कांग्रेस पूरे यूपी में दमखम से चुनाव लड़ती दिख रही है। कहीं उसकी मौजूदगी से बीजेपी को नुकसान हो रहा है तो कहीं बीजेपी को फायदा। मगर, जहां कांग्रेस बीजेपी का नुकसान कर रही है वहां फायदा महागठबंधन को मिल रहा है। वहीं जहां बीजेपी को फायदा हो रहा है, वहां कांग्रेस अपने आपको मजबूत करती दिख रही है। इसमें संदेह नहीं कि कांग्रेस की अधिकतर सीटों में मौजूदगी से पार्टी में नयी जान फूंकी जाती दिख रही है।
गौतमबुद्ध नगर में बीजेपी के कद्दावर नेता महेश शर्मा फिर से चुनाव मैदान में हैं। इस लोकसभा सीट पर ठाकुर वोटों की तादाद बड़ी है। बीजेपी के यहा से तीन विधायक राजपूत हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने गौतमबुद्धनगर से राजपूत उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतार दिया है। निश्चित रूप से ठाकुर उम्मीदवार अरविन्द चौहान बीजेपी का बेड़ा गर्क करेंगे और दूसरे व तीसरे नम्बर पर रहे एसपी-बीएसपी के उम्मीदवारों की जगह इस बार महागठबंधन के साझा उम्मीदवार के लिए रास्ता बनाएंगे। महागठबंधन ने यहां से बीएसपी के सतबीर नागर को चुनाव मैदान में उतारा है। वे मजबूत प्रत्याशी माने जा रहे हैं। त्रिकोणीय मुकाबले में कद्दावर बीजेपी नेता महेश शर्मा के लिए जीत मुश्किल दिख रही है।
कैराना में बीजेपी ने बड़ी गलती की कि उसने मृगांका का टिकट काट दिया। तब भी शायद बीजेपी की दिक्कत दूर हो गयी थी क्योंकि एसपी उम्मीदवार तबस्सुम हसन को जाट वोट करने नहीं जा रहे थे। उपचुनाव में वोट इसलिए किया था क्योंकि वह आरएलडी के टिकट पर उम्मीदवार थीं। कांग्रेस ने स्थिति को भांपते हुए कद्दावर जाट नेता हरेंद्र मलिक को टिकट दे डाला। 2 लाख जाट वोटर अगर कांग्रेस के लिए निर्णायक न भी हों, तो बीजेपी के लिए निर्णायक जरूर है। वैसे, कांग्रेस और एसपी दोनों को 5 लाख मुस्लिम वोट का बड़ा हिस्सा मिलने की उम्मीद है। ऐसे में बीजेपी के नये उम्मीदवार प्रदीप चौधरी के लिए अपनी ही पार्टी में विरोध से ऊपर उठकर जीत की ओर बढ़ पाना मुश्किल दिख रहा है। इस तरह कैराना में जो जबरदस्त त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है उसमें बीजेपी की हालत पतली नज़र आ रही है।
बिजनौर में जब कांग्रेस ने देखा की बीएसपी के गुर्जर नेता मलूक नागर उम्मीदवार हैं तो कांग्रेस ने 38 फीसदी मुस्लिम आबादी वाली इस सीट पर नसीमुद्दीन सिद्दीकी को चुनाव मैदान में उतार दिया। सिद्दीकी मुस्लिम वोटर को इधर से उधर करने का माद्दा दिखाते आए हैं। लिहाजा यह वोट बैंक वो अपने लिए सुरक्षित मानकर चल रहे हैं। एससी और पिछड़े वोटों का कितना बड़ा हिस्सा बीजेपी से छीन पाती है बीएसपी, यह देखने वाली बात होगी। विगत चुनाव में ये वोटर बीजेपी के साथ थे।
मगर, दिलचस्प त्रिकोणीय मुकाबले में यहां बीजेपी का मुकाबला कांग्रेस से होता दिख रहा है। वोट बंटने का फायदा बीजेपी को हो सकता है, मुरादाबाद में ठाकुर सर्वेश सिंह बीजेपी के सांसद हैं। कांग्रेस ने यहां से इमरान प्रतापगढ़ी को उम्मीदवार बनाया है तो महागठबंधन की ओर से नासिर कुरैशी समाजवादी पार्टी से ताल ठोंक रहे हैं। मुसलमानों के बीच सक्रियता और स्वीकार्यता के हिसाब से कांग्रेस उम्मीदवार महागठबंधन से कहीं आगे हैं। चूकि मुरादाबाद में 47.12 फीसदी मुस्लिम आबादी है इसलिए यह बात मायने रखती है। मगर, महागठबंधन उम्मीदवार नासिर हुसैन भी मुरादाबाद में सक्रिय रहे हैं। ऐसे में मुस्लिम वोट बंटने के आसार हैं। फिर भी जीतने वाले उम्मीदवार के पक्ष में यह गोलबंदी होगी। कांग्रेस और महागठबंधन दोनों को अपने-अपने परम्परागत वोटों का भरोसा है। वहीं, त्रिकोणीय संघर्ष में ठाकुर सर्वेश सिंह के लिए बीजेपी को दोबारा जीत की उम्मीद बंधती दिख रही है।
अलीगढ़ में भी कांग्रेस की उपस्थिति से बीजेपी को फायदा होने के आसार हैं।अलीगढ़ सीट पर बीएसपी प्रत्याशी अजित बालियान गठबंधन के उम्मीदवार हैं। चूकि वे बाहरी प्रत्याशी माने जा रहे हैं इसलिए कांग्रेस ने यहां दिग्गज जाट नेता बृजेन्दर सिंह को चुनाव मैदान में उतार दिया है। बीजेपी के सतीश कुमार गौतम को टिकट मिलने के बाद अपनी ही पार्टी में ज़बरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा है। फिर भी समीकरण के हिसाब से उनकी स्थिति मजबूत है। त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस प्रत्याशी बीएसपी का खेल बिगाड़ सकते हैं।