News Agency : मोदी सरकार ने किसानों से एक बार फिर छल किया है। चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार ने ‘किसान सम्मान निधि योजना’ के तहत किसानों को हर साल half dozen हजार रुपए देने की घोषणा की थी। जिसकी पहली किश्त a pair of हजार रुपए मतदान से कुछ दिन पहले किसानों के खाते में डाले भी गए। लेकिन जिन इलाकों में चुनाव संपन्न हो गए हैं, वहां के किसानों के खाते से आश्चर्यजनक रूप से पैसे वापल ले लिए गए। अकेले मुजफ्फरनगर से three हजार से ज्यादा किसानों की राशि वापस चली गई है। आलम यह है कि इस गर्मी में भी किसानों को बैंकों और सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। लेकिन इसका भी उन्हें कोई फायदा नहीं मिल रहा है, क्योंकि सरकारी अफसर और बैंक कर्मचारी कुछ भी बताने में असमर्थ हैं। मुजफ्फरनगर की प्रभारी डीएम अर्चना वर्मा के मुताबिक इस तरह की शिकायत मिली हैं और शासन को पत्र भेजा जा चुका है।ऐसा लगता है जैसे यह कोई तकनीकी खराबी हुई है। गौरतलब है इससे पहले गोरखपुर,बाराबंकी और कानपुर में भी हजारों किसानों को मिला यह पैसा वापस हो गया था। मुजफ्फरनगर के अलीपुरा गांव के ब्रजपाल के मुताबिक उनके खाते में भी किसान सम्मान निधि योजना तहत a pair of हजार रुपए आए थे। लेकिन जब वो बैंक में पैसा निकालने गए तो वहां बताया गया कि उसका पैसा वापस हो गया है। भोपा के किसान मनोज राठी के साथ यही हुआ। भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष राजू अहलावत ने बताया कि यह बात सही है कि किसानों के खाते से पैसे वापस हो गए हैं। उनका कहना है कि अगर सरकार को पैसे देने ही नहीं थे तो फिर इसका ढिंढोरा क्यों पीटा गया। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार के अंतरिम बजट में किसान सम्मान निधि की घोषणा की थी। इसके तहत लगभग twenty seven बीघा जमीन से कम वाले किसानों के खाते में half dozen हजार रुपए सलाना भेज जाने थे। यह रकम तीन किस्तों में किसानों को दिया जाना था। उत्तर प्रदेश के a pair of लाख twenty हजार किसानों को भी इस योजना के तहत पैसे मिलने थे। सरकार का कहना है कि इनमें से one लाख three हजार किसानों के खाते में पहली किस्त भेज दी गई है। लेकिन अब हजारों किसानों के खाते से पैसे वापस ले लिए गए हैं। इसके बारे में बैंक अधिकारी भी कुछ बताने में असमर्थ हैं। वहीं किसानों का कहना है कि उनके साथ धोखा किया गया है। किसान महेश कुमार के अनुसार उनके साथ धोखा हुआ है। एक और किसान मंसूर के मुताबिक मोदी ऐसे ही करने के लिए बदनाम हो चुके हैं। कृषि विभाग मुजफ्फरनगर में इस तरह की अब तक a pair of हजार शिकायतें आ चुकी है। रसूलपुर के किसान और पूर्व प्रधान शकील अहमद के मुताबिक सूची में नाम दर्ज करवाने के लिए स्थानीय लेखपालों ने किसानों से रिश्वत भी लिए। उनका कहना है कि नाम दर्ज करवाने के बदले लेखपालों ने किसानों से पांच-पांच सौ रुपए रिश्वत लिए। इसके बाद से विपक्षी दल भी मोदी सरकार के इस योजना पर सावल उठाने लगे हैं। आरएलडी के प्रवक्ता अभिषेक चौधरी का कहना है कि इस नरेंद्र मोदी अगली बार पीएम नहीं बनने जा रहे हैं, क्योंकि वो कहते कुछ और करते कुछ हैं। उनका कहना है कि किसानों को खैरात की जरूरत नहीं थी । उसे उसकी फसलों का वाजिब दाम और गन्ने का पेमेंट मिल जाएं तो किसान उसी में खुश है। अभिषेक का कहना है कि यह योजना एक भ्रम थी जिसे चुनाव से ठीक पहले किसानों को बरगलाने के लिए लाया गया था। अब चुनाव हो गए हैं तो पैसा वापस हो गया। किसान भोले भाले होते हैं।वो जरूरत पड़ने पर बैंक गए तो सच सामने आया। कृषि उपनिदेशक नरेंद्र कुमार के मुताबिक राशि किसानों के खाते में सीधे दिल्ली से भेजी गई थी और वहीं वापस चली गई। उनका कहना है कि बहुत सारे किसानों की इसतरह की शिकायतें आ रही हैं। नरेंद्र के मुताबिक अब तक a pair of हजार किसान इससे संबंधित शिकायत दर्ज करवा चुके हैं।बताया जा रहा है कि मुजफ्फरनगर में कुल forty one करोड़ रुपए भेजे गए थे। अब इनमें से कितना पैसा वापस चला गया है यह बैंक अधिकारी नहीं बता पा रहे।
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