News Agency : लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हार क्या मिली, एक तरह से पूरी पार्टी पर ही संकट के बादल मंडराने लगे। कहां पार्टी को उम्मीदें थीं कि इस चुनाव में वह अच्छा प्रदर्शन करेगी और उन राज्यों में भी मजबूत हो सकेगी जहां अभी उसकी हालत कमजोर है। लेकिन हो गया सब उल्टा। उन राज्यों में भी पार्टी में झगड़े बढ़ गए जहां सरकारें हैं और इस सबसे निपटना भी आसान नहीं रह गया। इसके अलावा, एक के बाद नेताओं के इस्तीफों ने हालात और ज्यादा खराब कर दिए। खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के इस्तीफे की पेशकश के बाद तो ऐसा लगने लगा है कि जैसे अब सब कुछ पार्टी के हाथ से निकलता जा रहा है। अभी भी इसको लेकर संशय बना हुआ है कि राहुल अध्यक्ष बने रहेंगे अथवा अपने इस्तीफे पर अड़े रहेंगे। हालांकि पार्टी की ओर से इस तरह के संकेत दिए जा रहे हैं कि वही अध्यक्ष हैं और रहेंगे। लेकिन इसका असर भी पार्टी पर पड़ ही रहा है। इसके अलावा, जिस तरह से राज्य इकाइयों में गुटबाजी और झगड़े सामने आ रहे हैं, उससे लगता है कि कांग्रेस का संकट कम होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है।
सबसे ताजा संकट तेलंगाना में खड़ा हुआ जहां पार्टी के कांग्रेस के 12 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया और सत्ताधारी टीआरएस में शामिल हो गए। इसका असर यह हुआ कि वहां कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी नहीं रही बल्कि एक तरह से तीसरे स्थान वाली पार्टी हो गई। तेलंगाना में कांग्रेस के 19 विधायक थे। एक विधायक सांसद बन जाने के बाद इस्तीफा दे चुके थे। इन 12 विधायकों के इस्तीफे के बाद पार्टी विधायकों की संख्या छह ही रह गई। एआईएमआईएम के सात विधायक हैं जो अब दूसरे नंबर की पार्टी हो गई है। इससे पहले महाराष्ट्र में वरिष्ठ कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने त्यागपत्र दे दिया। इससे पहले एक अन्य विधायक अब्दुल सत्तार पार्टी से निष्कासित किए जा चुके हैं। सत्तार का दावा है कि कांग्रेस के आठ से दस विधायक पाला बदलकर भाजपा में जा सकते हैं। गुजरात में विधायक अल्पेश ठाकोर पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं। अल्पेश विधानसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस में आए थे। अब अल्पेश यह भी कह रहे हैं कि गुजरात के करीब एक दर्जन से ज्यादा विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जा सकते हैं।