झारखण्ड की बहू रेलवे बोर्ड की पहली महिला अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा

शशांक
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में जया वर्मा सिन्हा की नियुक्ति भारत के नौकरशाही इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण है। यह शीर्ष निर्णय लेने वाले पदों पर अधिक लैंगिक समावेशिता की ओर बदलाव का प्रतीक है। यह कदम एक सशक्त संदेश देता है कि महिलाएं परिवहन और बुनियादी ढांचे जैसे पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं।नेतृत्व और दूरदर्शिता: रेलवे बोर्ड के प्रमुख के रूप में, जया वर्मा सिन्हा भारतीय रेलवे के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। उनका नेतृत्व और दूरदर्शिता रेल नेटवर्क में आधुनिकीकरण, सुरक्षा और दक्षता से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णयों को प्रभावित करेगी, जिसका अर्थव्यवस्था और लाखों नागरिकों के रोजमर्रा के जीवन पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।दुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्कों में से एक, भारतीय रेलवे का समृद्ध इतिहास ब्रिटिश औपनिवेशिक काल से चला आ रहा है। 19वीं शताब्दी में अपनी स्थापना के बाद से, रेलवे प्रणाली में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। 1905 में स्थापित रेलवे बोर्ड, भारतीय रेलवे के कामकाज की देखरेख के लिए जिम्मेदार एक प्रमुख निर्णय लेने वाली संस्था रही है।
रेलवे बोर्ड की पहली महिला अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा जमशेदपुर के सोनारी बाल विहार स्थित साकेत कॉलोनी निवासी मेजर सी बी सिन्हा के बहू है !उनके पति नीरज सिंह जमशेदपुर के एसपी भी रहे हैं ! पिछले दो दशक से खुफिया विभाग या इंटेलीजेंस बोर्ड में पोस्टेड थे। हाल ही में उनकी पोस्टिंग उनके पेरेंट कैडर में हुई है। इस समय वह बिहार पुलिस में ही डाइरेक्टर जनरल सिविल डिफेंस के पद पर तैनात हैं।
शुक्रवार को कार्यालय का कार्यभार संभालने के बाद जया वर्मा सिन्हा रेलवे बोर्ड की पहली महिला सीईओ और अध्यक्ष बन गईं, जो राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर के लिए शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था है। सिन्हा की नियुक्ति इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वह भारतीय रेलवे के 166 साल के इतिहास के साथ-साथ रेलवे बोर्ड के 166 साल के इतिहास में यह पद संभालने वाली पहली महिला बनीं। अधिकारियों के अनुसार, वह अपनी नई भूमिका में अनिल कुमार लाहोटी की जगह लेंगी और 31 अगस्त, 2024 तक पद पर रहेंगी।
कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने जया वर्मा सिन्हा, भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (आईआरएमएस), सदस्य (संचालन और व्यवसाय विकास), रेलवे बोर्ड की रेलवे के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पद पर नियुक्ति को मंजूरी दे दी। बोर्ड, “एक आदेश में कहा गया है। सिन्हा 1 अक्टूबर, 2023 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं, लेकिन उनका कार्यकाल समाप्त होने तक उन्हें उसी दिन फिर से नियुक्त किया जाएगा।
जया वर्मा सिन्हा का संगम नगरी से गहरा रिश्ता रहा. प्रयागराज में ही उनका जन्म हुआ. स्कूली शिक्षा से लेकर स्नातक एवं परास्नातक भी उन्होंने प्रयागराज से ही किया. उनके पिता बीबी वर्मा सीएजी ऑफिस में क्लास वन अफसर रहे. इसी तरह उनके बड़े भाई जयदीप वर्मा भी यूपी रोडवेज में क्लास वन अफसर रहे. सेवानिवृत्त होने के बाद फिलहाल वह लखनऊ में ही अपने परिवार के साथ रह रहे हैं. प्रयागराज में जन्मी जया का पैतृक निवास अल्लापुर स्थित बाघम्बरी हाउसिंग स्कीम में है. बचपन से ही मेघावी रही जया की स्कूली शिक्षा सेंट मेरी कान्वेंट इंटर कालेज से हुई. उसके बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी (पीसीएम) की. उन्होंने परास्नातक की पढ़ाई भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ही की. यहां से उन्होंने मनोविज्ञान से परास्नातक किया.
जया वर्मा ट्रेनिंग के बाद 1990 में कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर सहायक वाणिज्य प्रबंधक (एसीएम) बनीं. खास बात यह रही कि डेढ़ साल के उनके कार्यकाल के दौरान कभी कर्मचारियों को आंदोलन नहीं करना पड़ा. उस समय सेंट्रल पर चीफ ऑपरेटिंग सुपरवाइजर (सीओएस) रहे जेबी सिंह यूनियन नेता भी थे. वे बताते हैं कि जया वर्मा हर कर्मचारी की समस्याएं सुनती थीं. यथा संभव उनका समाधान भी कराती थीं. इस वजह से उन लोगों को कभी आंदोलन करने की जरूरत ही नहीं पड़ी.
भारतीय रेलवे में अपने 35 साल से अधिक के करियर में, उन्होंने परिचालन, वाणिज्यिक, आईटी और सतर्कता जैसे विविध क्षेत्रों में काम किया है। सिन्हा उत्तर रेलवे के प्रधान मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधक और सियालदह मंडल के मंडल रेल प्रबंधक भी रहे हैं। उन्होंने चार वर्षों तक ढाका, बांग्लादेश स्थित भारतीय उच्चायोग में रेलवे सलाहकार के रूप में भी काम किया। बांग्लादेश में उनके कार्यकाल के दौरान कोलकाता से ढाका तक मैत्री एक्सप्रेस का उद्घाटन किया गया था। उन्होंने पूर्वी रेलवे, सियालदह डिवीजन के मंडल रेल प्रबंधक के रूप में भी काम किया।
भारतीय रेलवे में एक विशिष्ट करियर के साथ, सिन्हा ने संचालन और व्यवसाय विकास के क्षेत्र में अनुकरणीय नेतृत्व और विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया है। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ के प्रतिष्ठित पद पर उनकी पदोन्नति, रेलवे क्षेत्र के विकास में उनके उल्लेखनीय योगदान और समर्पण को रेखांकित करती है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि भारतीय रेलवे ने माल ढुलाई क्षेत्र में 20 प्रतिशत से अधिक की सर्वकालिक उच्च वृद्धि दर्ज की है और पिछले 2 वर्षों में माल ढुलाई में सालाना 1.5 बिलियन टन का आंकड़ा तोड़ दिया है।
जया वर्मा सिन्हा की नियुक्ति एक शक्तिशाली संदेश भेजती है कि महिलाएं पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं, नेतृत्व पदों में लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा दे सकती हैं।

वर्मा खुद तो आईपीएस की नौकरी ठुकरा दीं। लेकिन उन्होंने अपना जीवनसाथी आईपीएस अधिकारी को ही चुना। उन्हीं की सर्विस यानी आईआरटीएस में ही एक बैचमेट नीरज सिन्हा से उनकी फ्रीक्वेंसी खूब मिल रही थी। नीरज सिन्हा को रेलवे की नौकरी रास नहीं आ रही थी। इसलिए उन्होंने फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी। उनकी मेहनत रंग लाई और उनका चयन आईपीएस में हो गया। नीरज का उधर आईपीएस में चयन हुआ और इधर जया वर्मा उनके साथ सात फेरे ले कर जया वर्मा सिन्हा बन गईं। तब से अब तक उनका सफर साथ-साथ ही चल रहा है।
आईपीएस में नौकरी के बाद नीरज को बिहार कैडर आवंटित हुआ था। उस समय झारखंड भी बिहार का ही हिस्सा हुआ करता था। उनकी पोस्टिंग हुई बिहार की गृष्मकालीन राजधानी रांची के एएसपी के रूप में। तब जया ने भी अपना तबादला रांची में करवा लिया। उस समय रांची के आसपास रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन का काम चल रहा था। उनकी पोस्टिंग इसी प्रोजेक्ट में हुई थी। इसके बाद तो उनकी कई चुनौतीपूर्ण परियोजनाओं में पोस्टिंग हुई और सबको बखूबी निभाया। वह बंगलादेश की राजधानी ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग में भी पोस्टेड थी। भारत और बंगलादेश के बीच चलने वाली मैत्री एक्सप्रेस के चलाने की भूमिका इन्होंने ही बनाई थी।
जया वर्मा सिन्हा का रेलवे के कंप्यूटराइजेशन में अहम योगदान रहा है। आपको पता ही होगा कि रेलवे में कंप्यूटराइजेशन की शुरुआत करने वाले माधव राव सिंधिया थे। रेलवे में कंप्यूटराइजेशन को बढ़ावा देने के लिए क्रिस की स्थापना हुई। क्रिस में वह विभिन्न पदों पर रहीं और इस कार्य को खूब आगे बढ़ाया। उन्होंने रेलवे के फ्रेट ऑपरेशन इंफोर्मेशन सिस्टम (FOIS) को भी विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
जया वर्मा सिन्हा का जन्म सितंबर 1963 में हुआ है। इस हिसाब से उनकी सेवानिवृत्ति अगले महीने ही हो जाती। उलेकिन सरकार ने उन्हें नई नियुक्ति के साथ ही सेवा विस्तार भी दिया है। अब वह इस पद पर 31 अगस्त 2024 तक बनी रहेंगी। जया वर्मा सिन्हा को हमारी शुभकामनाएं। हमें उम्मीद है कि वह अपने कार्यकाल में ऐसा कुछ करेंगी, जिसे आने वाली पीढ़ी भी याद करेगी।

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