विशेष संवाददाता द्वारा
रांची. 5 राज्यों के चुनावी परिणाम ने कांग्रेस की चिंता फिर एक बार बढ़ा दी है. लगातार चुनावी मैदान में मात खा रही कांग्रेस के सामने भविष्य की राजनीति का डर सताने लगा है. झारखंड कांग्रेस में भी बीजेपी की प्रचंड जीत और कांग्रेस की बुरी तरह से हार का असर सामने आने लगा है. कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने पार्टी को हवा-हवाई राजनीति से दूर रहने की सलाह दी है, साथ ही ये भी कहा है कि जनाधार वाले नेताओं को ही पद दिया जाना चाहिये.
जिस तरह से कांग्रेस की लगातार हार हो रही है ये चिंता का विषय है. झारखंड में भी बड़े बदलाव की जरूरत है क्योंकि यहां भी जनाधार विहीन नेताओं को पद से नवाजा गया है. अधिकारी से नेता बने कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सह सूबे के मंत्री रामेश्वर उरांव साल 1977 की याद दिला रहे हैं. उनका कहना है कि कांग्रेस उस वक्त जा चुकी थी लेकिन साल 1980 में फिर से कांग्रेस की वापसी हुई. जनता के जनादेश का सम्मान करते हुए काम करते रहना है. जब विपक्ष में थे तक जनता के सवाल उठाते रहे. अब जब सरकार में है तो जनता का काम करना है. क्या कमी रही इस पर रामेश्वर उरांव बोलने से बचते नजर आए .
बीजेपी से कांग्रेस में पाला बदलने वाले विधायक उमाशंकर अकेला उत्तर प्रदेश के चुनावी परिणाम से दुखी हैं. उमाशंकर अकेला के अनुसार कांग्रेस के लिये चुनावी परिणाम जीरो के समान ही है लेकिन 1984 के समय बीजेपी की ताकत क्या थी ये सभी जानते है. आज के दिन बीजेपी राम लला से लेकर कृष्ण लला के मंदिर बनाने और मंदिरों के जीर्णोद्धार की राजनीति से आगे नहीं बढ़ पा रही है. कांग्रेस के आला नेता इस चुनावी परिणाम पर जरूर मंथन करेंगे .
झारखंड कांग्रेस के लिये अगला कुछ महीना बेहद चुनौतीपूर्ण रहेगा. कांग्रेस नेतृत्व को राज्य में पार्टी विधायकों को एकजुट रखने के साथ-साथ ऑपरेशन कमल से भी बचाना है क्योंकि राजनीतिक गलियारों में अब झारखंड को लेकर तरह-तरह के कयास लगने लगे हैं.