पूर्व जेडीएस अध्यक्ष एच विश्वनाथ विधायकों को लेकर असेंबली स्पीकर रमेश कुमार के चैंबर पहुंचे. हालांकि स्पीकर तबतक वहां से निकल चुके थे.ये सभी विधायक अपना इस्तीफ़ा सौंपने पहुंचे थे. स्पीकर तो उन्हें नहीं मिले, लेकिन वो स्पीकर दफ्तर के सचिव को इस्तीफ़ा दे आए.कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीजेपी पर राज्य की गठबंधन सरकार को गिराने की कोशिश करने का आरोप लगाया है, लेकिन जेडीएस नेता एच विश्वनाथ का कहना है कि विधायकों ने स्वेच्छा से इस्तीफ़ा दिया है और वो किसी “ऑपरेशन कमल” से प्रभावित नहीं हैं. उनका कहना है कि कर्नाटक की गठबंधन सरकार जनता की उम्मीदों को पूरा करने में नाकाम रही है. इस बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारास्वामी के देश वापस लौटने के बाद से बैठकों का दौर जारी है. कांग्रेस और जेडीएस मिलकर मंथन कर रहे हैं कि अगला क़दम क्या हो.इस बीच कांग्रेस विधायक एसटी सोमशेखर ने रविवार को कहा कि इस्तीफ़े वापस लेने का सवाल ही नहीं है.कर्नाटक में हमेशा कोई ना कोई फॉर्मूला होता है. सरकार बचाने का फॉर्मूला है कि जब विधायकों के मन में ये डर हो कि अगर सरकार गिर गई तो नए चुनाव होंगे.कोई भी विधायक नया चुनाव नहीं करवाना चाहता है. भले ही वो बीजेपी का विधायक हो या कांग्रेस का विधायक.ये चीज़ कांग्रेस और जेडीएस सरकार के पक्ष में जाती है.अब इनके अपने हुनर पर निर्भर करता है कि ये सरकार बचा सकते हैं या नहीं.ये बात भी सच है कि कांग्रेस के भीतर बहुत से लोग, ख़ासकर सिद्धारमैया वगैहरा बिलकुल ख़ुश नहीं है कि एचडी कुमारास्वामी वहां मुख्यमंत्री हो गए.क्योंकि जब जनता दल सेक्यूलर की सरकार बनी थी और कुमारास्वामी बीजेपी के समर्थन से पहली बार मुख्यमंत्री बने थे. उस वक़्त दावेदारी सिद्धारमैया की थी. लेकिन देवगौड़ा ने अपने बेटे को बना दिया था. इनमें खींचतान जब से चल रही है.अब देखना है कि सिद्धारमैया सरकार बनाने के पक्ष में काम करते हैं या गिराने के पक्ष में, लेकिन मुझे नहीं लगता कि गिराने से उन्हें कोई फ़ायदा होने वाला है.अगर सरकार गिरती है और नया चुनाव होता है तो सिर्फ़ भारतीय जनता पार्टी को फ़ायदा होगा.लेकिन भारतीय जनता पार्टी के ख़ेमे में भी येदियुरप्पा के लिए भी कोई ख़ास सेंटिमेंट नहीं है. क्योंकि वहां पर बीजेपी अपना नेतृत्व परिवर्तन करना चाहती है और येदियुरप्पा की जगह कोई दूसरा नेता लाना चाहती है.