राजनीतिक संवाददाता द्वारा
रांची. झारखंड के राज्यपाल प्रदेश से 2 दिन के दौरे पर बाहर गए हुए हैं. पहले दिन तो वह एक निजी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए चंडीगढ़ गए थे. वहीं दूसरे दिन यानि बुधवार को उन्होंने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद में झारखंड में सियासी हलचल बढ़ गयी है.
बता दें, मंगलवार की सुबह राज्यपाल रमेश बैस ने जैसे ही बिरसा मुंडा एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए उड़ान भरी झारखंड की सियासत में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गयी थी. बुधवार दोपहर झारखंड के राज्यपाल रमेश ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. इस दौरान रमेश बैस ने पीएम मोदी और अमित शाह को राज्य के राजनीतिक हालातों से अवगत कराया.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इन दिनों मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन पर प्रदेश बीजेपी नेताओं द्वारा जो आरोप लगाये गये है, उसपर विस्तृत चर्चा हुई. इसके अलावा राज्यपाल ने कानून व्यवस्था से भी केंद्रीय गृह मंत्री को अवगत कराया. बता दें, राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के माइनिंग लीज से जुड़े दस्तावेज चुनाव को भेज दिया है. वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के माइनिंग से जुड़े मामले में संविधान विशेषज्ञ ने कहा कि ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के तीन कंडीशन होते हैं. पहला कोई पद होना चाहिए, दूसरा इसके तहत कोई लाभ होना चाहिए, तीसरा यह सरकार के अधीन होना चाहिए. अगर यह तीनों हो ऑफिस ऑफ प्रॉफिट होगा.
राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पत्थर माइनिंग लीज के मामले से जुड़ी रिपोर्ट निर्वाचन आयोग को रिपोर्ट भेज दी है .राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह की ओर से भेजा गया पत्र निर्वाचन आयोग पहुंच गया है .अब आयोग इस पर आगे की कार्रवाई को लेकर मंथन में जुट गया है. राजपाल रमेश बैस ने हेमंत सोरेन सीएम रहते माइनिंग लीज देने की शिकायत मिलने के बाद निर्वाचन आयोग से संविधान के अनुच्छेद 191 और 192 के तहत राय देने को कहा था. यह मामला लाभ के पद के दायरे में आता है या नहीं, इसके बाद आयोग ने मुख्य सचिव को सीएम हेमंत सोरेन के माइनिंग लीज लेकर उठे विवाद पर मुख्य सचिव से 15 दिनों में रिपोर्ट देने को कहा था.
इस संबंध में निर्वाचन आयोग का पत्र 18 अप्रैल को मिला था. आयोग हेमंत सोरेन को उन पर लगे आरोपों के मद्देनजर जवाब देने का निर्देश देगा. उनका पक्ष सुनने के बाद चुनाव आयोग इस बात का फैसला करेगा कि उन पर लगे आरोप लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 91 के आलोक में विधानसभा से उनकी सदस्यता समाप्त करने के लिए पर्याप्त है या नहीं. इस मुद्दे पर चुनाव आयोग का निर्णय अंतिम होगा. इसके बाद चुनाव आयोग अपने फैसले की जानकारी राज्यपाल को देगा. उल्लेखनीय है कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अयोग्य घोषित करने की मांग करते हुए राज्यपाल को शिकायत पत्र सौंपा था.