इस साल भी झारखंड में सुखाड़ के संकेत

इस साल भी झारखंड में सुखाड़ के संकेत

News Agency : झारखंड में मानसून के विलंब से आने और रुक-रुक कर होने वाली बारिश का असर खरीफ फसल पर देखने को मिलने लगा है। जुलाई का पहला पखवाड़ा बीत चुका है लेकिन राज्य की मुख्य फसल धान का आच्छादन लक्ष्य के महज 11 फीसद तक ही पहुंच सका है। दर्जन भर जिलों में रोपाई का कार्य अब तक शुरू नहीं हो सका है। गत वर्ष 129 प्रखंडों में पड़े सुखाड़ के बाद इस वर्ष भी संकेत कुछ अच्छे नहीं दिखाई दे रहे हैं। अगर बारिश का रुख एक सप्ताह और कमजोर रहा तो परिणाम गत वर्ष से भी खराब हो सकते हैं।राज्य सरकार ने इस वर्ष भी धान के लिए 1800 हजार हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य निर्धारित किया है जिसके सापेक्ष 16 जुलाई तक 198 हेक्टेयर में धान की रोपाई हो सकी है, जो कि लक्ष्य का महज eleven प्रतिशत ही है। हालांकि कृषि विभाग अब तक की खेती की रिपोर्ट से नाउम्मीद नहीं है। विभाग को भरोसा है कि आंकड़े में जल्द ही तब्दीली देखने को मिलेगी। जुलाई माह में अब तक इस माह होने वाली औसत बारिश का 40 फीसद बारिश हुई है। उप कृषि निदेशक मुकेश कुमार सिन्हा फिलहाल स्थिति को खराब नहीं मानते।कहते हैं कि बिचड़ा तैयार होने में करीब 20 दिन लगते हैं, इसके बाद खेती शुरू होती है। 31 जुलाई तक आंकड़ों में बड़ी तब्दीली देखने को मिलेगी। हालांकि, वे स्वीकारते हैं कि बारिश के विलंब से शुरू होने से खेती का कार्य भी देरी से शुरू हुआ है और आगे भी हमारी उम्मीदें बारिश पर टिकी हुई हैं। बता दें कि जुलाई माह में झारखंड में औसतन 319 मिमी बारिश होती है। 16 जुलाई तक 127 मिमी बारिश रिकार्ड की गई है जो कि इस माह होने वाली बारिश का 40 प्रतिशत है।अगले पखवाड़े होने वाली अच्छी बारिश पर राज्य की फसल की उम्मीदें टिकी हुईं हैं। कृषि के जानकारों की मानें तो झारखंड में छीटा और रोपा दो तरह से धान की खेती की जाती है। चाईबासा जैसे जिन जिलों में छीटा को अपनाया जाता है वहां कवरेज अच्छा है जबकि हजारीबाग व पलामू में जहां रोपा किया जाता है, वहां अब तक शून्य परिणाम ही दिखाई दे रहा है।

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