प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ‘काशी विश्वनाथ कॉरिडोर’ प्रोजेक्ट की नींव रखी। लेकिन इस मौके पर पीएम मोदी ने जो भाषण दिया उससे वहां के लोगों में भारी रोष है। काशी के लोगों ने पीएम मोदी पर बनारस की संस्कृति से खिलवाड़ तक करने का आरोप लगाया है।
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की नींव रखते हुए पीएम मोदी ने कहा कि “यहां बाबा विश्वनाथ वर्षों से बंधे थे और सांस भी नहीं ले पा रहे थे। लेकिन आज जो काम हुआ है, उससे उन्हें मुक्ति मिलेगी।” इसके साथ ही उन्होंने कहा, “यह मेरे नसीब में ही लिखा था कि यह काम मेरे हाथों से हुआ।” प्रधानमंत्री ने साथ में कहा कि उन्होंने यहां 40 से अधिक प्राचीन मंदिरों को मुक्त कराया है, जिन पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा था।
आजतक की खबर के अनुसार पीएम मोदी के इसी बयान से काशी के लोगों में रोष है। संकटमोचन मंदिर के महंत विशंभरनाथ मिश्र ने पीएम मोदी के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि ‘भगवान शंकर खुद सबको मुक्त करने वाले हैं, उन्हें मुक्त करने की बात करना अनुचित है।’ उन्होंने आगे कहा कि बनारस की संस्कृति को ढहा कर उस पर विकास की इमारत खड़ी करने का दावा किया जा रहा है। यह लाखों लोगों की आस्था से खिलवाड़ है।
खबर के अनुसार काशी विद्वत परिषद के संगठन महामंत्री दीपक मालवीय ने कहा कि बाबा विश्वनाथ का देश के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में विशेष महत्व है। बाबा विश्वनाथ तो पूरे विश्व के नाथ हैं। दीपक मालवीय ने कहा, “पूरे देश के लोग मुक्ति पाने के लिए काशी आते हैं। जो खुद लोगों को मुक्ति देते हैं, उन्हें कौन मुक्त करेगा।” उन्होंने कहा कि बाबा विश्वनाथ के आसपास सौंदर्यीकरण किया जा सकता है, सुविधाएं बढ़ाई जा सकती हैं लेकिन बाबा को मुक्त करने की बात कहना अनुचित है।
वहीं ‘काशी विश्वनाथ कॉरिडोर’ के दायरे में आने वाले प्राचीन मंदिरों और देव विग्रहों को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि ‘काशी विश्वनाथ कॉरिडोर’ के लिए जितने मंदिर तोड़े गए उतने औरंगजेब ने भी नहीं तोड़े थे। उन्होंने कहा कि अगर पीएम का अर्थ है कि उन्होंने इन्हें मुक्त कराया तो सही है, क्योंकि उन्होंने इन देव विग्रहों को उनके प्राण से मुक्त करा दिया। काशी में जो हुआ है वो अकल्पनीय है।
बता दें कि शुक्रवार को पीएम मोदी ने जिस काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का शिलान्यास किया उसका निर्माण 600 करोड़ रुपये की लागत से करीब 40 हजार वर्गमीटर इलाके में होना है। पिछले काफी दिनों से इस कॉरिडोर की जद में आने वाली कई प्राचीन मंदिरों और देव विग्रहों को ध्वस्त किया जा रहा है। वाराणसी का यह पूरा इलाका पक्का महाल कहा जाता है। ये इलाका खुद में कई संस्कृतियों को समेटे हुए है। कई पुरानी रियासतों की प्राचीन इमारतें और वहां के अराध्य देवी-देवताओं के पौराणिक मंदिर और देव विग्रह इसी क्षेत्र में स्थित हैं।
यहां के लोगों में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को लेकर पहले से ही नाराजगी चल रही थी और अब पीएम की भगवान विश्वनाथ को मुक्ति दिलाने की बात से यहां के लोगों को काफी नागवार गुजरी है। अब ये नाराजगी क्या गुल खिलाती है, वो तो आने वाले वक्त में ही पता चलेगा।