राजनीतिक संवाददाता द्वारा
रांची: झारखंड में सियासी हलचल के बीच सीएम हेमंत सोरेन ( CM Hemant Soren ) की अब तक रणनीति काफी आक्रमक नजर आ रही है। यूपीए के तमाम विधायकों को अब तक एकजुट रखने के साथ वे बीजेपी पर निशाना साधते नजर आ रहे हैं। वहीं यूपीए अब 5 सितंबर को विधानसभा का एकदिवसीय विशेष सत्र बुलाकर 6 प्लान बनाए हैं। यूपीए की ओर से 5 सितंबर को एकदिवसीय विशेष सत्र बुलाने से पहले राज्यपाल द्वारा सीएम के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में फैसला दिये जाने की स्थिति में भी प्लान ए से लेकर प्लान एफ तक की अलग-अलग रणनीति बनाई गई है।
प्लान 1के तहत यदि ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में सीएम हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द नहीं होती, तो किसी तरह की संकट की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी और 5 सितंबर को यूपीए की ओर से विधानसभा में शक्ति प्रदर्शन किया जाएगा।
वहीं, प्लान 2में यदि राज्यपाल सीएम हेमंत सोरेन की सिर्फ सदस्यता रद्द करते हैं, तो फिर वे अपने पद से तुरंत इस्तीफा देकर, जेएमएम और यूपीए विधायक दल की बैठक कर फिर से सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। जिसके बाद राज्यपाल द्वारा शपथ ग्रहण कराने और निर्धारित समय दिये जाने पर विधानसभा में बहुमत सिद्ध करेंगे।
सीएम हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द हो जाती है और अगले कुछ महीने तक उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लग जाती है, तो इसके लिए प्लान-3तैयार है। सीएम हेमंत सोरेन की ओर से तुरंत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा और इस फैसले पर रोक लगाने की अपील की जाएगी। यदि उन्हें अदालत से सफलता मिल जाती है, तो ठीक है, अन्यथा फिर अन्य विकल्पों पर विचार करेंगे।
प्लान-4में अगर सीएम हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता समाप्त हो जाती है। चुनाव लड़ने पर रोक लग जाने की स्थिति में पहले जेएमएम विधायक दल की बैठक होगी। इस बैठक में नए नेता का चुनाव किया जाएगा। इस प्लान के तहत शिबू सोरेन परिवार के ही किसी सदस्य को नेता चुना जाएगा, जिसके बाद फिर से राज्यपाल के पास सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा।
प्लान 5में मौजूदा राजनीतिक अनिश्चितता के बीच राज्यपाल सीएम हेमंत सोरेन की सदस्यता समाप्त होने के बाद यूपीए खेमा के किसी नए दावे को खारिज भी कर सकते है। कुछ दिनों तक अन्य तकनीकी अड़चन भी आ सकती है। ऐसे में यूपीए की ओर से राजभवन से लेकर राष्ट्रपति भवन तक अपने विधयकों का परेड कराने की भी योजना बनाई गई है।
प्लान-6 में यदि जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन के परिवार के किसी सदस्य को नेता चुने के नाम पर सर्वसम्मति नहीं बन पाती है, तो परिवार के बाहर से भी नेता का चुनाव संभव है। ऐसे में जेएमएम के सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण उसी दल से नेता का चुनाव किया जाएगा। वहीं कांग्रेस की ओर से भी दावेदारी की जा सकती है। लेकिन इस पांचवें विकल्प की संभावना काफी क्षीण है। परंतु इतना तो तय है कि यूपीए किसी भी परिस्थिति में अभी हाथ से आसानी से सत्ता निकलने नहीं देना चाहेगा।