*लोटस सूत्रा फाउंडेशन कि संस्थापक सुश्री ईऋषा आनन्द के द्वारा ” मून लिटरेचर फेस्टिवल” का आयोजन 13 फरवरी2022 को होगा*
*लोटस सूत्रा फाउंडेशन के द्वारा 13 फरवरी को जिसमें हम चाँद की भूमिका को समझेंगे और उसे प्रोत्साहित भी करेंगे*
*शुभम सौरभ आदिवासी एक्सप्रेस गिरिडीह*
गिरिडीह । लोटस सूत्रा फाउंडेशन और इसकी संस्थापक सुश्री ईऋषा आनन्द के द्वारा 13 फरवरी 2022 को आपके समक्ष लेकर आ रही हैं ” मून लिटरेचर फेस्टिवल ” चांद साहित्य उत्सव,
जिसमें हम चाँद की भूमिका को समझेंगे और उसे प्रोत्साहित भी करेंगे।
चाँद को हमने शुरू से ही साहित्य की अलग- अलग विधा में अलग अलग रूपों में देखा और समझा है । कभी चाँद एक माँ के बच्चे का चेहरा हुआ है कभी एक प्रेमी का प्यार, कहीं चाँद केवल चमक रहा तो कहीं साथ का एहसास चाँद, रहा ज़रूर है कविताओं में, कहानियों में नाटको में न जाने कितने रूपों में चाँद से मुलाकात हुई है । पर इन सभी रूपों में प्रेम का आदर्श रही है, चाँद रुठत है तो मनावत है चाँद । ऐसे अनेकों कवि हुए हैं जिन्होंने चाँद को केवल चाँद नहीं रहने दिया है, उसे अपने शब्दों के जादू से पिरो कर सौंदर्य का जामा पहनाकर एक ख़ूबसूरत नायिका बनाकर हमारी आँखों के सामने उतारकर चाँद को जीवंत कर दिया । अब वो आकाश में चमकता हुआ एक भौगोलिक तारा नहीं रहा, साहित्य ने उसे एक रूप दिया है और यह रूप केवल एक दिन में गड़ा हुआ नहीं है । यह एक वर्षों के प्रयास से साकार हुआ है क्योंकि चाँद ही वह हिस्सा है साहित्य का जो उसके जन्म-काल से उसके साथ बड़ा हुआ है जवान हुआ है और रचा गया है । याद है चाँद किस्सों से किताबों में आया है और जब चाँद इस यात्रा में हमें हमेशा अपना हिस्सा बनाकर चला है तो ऐसी यात्रा का उत्सव मनाना चाँद को रोशनी देना है जिसमे हम सभी उसके रूप को और निखारकर उसको प्रेमिका के बालों में गालों पर होंठों पर पूरे ख़ूबसूरती से साहित्य में उतरते महसूस किया है चाँद को आपने एक हिस्सा माना है साहित्य का पर क्या आपने सोचा है, उसकी भूमिका इतने वर्षों से साहित्य में क्यों है इन्हीं कुछ मज़ेदार सवालों का जबाव देने हम आ रहे हैं यानि लोटस सूत्रा फाउंडेशन जो होगा आने वाली 13 फरवरी को जिसमें हम चाँद की भूमिका को समझेंगे और उसे प्रोत्साहित भी करेंगे । जहाँ सुनेंगे आप कविताएँ, कवयित्री “कोमल झा” के द्वारा, जो चाँद को आपके और क़रीब कर देगा। हम सभी के लिए चाँद अलग है, पर सिर्फ़ आँखों से ही नहीं क़िरदार से भी उस चाँद को हिस्सा बनाने के लिए इस चाँद उत्सव में हमारे साथ जुड़िये और उसको अपना क़िरदार बनाकर हमेशा के लिए अपना बना लीजिये, क्योंकि चाँद हम सबका अपना सा है और चाँद में साहित्य का जो हिस्सा है वो केवल प्रतीक और बिंब का ही कार्य नहीं कर रहा है, बल्कि उसको निखार भी रहा है जिसका कारण है चाँद का चरित्र उसका सकारात्मक रूप । जहां पर चाँद प्रकृति का वह रूप है जो हम सभी से सीधे जुड़ता है चाहें उसके भीतर की चमक हो जो कई कविताओं में कहानियों में हमने एक उर्जा के रूप में देखा है जो उदास का एक कोना मन का भर देती है साथ ही चाँद एक सौंदर्यशास्त्र का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण बनकर हम सभी को रूमानी साहित्य की झलक भी बादलों के साथ लुका-छुपी करती चाँद ने ही दी है । तो इतने रूपों के धनी चाँद को समझना बहुत ज़रूरी हो जाता है इसलिए इस उत्सव का हिस्सा बनें जहाँ डा० अनुपम कुमार जो इस विषय को पूर्ण रूप से साझा करेंगे। साहित्य सौंदर्य का उपासक है , सौंदर्य का ही एक मानक चाँद है जिसे कवियों ने विविध रूपों में याद किया है । किसी के लिए चाँद खूबसूरत बहू का चेहरा है, तो किसी के लिए शीतल अहसास और इस विषय को सहज और सरल कर साहित्य का मूल मंत्र देंगे और आप बादल में छुप गए चाँद को भी पन्नों पर देख पायेंगे चाँद का रूप अनोखा है
चाँद आधा आसमान पर आधा पन्नों पर उतरा है ।