लकड़ी ,बालू और पत्थर तस्करों का अजब गजब कारनामा , धृतराष्ट्र की भूमिका में पूरा जिला अधिकारी
संवाददाता: चतरा
चतरा जिले के अंतर्गत आखिर कब ईडी चतरा में दस्तक देगी यहां का आम आवाम आस लगाए हुए हैं। खनिज सम्पदा से भरपूर , झारखण्ड में सबसे अधिक जंगल,नदियों से बालू का दोहन के साथ शिक्षा का घोर अभाव का सीधा फायदा चतरा जिले में तस्करों को मिल रहा है और ये चतरा में लूट मचाये हुए हैं। जंगल जमीन तथा पत्थर पर माफियाओं की गिद्ध दृष्टि बनी हुई है और ये उसका दोहन करने में लगे हुए हैं। नियम व कानून को ताख पर रखकर पदाधिकारियों के संरक्षण में खुलेआम मनमानी किया जा रहा हैं। इसका ज्वलंत उदाहरण जिले के गिद्धौर प्रखंड के इचाक गांव में देखने को मिल रहा है । जहां माइंस संचालकों के द्वारा खुलकर गुंडागर्दी का खेल खेला जा रहा है। इस गांव में एक वर्ष पूर्व जनवरी 2023 को खनन विभाग ने माइंस खोलने की इजाजत दे दिया था परंतु यहां के ग्रामीण इससे होने वाले नुकसान को देखते हुए माइंस खोले जाने का पुरजोर विरोध किया गया था और यही कारण था कि जिला प्रशासन ने इस माइंस को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया था परंतु इन दिनों इसे फिर से शुरू कर दिया गया है। यही कारण है कि माइंस संचालक और ग्रामीणों के बीच संघर्ष शुरू हो गया है। जहां एक ओर माईन्स में हैवी ब्लास्टिंग के बाद आस पास में हुए नुकसान तथा पशु की मौत के बाद बौखलाए ग्रामीणों ने माइंस में लगे मशीन को आग लगा दिया था तो वहीं माइंस संचालक के द्वारा न सिर्फ जिला प्रशासन के सहयोग से ग्रामीणों के विरुद्ध मुकदमा दायर किया गया बल्कि अपने कुछ निजी गुंडो के सहायता से ग्रामीणों को जमकर पिटा गया जिससे कई स्त्री पुरुष घायल हो गए थे। माइंस संचालकों का दहशत का गांव पर इतना गहरा प्रभाव पड़ा है कि पुलिस तथा गुंडो के भय से गांव के अधिकांश पुरुष गांव छोड़कर फरार हो गए हैं तो वहीं महिलाएं डर से सहमी हुई है । गांव में बचे हुए ग्रामीण कुछ भी बोलने से खौफ खा रहे हैं जबकि दूसरी ओर पत्थर उत्खनन का कार्य तेजी से चल रहा है। माइंस संचालक अपने गुर्गों के दम पर ग्रामीण पर नकेल करने में कामयाब हो गए हैं। इनका खौफ का नतीजा है कि एक दो लोगों को छोड़कर कोई भी ग्रामीण व्यक्ति इनके विरुद्ध कुछ भी बोलने से गुरेज कर रहे हैं। ग्रामीणों की ओर से माइंस का विरोध करने वाले नेतृत्वकर्ता बसंत सिंह के ऊपर माइंस संचालक का कई मुकदमा थोप दिया गया है और यही कारण है कि वह इनदिनों गांव छोड़कर फरार हैं। इचाक गांव की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है जहां गुंडों के भय और आतंक इस कदर कायम है जैसे हिंदी सिनेमा जगत में खलनायक का भूमिका देखने को मिलता है कुछ वैसा ही परिदृश्य इस गांव में भी देखने को इन दिनों मिल रहा है । इस संदर्भ में इस गांव की एक महिला काफी दुख भरी अंदाज में अपने ऊपर हुए जुल्म की दास्तान बयां करते हुए जुल्म की कहानी कहती है कि चतरा से कुछ छटे हुए बदमाशों को लाया गया था जो खुलेआम हाथ में पिस्तौल लेकर ग्रामीणों के साथ मारपीट किया था और तो और इन लोगों ने घर में घुसकर महिलाओं को भी जख्मी कर दिया था तथा कुछ घर के दरवाजों का शीशा भी तोड़ डाला था तो वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों के ऊपर झूठे मुकदमे थोप दिए गए हैं। ग्रामीणों का दर्द यह है कि वह अपना फरियाद आखिर किसे सुनाएं? चतरा के उपायुक्त से लेकर खनन पदाधिकारी एवं नवनिर्वाचित सांसद तक से न्याय की ये गुहार लग रहे हैं परंतु कहा जाता है कि रुपयों में बहुत बड़ी ताकत होती है और यही कारण है कि पुलिस प्रशासन से लेकर जिले के बड़े पदाधिकारी तक इनका फरियाद पर संज्ञान लेने के बजाय इन्हें फटकार लगाकर भगा देते रहे हैं । इस मामले में स्थानीय पुलिस प्रशासन का भूमिका काफी संदिग्ध है और गिद्धौर थाना प्रभारी अमित गुप्ता खुलकर माइंस संचालक का साथ देने में लगे हैं ग्रामीणों के बीच पुलिस का खौफ इतना ज्यादा है ये खुले हवा में सांस तक भी नहीं ले पा रहे हैं और पुलिस की गाड़ी देखते ही पूरा गांव सुनसान हो जाता है । अब आगे देखना यह है कि इचाक गांव के ग्रामीणों के साथ कभी न्याय हो भी पाता है या माइंस संचालक अपनी मनमानी करते हुए पत्थर का उत्खनन बेखौफ करते रहते हैं।