News Agency : तवज्जो नहीं दिया गया और उन्हें ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। रेल कर्मचारियों के विभिन्न संगठनों ने भी तब कड़ा रुख अपनाया था। लेकिन इस बार सरकार में विभिन्न स्तरों पर इस बारे में प्रक्रिया तेजी से चल रही है।जून के दूसरे हफ्ते में रेल भवन में आयोजित महाप्रबंधकों की बैठक में रेलवे बोर्ड ने रेल मंत्री पीयूष गोयल के समक्ष ट्रेनों को निजी ऑपरेटरों को देने संबंधी रोडमैप पेश किया। इसमें रेलवे बोर्ड अध्यक्ष वी.के. यादव ने जो योजना पेश की है, उसके अनुसार, प्रीमियम ट्रेनों- राजधानी, शताब्दी और दुरंतो को निजी ऑपरेटरों के हाथ में सौंपकर यात्रियों को विश्व स्तरीय सुविधाएं दी जा सकती हैं। इसके लिए इन्हें चलाने, इनकी देख-रेख करने आदि के काम आईआरसीटीसी (इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म) को सौंपने की योजना है। इसमें परिचालन का खर्च और रोलिंग स्टॉक (इंजन-कोच) का किराया आईआरसीटीसी को देना होगा। इसके अलावा रेल किराये से होने वाले मुनाफे का कुछ हिस्सा रेलवे को देना होगा। इसके एवज में टिकट बुकिंग और खानपान सेवा आदि का अधिकार आईआरसीटीसी के पास रहेगा। दस्तावेजों के अनुसार, कम भीड़ वाले रेलवे रूट और पर्यटन स्थलों को जोड़ने वाले रूट पर आईआरसीटीसी और ट्रेन चला सकती है।रेलवे बोर्ड आगामी one hundred दिनों में निजी ट्रेन ऑपरेटरों को ट्रेनें चलाने के लिए पसंद की अभिव्यक्ति (एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट) दस्तावेज जारी करेगा। इसमें निजी ट्रेन ऑपरेटर अपने मनपंसद रूट पर ट्रेन चलाने की इच्छा जाहिर करेंगे। इसी दौरान रेलवे ट्रेनें चलाने के लिए बोली आंमत्रित करेगा। अभी निजी ट्रेनऑपरेटरों के लिए कोई नियम तय नहीं किए गए हैं। जानकारों का कहना है कि यह काम आईआरसीटीसी की मदद से किया जाएगा। ट्रेनों का अधिकतम किराया रेलवे बोर्ड तय करेगा जिससे निजी ऑपरेटर किराये में मनमानी नहीं कर सकेंगे।
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