रोजगार की गारंटी हो न हो! लेकिन भ्रष्टाचार की पूरी गारंटी है

  • खुलासा: काम किए बिना ही निकाल ली गई राशि! जमुआ में मनरेगा घोटाला
  • मनरेगा में धांधली: नियमों को ताक पर रख कर बाहरी मजदूरों से कराया जाता हैं काम
  • अंधेरी रात में: मनरेगा के काम में जेसीबी मशीन का धड़ल्ले से होता हैं उपयोग

शुभम सौरभ 

गिरिडीह,विशेष प्रतिनिधि। महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा। सरकार की ये योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। रोजगार की गारंटी हो न हो लेकिन भ्रष्टाचार की पूरी गारंटी है। बिना काम किये, पदाधिकारियों की मिलीभगत से राशि की निकासी की जा रही है। बहरहाल जिला स्तरीय पदाधिकारी सरकारी आंकड़ों को सच मानकर काम कर रहे हैं,जबकि हकीकत इसके ठीक विपरीत है। तमाम तरह की निगरानी के बाद भी मनरेगा में धांधली जारी है। दरअसल मनरेगा में चौंकाने वाला मामला उजागर हुआ। जमुआ प्रखंड अंतर्गत धोथो पंचायत के कवईटांड़ टोला सैनअहरी में मामला प्रकाश में आया है। 

उपायुक्त को जन आवेदन देकर उच्च स्तरीय जांच की मांग

 इस बाबत कवईटांड़ के ग्रामीणों द्वारा गिरिडीह उपायुक्त को जन आवेदन देकर उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है। दिए गए आवेदन में ग्रामीणों का कहना है कि बगैर काम किए मनरेगा योजना की राशि निकाल ली गई है।

प्रत्येक योजना की प्राक्कलित राशि 148000 रुपए हैं

ग्रामीण अनिल कुमार वर्मा, संदीप कुमार वर्मा, मिंटू कुमार वर्मा, अजय कुमार वर्मा, जय नारायण महतो, जागेश्वर महतो, बालमुकुंद महतो आदि कई लोगों ने उपायुक्त के दिए हस्ताक्षरित आवेदन में कहा है, कि जमुआ प्रखंड के धोथो पंचायत अंतर्गत कवईटांड़ में दिनांक 25-01-2021 को रामदेव महतो की जमीन पर तथा 9. 11. 2020 को चुनचुन देवी की जमीन में डोभा निर्माण की स्वीकृति ली गई। प्रत्येक योजना की प्राक्कलित राशि 148000 रुपए है।

क्या कहते हैं ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना हैं कि बिना काम किए ही राशि के निकासी कर ली गई, जिसकी भौतिक जांच की जा सकती है और यह एक वित्तीय गबन का गंभीर मामला है। उक्त योजनाओं की उच्च स्तरीय जांच करने की मांग ग्रामीणों ने की है।

स्थानीय स्तर पर इसका निरीक्षण किया जाएगा और दोषी बचेंगे नहीं: मुखिया

इस बाबत मुखिया रैबून खातून से संपर्क करने पर बताया गया कि यह कार्य उनके कार्यकाल का नहीं है। ग्रामीणों से आज ही इसकी जानकारी उन्हें मिली है, स्थानीय स्तर पर इसका निरीक्षण किया जाएगा और वास्तविक दोषी बचेंगे नहीं।

मनरेगा योजना में अनियमितता किसी भी कीमत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा: बीडीओ

इस बाबत जमुआ बीडीओ अमल कुमार ने कहा कि ग्रामीणों का आवेदन मिला है। बीपीओ को जांच का आदेश दिया गया है। मनरेगा योजना में अनियमितता किसी भी कीमत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जांच में यदि सत्यता पाई जाती है तो दोषियों पर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।

कैसे निकाली जाती है राशि

मनरेगा जॉब कार्ड के आधार पर मजदूरों का भुगतान डीबीटी के तहत सीधे उनके बैंक खाता में होता है। अब पंचायत में कई बैंकों का ग्राहक सेवा केंद्र (सीएसपी) खुल गया है। सीएसपी वाले लैपटॉप लेकर गांव चले जाते हैं। वहां बिचौलियों के माध्यम से संबंधित मजदूरों को बुला कर अंगूठा लगवा लिया जाता है। इसके बाद राशि की निकासी कर ली जाती है। इसके एवज में मजदूरों को प्रति जॉब कार्ड दो सौ से तीन सौ रुपये थमा दिया जाता है। 

कैसे हुआ मामले का पर्दाफाश

मामले का पर्दाफाश तब हुआ जब गांव के लोगों को यह मामला संज्ञान में आया, उनलोगों ने अपने हिसाब से छान बिन किया तो पूरा मामला साफ हुआ। वे लोग तुरंत उपायुक्त, जमुआ बीडीओ आदि को ज्ञापन सौंपा, जांच करने का आग्रह किया।

कैसे होता है गड़बड़झाला

प्रखंडों में बिचौलिए सक्रिय है। यह बिचौलिए मनरेगा मजदूरों का जॉब कार्ड किराये पर ले लेता है। मनरेगा की अधिसंख्य योजनाओं में काम मशीन से होता है। बाद में उसके जॉब कार्ड के आधार पर डाटा इंट्री करा दी जाती है। इस तरह से बिना काम किये ही मजदूरों के जॉब कार्ड पर राशि आवंटित हो जाती है। वहीं नियमों की अनदेखी करते हुए बिचौलिए उसकी राशि को निकाल लेते हैं। जानकारों की मानें तो अगर इसकी जांच सूक्ष्मता से हो जाये, तो एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हो सकता है।

मनरेगा में धांधली: नियमों को ताक पर रख कर बाहरी मजदूरों से कराया जाता हैं काम

मनरेगा में धांधली :नियमों को ताक पर रख कर बाहरी मजदूरों से कम कराया जाता हैं । सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ विभाग की लापरवाही की वजह से ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है। साथ ही गरीब ग्रामीणों के हक के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। स्थानीय मजदूरों को दरकिनार कर अन्य पंचायत के मजदूरों से कार्य कराया जाता हैं। इस तरह विभाग के मिली भगत से स्थानीय मजदूरों के हितों का शोषण कर रहे हैं। बाहर के मजदूरों से कार्य करा रहे हैं। जिन मजदूरों के नाम रजिस्टर में अंकित होते है, उनसे काम नहीं लेकर बाहरी मजदूरों से ठेका पर कार्य कराया जाता है। राशि निकासी के वक्त विभागीय अधिकारियों के मिली भगत से राशि का हेरफेर कर दिया जाता है।

अंधेरी रात में: मनरेगा के काम में जेसीबी मशीन का धड़ल्ले से होता हैं उपयोग

प्रखंड के कई पंचायतों में अंधेरी रात में जेसीबी मशीन से होता हैं,मनरेगा का काम। नियमों को ताक पर रख कर बेधड़क करते हैं काम, इन्हें किसी का डर नहीं। भ्रष्ट पदाधिकारीयों की मिली भगत से निडर करते हैं काम। प्रखंड क्षेत्र में मनरेगा का काम मजदूरों की बजाय मशीनों से कराया जाता हैं। ऐसे में मजदूर काम के अभाव में पलायन कर जाते हैं। विभागीय कर्मियों व जनप्रतिनिधियों की जुगलबंदी का आलम है कि दर्जनों आहर व डोभा कार्य में जेसीबी मशीन का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। जिसके कारण स्थानीय ग्रामीण मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है और वे पलायन करने को मजबूर हो रहे है।

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