए इस समय हर माह जिला प्रशासन से लेकर कोल इंडिया स्तर तक जोर-आजमाइश हो रही है। हर माह प्रशासन की टास्क फोर्स की बैठक से लेकर जिला पुलिस, सीआइएसएफ और कोल इंडिया की बैठक में अवैध खनन को रोकने की रणनीति तय की जाती है। मकसद सिर्फ कोयला चोरी रोकना ही नहीं, कोयले के ढेर में दबकर जाने वाली जान बचाना भी है। कोशिशें कितनी ईमानदार हैं, मंगलवार को इसकी पोल खुल गई। यह कोई पहला हादसा नहीं है और न ही पहली मौत। इन सबके बावजूद प्रशासनिक स्तर पर बात बैठक और कागजी कार्रवाई से आगे आज तक नहीं बढ़ी। हर बार हादसे के बाद उच्च स्तरीय जांच होती है। जिम्मेदार भी तय किए जाते हैं। इसके बावजूद कोयले के ढेर में मौत का सिलसिला बदस्तूर जारी है।
आए दिन खुफिया विभाग की रिपोर्ट में अवैध खनन की पुष्टि होती रहती है। बड़े पैमाने पर कोयला चोरी को रोकने के लिए सीआइएसएफ की एक बड़ी टीम चौबीस घंटे नजर रखती है। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर भी जिले की पुलिस की जिम्मेदारी तय है। बावजूद नतीजा शून्य है। अवैध कोयला खनन की शिकायत जब पीएमओ तक पहुंची तो खान सुरक्षा प्रहरी एप लांच किया गया। जिला प्रशासन, कोल इंडिया और कोयला मंत्रालय की तरह अवैध खनन को रोकने में यह भी नाकाम साबित हुआ।
जिला स्तर पर टास्क फोर्स की बैठक 6 दिसबंर के बाद फिर से 22 दिसंबर को आपात रूप से उपायुक्त संदीप ङ्क्षसह ने बुलाई थी। इसमें कोयला चोरी रोकने व अवैध खनन को लेकर रणनीति तय की गई। तय किया था कि कोयला चोरी में प्रयुक्त रास्तों का ट्रैंच कटिंग करना, अवैध खनन व अतिमहत्वपूर्ण स्थानों पर सीआइएसएफ की रोटेशन के आधार पर प्रतिनियुक्ति, अवैध मुहानों की डोजरिंग कर भराई करना, कोयला भंडारण स्थलों, रेलवे साइडिंग में चाहरदिवारी का निर्माण, कोल इंडिया व सीवीसी के गाइड लाइन के तहत सीसीटीवी लगाना आदि शामिल है। लेकिन नतीजा सिफर रहा?
पिछले दिनों निरसा में इसीएल की गोपीनाथपुर, कापासारा और बीसीसीएल की दहीबाड़ी आउटसोर्सिंग में मंगलवार को अवैध खनन के दौरान मलबे में दबकर कई ग्रामीणों की मौत हो गयी. घटना में एक बच्ची समेत चार लोग गंभीर रूप से घायल हो गये हैं. हालांकि जिला प्रशासन ने मंगलवार की देर शाम पांच लोगों के मरने की पुष्टि की. तीनों खदानें एक-दूसरे से करीब 10 से 20 किमी की दूरी पर हैं.
गोपीनाथपुर से निकाले गये शवों की पहचान जुलेखा, पायल शर्मा, लालू मियां और पायल की मां के रूप में हुई. यहां कई और लोगों के दबे होने की आशंका है. हादसे के बाद विधायक अपर्णा सेनगुप्ता व पूर्व विधायक अरूप चटर्जी के दबाव में प्रबंधन ने मलबा हटाने का कार्य शुरू किया. देर रात तक ग्रामीण भी जुटे थे.
घटना के बाद बीसीसीएल सीबी एरिया 12 के अभिकर्ता पीके बनर्जी ने कहा कि हाल के कुछ महीनों से जमीन विवाद में आउटसोर्सिंग का काम बंद है. वहां कोयला का उत्पादन नहीं हो रहा है. यहां अवैध खनन के दौरान किसी के मरने की कोई जानकारी नहीं है.
हालांकि देर शाम जिला प्रशासन ने इस हादसे में पांच लोगों की मौत की पुष्टि कर दी. जिले के उपायुक्त संदीप सिंह ने कहा कि तीन स्थानों पर हुई खान दुर्घटना मामले में पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है. इसकी एक प्रति डीजीएमएस को भेजी गयी है. पूरी घटना पर जिला खनन पदाधिकारी से रिपोर्ट मांगी गयी है. कहां पर चूक हुई है, इस बारे में पड़ताल करने को कहा गया है.
इसीएल की गोपीनाथपुर आउटसोर्सिंग में खदान धंसने के बाद मलबे में फंसे व्यक्ति को निकालते ग्रामीण. मलबे में ही इसकी सांसें बंद हो चुकी थीं. अवैध खनन के दौरान खदान में बने गड्ढे में पानी जमा हो गया है. इससे राहत कार्य में परेशानी हुई.