शिक्षा प्रतिनिधि द्वारा
नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद (एसी) ने शुक्रवार को अगले शैक्षणिक सत्र से स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एक सामान्य प्रवेश परीक्षा (सीईटी) शुरू करने की योजना को मतभेद के साथ पारित कर दिया। परिषद के सदस्यों ने इस बात की जानकारी दी। प्रस्ताव को लागू करने से पहले विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के अनुमोदन की आवश्यकता होगी।
क परिषद द्वारा पारित प्रस्ताव पर चर्चा के लिए अगले सप्ताह निकाय की बैठक होने की उम्मीद है। शैक्षणिक परिषद, जिसमें लगभग 100 सदस्य हैं, ने प्रवेश सुधारों पर विचार-विमर्श करने के लिए अक्टूबर में गठित नौ सदस्यीय डीयू समिति द्वारा प्रस्तुत सिफारिशों पर चर्चा के बाद एजेंडा पारित किया। परीक्षा डीन डीएस रावत की अध्यक्षता में समिति का गठन कुलपति योगेश सिंह ने अक्टूबर में स्नातक पाठ्यक्रमों में इष्टतम प्रवेश के लिए वैकल्पिक रणनीति का सुझाव देने के लिए किया था।
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अब इस विषय पर 17 दिसंबर को होने वाली कार्यकारी परिषद की बैठक में चर्चा की जाएगी। अकादमिक परिषद की बैठक शुक्रवार को हुई थी, बैठक में 26 निर्वाचित सदस्यों में से 17 ने इस मुद्दे पर असमति जताई। इसके बावजूद साझा प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया। अब 17 दिसंबर को कार्यकारी परिषद की बैठक में अंतिम फैसला लिया जाएगा।
पारिषद में शामिल कुछ लोगों ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश परीक्षा करवाकर दाखिले लेने से कोचिंग इंस्टीट्यूट की संख्या बढ़ेगी, जो सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित छात्रों के लिए अहितकारी होगा। वहीं कई लोगों ने कहा कि इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तरह छात्र डीयू की तैयारी के लिए कोचिंग लेंगे, जिससे वह अपने स्कूल की पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाएंगे। बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह की ओर से गठित नौ सदस्यीय पैनल ने सिफारिश की थी कि दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए, जिससे की छात्रों के प्रवेश में निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।