लगातार चौथी बार ऑडियो वायरल होने के बाद वीडियो हुआ वायरल
गिट्टी गाड़ी पासिंग कराने के लिए रिखिया थाना करते हैं पांच सौ की वसूली
डीआईजी सुदर्शन मंडल ने एसपी को दिया जांच कर कार्रवाई का आदेश
देवघर/ अवैध उत्खनन व परिवहन मामले में पुलिस संलिप्तता पर लगातार चौथी बार ऑडियो वायरल होने के व हमेशा सुर्खियों में रहने वाले देवघर जिला अंतर्गत रिखिया थाना क्षेत्र का फिर वीडियो वायरल हुआ । वायरल वीडियो में दिखाया गया कि रिखिया थाना की पुलिस गाड़ी थाना क्षेत्र के रिखिया मोहनपुर मार्ग स्थित बरसतिया पुल के पास गिट्टी लदे हाईवा से बात कर रहे हैं। वीडियो में बात कर रहे युवक को स्थानीय लोगों ने बताया कि रोजाना प्रत्येक वाहन से 5 सौ रूपए की वसूली की जाती है। हालांकि …….. अखबार वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करती है। इस संदर्भ में जब थाना प्रभारी अमित कुमार से संपर्क साधने का प्रयास किया तो संपर्क नहीं हो सका। यह मामला डीआईजी सुदर्शन मंडल व डीसी मंजूनाथ भजंत्री के संज्ञान में जाते ही उन्होंने एसपी को पत्राचार कर कार्यवाही करने का निर्देश दिया है।
रोजाना होता है 18 से 20 हजार की वसूली
विभिन्न सूत्रों की माने तो बिहार बॉर्डर से सटे रिखिया थाना की पुलिस अवैध खनन परिवहन, मवेशी लादे कंटेनर और लकड़ी पिकअप गाड़ी से रोजाना 18 से 20 हजार की वसूली करता है। शाम ढलते ही पुलिस पेट्रोलिंग वाहन बॉर्डर के सत्य इलाके पर पहुंच जाते हैं जहां से यह सभी गाड़ियां पर होता है। इतना ही नहीं चर्चा है कि पेट्रोलिंग में जाने के लिए पुलिस टीम के बीच बोली भी लगता है। जो थाना प्रभारी को अधिक ऑफर देता है उन्हें शाम व सुबह के पेट्रोलिंग दी जाती है। यह पेट्रोलिंग वाहन रात्रि के 10 बजे से लेकर सुबह 5:30 बजे तक बॉर्डर इलाके में घूमते रहते हैं। हालांकि दिन में भी यदि कोई गाड़ी गुजरती है तो स्वयं 500 रुपैया दे देता है। हालांकि वर्तमान में लगातार वायरल हो रहे ऑडियो व वीडियो को देखते हुए पुलिस ने इस पर रोक लगा दिया है। चूंकि यह खबर काफी पड़ताल व विभागीय सूत्रों के हवाले से प्राप्त हुई है जिसके कारण अखबार इसकी पुष्टि नहीं करती है।
पूर्व में चार बार वायरल हो चुका है ऑडियो, कार्यवाही या महज खानापूर्ति
ऐसा नहीं है कि पहली बार रिखिया थाना में पुलिस की संलिप्तता पर वीडियो वायरल हुआ है। पूर्व में भी बालू गाड़ी छोड़ने के एवज में 15 हजार रूपए की मांग का ऑडियो वायरल हुआ था। जिसके पश्चात पुलिस ने दो छोटे अधिकारी को हटाकर कार्यवाही दिखाया था। इतना ही नहीं 2 महीने के बाद ही ऑडियो वायरल करने वाले को झूठे मुकदमे में फंसा कर जेल भेज दिया था। हालांकि कोर्ट ने उन्हें बेल दिया। जिसके पश्चात थाना प्रभारी के पर्सनल ड्राइवर का ऑडियो वायरल हुआ था जिसमें रिखिया हाट पर मिलकर बात करने की बात की जा रही थी। हालांकि एसपी सुभाष चंद्र जाट के निर्देश पर साइबर डीएसपी व सीसीआर डीएसपी मैं संयुक्त रूप से इस मामले का जांच किया था। चूंकि थाना प्रभारी की संलिप्तता पाए जाने के बाद 1 महीना बीत जाने के बाद भी किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई। इस पर सवाल उठना लाजमी होगा कि पुलिस बड़े अधिकारी को फसते मामले की लीपापोती में जुट जाती है।