News Agency : झारखंड राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में इन दिनों गरीब मरीजों एवं उनके परिजनों को पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल पा रहा है, यह राज्य के लिए सबसे शर्मनाक की बात है, उक्त बातें झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रवक्ता डाॅ. एम. तौसीफ ने कही। डाॅ तौसीफ ने कहा कि रिम्स में झारखंड विभिन्न जिलों से बड़ी तदाद में गरीब परिवार के लोग बेहतर इलाज के लिए आते हैं, हर रोज ओपीड़ी में लगभग 1200-1500 के बीच मरीजों का रजिस्ट्रेशन होता है लेकिन मरीजों को और उनके परिजनों को साफ पानी भी अस्पताल प्रबंधक उपलब्ध नहीं करा पा रही है।
मरीजों के परिजन वार्ड से लेकर पूरे हाॅस्पिटल का चक्कर लगाते हैं लेकिन अस्पताल के अंदर पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है, परिजन बेवश होकर बाहर से मिनिरल वाटर खरीदना पड़ता है। डाॅ एम. तौसीफ ने कहा कि बड़े बड़े दावा करनी वाली भाजपा सरकार पांच सालों में राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स की व्यवस्था को दुरूस्त नहीं करा सकी है तो ऐसे में गरीब मरीजों का बेहतर इलाज कैसे संभव हो पायेगा। रिम्स में मरीजों के इलाज के दौरान जांच की जाने वाले मशीनों की व्यवस्था बहुत ही लचर है।
मरीजों का इलाज रिम्स में होता है लेकिन सभी जांचें मरीजों को बाहर करवानी पड़ती है। ब्लड बैंक में ब्लड की कमी रहती है। अगर किसी मरीज को खून की आवश्यकता पड़ती है तो उन्हें अपने स्तर से खून की व्यवस्था करनी पड़ती है चूंकि रिम्स का ब्लड़ बैंक के स्टाॅक में जितना ब्लड होना चाहिए उतनी रहती नहीं हैै। डाॅ तौसीफ ने कहा कि स्वास्थ के नाम पर राज्य सरकार एवं उनका विभाग पूरी तरह से निरंकुश है। गरीब मरीजों के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में मरीजों के साथ असंवेदनशील तरीके से व्यवहार किया जाता है, जो शर्मनाक है।
डाॅ तौसीफ ने कहा कि झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास एवं भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी चुनावी सभा में बड़े-बड़े दावा करते हैं लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि गरीबों के इलाज के मामले में झारखंड राज्य सबसे पीछे है। सरकारी अस्पतालों में बेहतर इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। आयुष्मान भारत के नाम का ढिंढोरा पिटने वाली भाजपा सरकार को जमीनी हकीकत का पता होना चाहिए कि आयुष्मान कार्ड को लेकर गरीब मरीज अस्पतालों के दरवाजे पर ठोकरे खाते हैं और थकहार कर बगैर इलाज कराये वापस घर लौट जाते हैं।