एक खाकी वाले रसूखदार के भरोसे महेशपुर थाना

एक ही थाने में कई वर्षों से जमे हैं, रसूखदार सिपाही

महेशपुर (पाकुड़)इसे रसूख कहा जाए या जुगाड़ या कुछ और, पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती महेशपुर थाना में कई वर्षों से एक सिपाही जमे हुए हैं, जबकि नियम कहता है कि पुलिस लाइन द्वारा पुलिस जवानों को छह माह से आठ माह के अंदर ही इधर से उधर किया जाता है. साथ ही वरीय पुलिस अधिकारियों ने भी ऐसे सिपाहियों व पदाधिकारियों की पहचान कर उन्हें स्थानांतरित करने के निर्देश अधिकारियों को दी जाती है. इसके बावजूद खद्दरधारियों के कृपा पात्र होने के चलते ऐसे सिपाहियों को अधिकारी हटाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. महेशपुर थाने में एक तैनात सिपाही पिछले 23/11/2022 से ये सिपाही थाना पर डेरा जमाए हुए हैं. उसके बाद 07/06/2023 व 2024 को भी तबादला होने के बाद भी इन्हें हटाया नहीं गया है. सूत्रों की मानें तो रसूखदार सिपाही का कई बार तबादला हो चुका है. जुगाड़ से तबादला रुकवा लिया जाता है. 

रसूखदार सिपाही ने जुगाड़ से अब तक चार थानेदार के साथ कर चके है, काम

महेशपुर थाने के पलामू जिला का एक रसूखदार सिपाही की जुगाड़ इतनी तेज है कि 2022 से एक के बाद एक कुल चार थानेदारों के साथ काम कर चुका है. विभागीय सूत्रों की माने तो कुछ ही दिन में पुलिस जवानों को इधर उधर किया गया. लेकिन इधर उधर करने का भनक लगते ही रसूखदार सिपाही फिर महेशपुर थाने में जमे रहने के लिए अपना जुगाड़ लगाकर यही रह गए.

तबादला होते ही रसूखदार सिपाही बड़े साहब के सामने तबादला रुकवाने के लिए करते हैं ऐड़ी चोटी एक

यह रसूखदार सिपाही तबादला की खबर होते ही बड़े साहब के आगे पीछे कर अपना तबादला रुकवाने के लिए एड़ी चोटी एक कर देते हैं. इनका जात्रा नाटक ऐसा है कि बड़े से बड़े टीवी शौ में भी ऐसा नाटक देखने को नहीं मिलेगा. इनका ऐसा नाटक है कि खाकी वाले बड़े साहब को अहसास दिलायेगा कि रसूखदार सिपाही के अलावा कोई इस थाने को नहीं चला पायेगा.

सिपाही गश्ती के साथ-साथ महेशपुर थाने में बने हुए हैं, साहब

 मजे की बात तो यह है कि उक्त सिपाही पिछले दो साल से महेशपुर थाने में सुबह से लेकर शाम तक यह खाकी वाले रसूखदार स्टार लगे पदाधिकारियों को भी निर्देश देते फिरते हैं. उसके बाद रात्रि गश्ती में अलग रूप लिये गश्ती दल के साथ निकल पड़ते हैं. सूत्रों की माने तो रसूखदार सिपाही कागज की लोभ में गश्ती दल के साथ निकलते हैं. यदि किसी दिन गश्ती में नहीं जा सके तो अन्य सिपाही व ड्राइवर से उनके हिस्से का चढ़ावा देने के लिए कह देते हैं. लेकिन पूरे क्षेत्र में जब से एनजीटी की रोक लग जाने से यह रसूखदार खाकी वाले सिपाही गश्ती जाना बंद कर दिया है. खैर यह खाकी वाले सिपाही के कई अलग- अलग दिलचस्प कहानी है. अब आगे की कहानी अगले एपिसोड में पढ़ने को मिलेगी. लेकिन तब हमारे जिले के वरीय पदाधिकारी इस रसूखदार के ऊपर कब कलम चलाते है यह भी देखना है।

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