News Agency : कांग्रेस की लीडरशिप को लेकर अनिश्चितता के बीच वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने करारी हार के लिए पार्टी के चुनावी घोषणापत्र में खामियां गिनाईं। उन्होंने गुरुवार को कहा कि राजद्रोह कानून को खत्म करने और आर्म्ड फोर्सेज (स्पेशल पावर्स) ऐक्ट में बदलाव जैसी बातों को घोषणापत्र में शामिल करने से कांग्रेस को नुकसान हुआ। आपको बता दें कि कांग्रेस के घोषणापत्र में इस बात का जिक्र किया गया था कि कश्मीर में सेना की तैनाती को कम किया जाएगा। इस पर शर्मा ने कहा कि पुलवामा हमले और बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद बीजेपी ने अति-राष्ट्रवाद का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया और इसका राजनीतिकरण किया और पार्टी उस नैरेटिव का संतुलन नहीं बना सकी। उन्होंने आगे कहा कि पार्टी के घोषणापत्र के संदर्भों को बीजेपी ने गलत तरीके से और तोड़-मरोड़ कर प्रचारित किया। शर्मा ने चुनाव के बाद पार्टी में संकट होने की बात स्वीकार की। HTN तिरंगा टीवी को दिए इंटरव्यू में शर्मा ने कहा, ‘हां, संकट है क्योंकि इतनी बड़ी हार होगी, हमने ऐसा सोचा नहीं था… कांग्रेस अध्यक्ष ने इस्तीफे की पेशकश की जिसे नामंजूर कर दिया गया। इसके बाद अबतक के समय में अनिश्चितता बनी रही। अब समय आ गया है कि हमें ईमानदार तरीके से आगे बढ़ना चाहिए और आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि हमें मुद्दों और फैक्टर्स की पहचान करनी होगी कि हमसे कहां गलती हुई। संगठन या कैंपेन में क्या कमजोरी थी… क्योंकि चुनाव के बाद हम खत्म होने वाले नहीं हैं।’ इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ‘घोषणापत्र में तीन चीजों का जिक्र- राजद्रोह कानून को खत्म करना या AFSPA में बदलाव, जिसे गलत तरीके से जनता के सामने रखा गया। मैं इसके लिए आरोप भी नहीं लगा सकता क्योंकि यह चुनाव था जिसे लड़ा गया और उन्होंने किया।’ तीसरे पॉइंट के बारे में पूछे जाने पर शर्मा ने कहा कि यह कश्मीर में सेना की तैनाती से संबंधित था। गौरतलब है कि कांग्रेस के घोषणापत्र के सामने आने के बाद बीजेपी ने कड़ा हमला किय था। पार्टी ने कहा कि कांग्रेस के दस्तावेज में काफी खतरनाक विचार हैं और आरोप लगाया गया था कि मुख्य विपक्षी दल ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ के साथ जाकर खड़ी हो गई है, जिसमें लेफ्ट पॉलिटिकल ऐक्टिविस्टों ने 2016 में जेएनयू में अफजल गुरू के लिए कार्यक्रम आयोजित किया था। आनंद शर्मा कांग्रेस की कैंपेन कमिटी के प्रभारी थे। उन्होंने कहा कि किसानों से किए गए चुनावी वादे ‘न्याय’ का भी असर नहीं हुआ क्योंकि इसे काफी देर से अप्रैल में सामने लाया गया। इसे चुनाव से कम से कम 6 महीने पहले लाया जाना चाहिए था। ऐसे में यह सरकार की पीएम किसान स्कीम का मुकाबला करने में नाकाम रही, जिससे लोगों को पहले ही कैश मिलना शुरू हो गया था। कैंपेन में कांग्रेस कहां पीछे रह गई? इस सवाल पर शर्मा ने कहा कि संगठन में कुछ ढांचागत कमजोरियां रहीं, कई राज्य समय के साथ कमजोर हो गए थे। हम सांगठनिक ढांचे को लेकर हम फैसले तेज नहीं ले पाए जैसे, जिला कांग्रेस कमिटी और मंडल कांग्रेस कमिटी। अगर वे सुस्त थीं तो हमें इस पर ध्यान देना चाहिए था। उन्होंने बताया कि हरियाणा में कोई भी जिला कमिटी या ब्लॉक कांग्रेस कमिटी नहीं थी जबकि हम बीजेपी और संघ के खिलाफ चुनाव में थे। उन्होंने कहा कि एक तरफ बीजेपी के पास पन्ना प्रमुख थे जबकि काफी बूथों हमारी कोई कमिटी नहीं थी।
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