News Agency : 2019 के सियासी महासंग्राम में अब केवल दो चरणों का चुनाव होना बाकी है और उत्तर प्रदेश की बची हुईं twenty seven लोकसभा सीटों को लेकर प्रदेश का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। भाजपा के अलावा सपा-बसपा-आरएलडी महागठबंधन और कांग्रेस की मौजूदगी से यूपी का चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। भाजपा जहां इस बार यूपी में seventy three से ज्यादा लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने का दावा कर रही है तो वहीं महागठबंधन और कांग्रेस भी लगातार अपने मंचों से कह रहे हैं कि वो इस बार बीजेपी को दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं करने देंगे।
इस बीच सपा मुखिया अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री पद के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती लेकर एक बड़ा बयान दिया है। मुंबई मिरर’ को दिए गए एक इंटरव्यू में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पहली बार खुलकर प्रधानमंत्री पद के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती का समर्थन किया है। अखिलेश यादव ने कहा कि वो देश के सर्वोच्च पद यानी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बसपा सुप्रीमो मायावती को देखना चाहते हैं और उन्हें इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम करने में खुशी होगी।
अखिलेश यादव ने कहा, ‘हमारी महत्वाकांक्षाएं कभी नहीं टकराती हैं। मैं उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में देखने की पूरी कोशिश कर रहा हूं और वो मुझे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में देखने के लिए पूरी कोशिश कर रही हैं।’ आपको बता दें कि इससे पहले अखिलेश यादव इशारों-इशारों में मायावती का समर्थन करने की बात कहते रहे हैं। यह पहली बार है जब अखिलेश यादव ने यूपी की सियासत में कभी उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक प्रतिद्वंदी रहीं मायावती का प्रधानमंत्री पद के लिए खुलकर समर्थन किया है। इससे एक दिन पहले ही उत्तर प्रदेश की अपनी एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस से हाथ मिला लिया है और वो मायावती को मूर्ख बना रहे हैं।
बसपा प्रमुख मायावती ने पीएम के ऊपर आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महागठबंधन में फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, इस इंटरव्यू में अखिलेश यादव ने कहा कि देश का अगला प्रधानमंत्री गठबंधन से होगा और उन्हें बहुत खुशी होगी कि अगर वो एक महिला हो। बसपा प्रमुख मायावती के साथ अपने तालमेल के बारे में बात करते हुए अखिलेश ने बताया, ‘पहले भी हम दोनों नेताओं के बीच कोई बहुत तनावपूर्ण रिश्ते नहीं थे। मई 2018 में हम दोनों बेंगलुरू में थे और हम दोनों ही खुश थे कि भाजपा कर्नाटक नहीं जीत सकी। हालांकि, हम एक दूसरे से यह बात नहीं कह सकते थे। हम लोगों को गठबंधन का फैसला लेने में थोड़ा समय लगा लेकिन अब दोनों नेता एक दूसरे पर पूरी तरह भरोसा करते हैं। बसपा के साथ गठबंधन करने के बाद मुझे अनुशासन, फोकस और संगठन को लेकर मायावती की खूबियों के बारे में पता चला।
हालांकि मायावती सोशल मीडिया की बहुत बड़ी प्रशंसक नहीं हैं, लेकिन उनके कैडर का अनुशासन और जमीनी स्तर का संगठनात्मक कौशल उनकी मजबूती है।’ अखिलेश यादव ने कहा, ‘हम दोनों नेताओं के बीच गठबंधन होने का एक कारण कांग्रेस भी है। सबसे पहले कांग्रेस ने ही मेरे पिता के पीछे सीबीआई को लगाया। सीबीआई ने मायावती को भी काफी परेशान किया।’ आपको बता दें कि बसपा अध्यक्ष मायावती ने बीते मार्च में ही स्पष्ट कर दिया था कि वो लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के साथ किसी भी राज्य में कोई गठबंधन नहीं करेंगी।
इसके बाद अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर कहा कि सपा-बसपा और आरएलडी का महागठबंधन यूपी में भाजपा को हराने की क्षमता रखता है और कांग्रेस उनके साथ जुड़ने को लेकर किसी भी तरह का कोई भ्रम ना फैलाए। यूपी में महागठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी thirty seven, बसपा thirty eight और आरएलडी three सीटों पर चुनाव लड़ रही है। वहीं अमेठी और रायबरेली की सीटों पर महागठबंधन ने कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है।