राजनीतिक संवाददाता द्वारा
पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीति आयोग से नाराज हैं और अब उनके भाषणों में आयोग की रैंकिंग में पिछड़ा करार दिये जाने पर असहज दिखते हैं. हालांकि बिहार सरकार ने औपचारिक रूप से पूरे मसले पर अपना पक्ष रखते हुए विशेष राज्य के दर्जे की मांग की है. लेकिन नीतीश ने इस रैंकिंग पर बचाव की मुद्रा की बजाय आक्रामक रुख अपनाते हुए मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग के एक कार्यक्रम में सात बार कहा कि बिहार तो पिछड़ा राज्य है, लेकिन देख लीजिए हम लोग कितना काम कर रहे हैं.
नीतीश मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की कई योजनाओं का लोकार्पण, शिलान्यास कर रहे थे. वहां अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में नयी तकनीक का इस्तेमाल कर कितना काम किया जा रहा है लेकिन हमारा तो पिछड़ा राज्य है, सबसे पिछड़ा राज्य है. लेकिन काम में हमलोग नहीं पीछे हैं. उसके बाद उन्होंने पिछड़ेपन का कारण गिनाते हुए कहा कि हम इसलिए पिछड़ा हैं क्योंकि बहुत अधिक आबादी है और क्षेत्रफल कम है. उन्होंने कहा कि जितना काम कर रहे हैं उसका फ़ायदा कैसे होगा क्योंकि इतनी अधिक आबादी है. उन्होंने फिर दोहराया कि हम लोग पिछड़ा हैं.
फिर नीतीश कुमार ने कोरोना से सम्बंधित टेस्टिंग का ज़िक्र करते हुए कहा कि देख लीजिए प्रति दस लाख आबादी पर राज्य में पांच लाख का टेस्ट हो रहा है जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है. उन्होंने फिर दोहराया, थोड़ा गौर से देख लीजिएगा कि पिछड़ा राज्य की क्या स्थिति है. नीतीश कुमार के लहजे और बार-बार पिछड़ेपन का ज़िक्र करने से साफ़ है कि वो एक बार फिर इस मुद्दे पर अपनी विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर सार्वजनिक बहस चाहते है. हालांकि उन्हें ये सच पता है कि केंद्र में भले वो सरकार में शामिल हों लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ़िलहाल ऐसी मांगों को मानने से रहे.
इसी भाषण के दौरान नीतीश ने हाल में मुज़फ़्फ़रपुर के एक निजी अस्पताल में आंखों के ऑपरेशन में लोगों की रोशनी जाने पर चिंता ज़ाहिर की और प्राइवेट अस्पताल और क्लिनिक पर नकेल कसने का आदेश अधिकारियों को दिया. साथ ही उन्होंने वादा किया कि प्रभावित परिवार के लोगों को आर्थिक सहायता भी राज्य सरकार उपलब्ध कराएगी.