शशांक
रायपुर :छत्तीसगढ़ में चुनावी सरगर्मी काफी तेज होगया है ! प्रदेश में सत्ता पाने के लिए बीजेपी और कांग्रेस आमने -सामने है । इसलिए चुनावी मुकाबला काफी रोचक होते जा रहा है। इस समय कांग्रेस ने रायपुर जिले की हाई प्रोफाइल वीआईपी सीट रायपुर दक्षिण से प्राचीन दूधाधारी मठ के महंत रामसुंदर दास को टिकट दिया है।जिसके कारण अब इस सीट पर पूरे प्रदेश की नजर टिक गई है । ऐसे भी बीजेपी प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल महंत को अपना गुरु मानते हैं। जिसके कारण गुरु और शिष्य के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है । बृजमोहन अग्रवाल और महंत राम सुंदर दास के रिश्ते बहुत ही गहरे है हैं। अग्रवाल मठ के कार्यक्रमों में लगातार शिरकत करते रहें है और उनका आशीर्वाद भी लेते रहे हैं। ऐसे भी यह मठ रायपुर दक्षिण विधानसभा में पड़ता है।
प्रत्याशी बनने पर महंत जी का कहना है कि वे दो बार जाजंगीर चांपा से कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं। और इस बार के लिए भी मैं जांजगीर चांपा से चुनाव लड़ने के लिए आवेदन किया था। कांग्रेस हाईकमान ने मुझे रायपुर दक्षिण से प्रत्याशी बनाया है। इस बार जनता मुझे आशीर्वाद देगी , दूसरी तरफ वर्तमान विधायक बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि महंत यहां से लड़ना नहीं चाहते थे, लेकिन कांग्रेस उन्हें मजबूर करके यहां से चुनाव लड़ा रही है। क्योंकि वो जांजगीर चांपा से चुनाव लड़ना चाह रहे थे। इस संबंध में वो खुद ही बार-बार कह रहे थे कि रायपुर में मैं लड़ने की स्थिति में नहीं हूं। मेरे पास टीम नहीं है, संसाधन नहीं है, कार्यकर्ता नहीं हैं और सुविधा नहीं है। अग्रवाल ने कहा कि मुझे उनका आशीर्वाद आज से नहीं 40 साल से मिलता रहा है। इस बार भी उनका आशीर्वाद मिलेगा।
ऐसे बृजमोहन अग्रवाल 35 साल से इस सीट से विधायक हैं। वर्ष 2018 में इस सीट से कांग्रेस ने कन्हैया अग्रवाल को टिकट दिया था और हार गए थे । बृजमोहन अग्रवाल 1990 में पहली बार अविभाजित मध्य प्रदेश में विधायक बने। फिर साल 1993 और 1998 में अविभाजित मध्य प्रदेश में तीन बार विधायक रहे। इसके बाद छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद भी वर्ष 2003, 2008, 2013, 2018 में चुनाव जीतते आ रहे हैं।
दूसरी ओर धर्म के साथ-साथ महंत रामसुदंर दास का राजनीति से भी गहरा लगाव है। कांग्रेस पार्टी से वह विधायक भी रहे हैं। अभी छत्तीसगढ़ गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष हैं। सीएम भूपेश बघेल से उनकी नजदीकियां भी खूब हैं। महंत रामसुंदर दास हमेशा सीएम भूपेश बघेल के साथ कार्यक्रमों में नजर आते हैं। विधानसभा में महंत सुंदरदास जब बोलते थे कि सत्ता और विपक्ष के लोग उनकी बातों को ध्यान से सुनते थे।
जांजगीर-चांपा जिले के पिहरीद गांव में जन्मे रामसुंदर दास अपने बाल्यकाल में ही रायपुर आ गए थे। यहां के ऐतिहासिक दूधाधारी मठ में रहकर उन्होंने अपनी पढ़ाई लिखाई की था। इसके साथ-साथ धार्मिक कार्यों में रहते हुए मठ में काम किया। बताया जाता है कि रामसुंदर दास बेहतर ज्ञान और अपने निस्वार्थ भावना के लिए जाने जाते हैं। राम सुंदर दास ने संस्कृत में एमए किया है। साथ ही साहित्य आचार्य की उपाधि लेने के बाद पीएचडी भी की है।
पीएचडी में उनका विषय रामायण कालीन ऋषि मुनियों का तुलनात्मक अध्ययन रहा है। मठ के प्रति उनकी निस्वार्थ भावना को देखते हुए उस वक्त के तत्कालीन महंत वैष्णव दास ने उन्हें प्रभावित होकर अपने बाद मठ उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। महंत वैष्णव दास के देहांत के बाद मठ संचालन महंत रामसुंदर दास करने लगे।
महंत रहते हुए राम सुंदर दास ने 2003 में छत्तीसगढ़ के पामगढ़ से विधानसभा का चुनाव लड़ा था। उस वक्त उन्हें जीत हासिल हुई थी। इसके बाद उन्होंने 2008 में जयजयपुर से चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। वहीं, 2013 के चुनाव में उसी क्षेत्र से बहुत ही कम अंतर से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। महंत रामसुंदर दास कांग्रेस पार्टी से पूर्व में विधायक रहे और वर्तमान में कांग्रेस की भूपेश सरकार बनने के बाद उन्हें छत्तीसगढ़ गौ सेवा आयोग का अध्यक्ष बना दिया गया।
कालीचरण की बदजुबानी के बाद महंत रामसुंदर दास मंच पर आए थे। उन्होंने कहा कि मैं आप सबसे पूछना चाहता हूं, इस बात को कि इस धर्म संसद के मंच से जो बात कही गई। जिसपर आप सबने खूब ताली बजाई थी। क्या महात्मा गांधी सही में गद्दार थे? टीवी का रेकॉर्ड है। आप सब देखिए। यही शब्द कहा गया था। ताली और थाली खूब बजी थी। 1947 की वह घटना याद करिए। जिस परिस्थितवस भारत स्वतंत्र हुआ। महात्मा गांधी ने क्या कुछ नहीं किया। अब उनके विषय में इस धर्म संसद से ऐसी बात? मैं बहुत क्षमा चाहता हूं आप सब से। लेकिन इस धर्म संसद से मैं खुद को अलग करता हूं।
ऐसे यह सीट बीजेपी की परंपरागत सीट मानी जाती है।फिर भी महंत रामसुंदर दास के उतरने से अभी से ही बृजमोहन अग्रवाल का पसीना छूटने लगा है ! अब देखना है कि चुनाव का परिणाम किस तरफ जायेगा !