कांग्रेस ने कसी कमर, पीके के पूर्व सहयोगी को जोड़ा अपने साथ

दिल्ली व्यूरो
दिल्ली: चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के पूर्व सहयोगी अब कांग्रेस के लिए काम करेंगे। इनका नाम सुनील कानुगोलू है और वह आईपैक में काम करते वक्त किशोर के करीबी थे। आईपैक प्रशांत किशोर की कंपनी है, जो राजनीतिक दलों के लिए चुनाव रणनीति बनाने का काम करती है।
सुनील को आने वाले चुनावों में कांग्रेस के प्रचार अभियान की योजना बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। सुनील को यह जिम्मेदारी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के बाद दी गई है। प्रशांत किशोर के सहयोगी के तौर पर सुनील बीजेपी, डीएमके, एआईएडीएमके और अकाली दल के लिए काम कर चुके हैं।
साल 2023 में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इनमें अधिकतर राज्यों में बीजेपी के मुकाबले में कांग्रेस ही है। साल 2022 के अंत में हिमाचल प्रदेश और गुजरात में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं और इन राज्यों में भी बीजेपी का मुकाबला कांग्रेस से है।
2024 के आम चुनाव से पहले अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कांग्रेस प्रचार अभियान में किसी तरह की कसर नहीं छोड़ना चाहती।
बीते साल इस बात की जोरदार चर्चा थी कि प्रशांत किशोर कांग्रेस के प्रचार अभियान का काम संभाल सकते हैं। प्रशांत किशोर की कांग्रेस में शामिल होने और उन्हें कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिए जाने की भी चर्चा जोरों पर थी। प्रशांत की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से बातचीत भी हुई थी लेकिन बात परवान नहीं चढ़ सकी। उसके बाद प्रशांत किशोर ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर टिप्पणी भी की थी।
प्रशांत किशोर इन दिनों पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ काम कर रहे हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव से भी उनकी हाल में मुलाकात हुई है।
तेलंगाना में भी साल 2023 में विधानसभा के चुनाव होने हैं और इसके साथ ही 2023 में कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे अहम राज्यों में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं।
इन राज्यों के चुनाव नतीजे विपक्षी दलों के बीजेपी के खिलाफ बनने वाले फ्रंट या फिर यूपीए की अगुवाई कौन करेगा, इसे भी तय करेंगे। कांग्रेस इस बात को बेहतर ढंग से जानती है कि ममता बनर्जी और के. चंद्रशेखर राव विपक्षी दलों का एक फ्रंट बनाने की कोशिश में हैं और ऐसे में उसके लिए चुनौतियां ज्यादा हैं।
देखना होगा कि सुनील अपने चुनाव प्रचार रणनीति बनाने के अनुभव से कांग्रेस को कोई फायदा दिला पाते हैं या नहीं।

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