लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर बनारस में विश्वनाथ मंदिर की एक गली इन दिनों चर्चा में है. क्योंकि इस गली के दुकानदारों ने एक तख्ती लगा रखी है. तख़्ती बता रही है कि 2014 को ये लोग अपनी भूल मान रहे हैं. ये दुकानदार विश्वनाथ मंदिर के ढुंढिराज प्रवेश द्वार से छत्ता द्वार तक के बीच की गली के हैं जिनकी दुकाने चौड़ीकरण की वजह से तोड़ी जा रही हैं. बनारस में 80 साल के परमेश्वर जी ने अपनी दुकान पर ये तख़्ती लगा रखी है. उन्होंने 45 साल के बेटे को खोया है. उन्हें अपने परिवार और चार बच्चों को पालना है. अकेला सहारा पूजा सामग्री की यही दुकान है. ढुंढिराज प्रवेश द्वार से छत्ता द्वार तक के बीच की गली की ये दुकान भी टूट रही है.
दुकानदार परमेश्वर नाथ कहते हैं कि ‘हमारा लड़का मर गया. अब परिवार का रोज़ी रोटी चलाना मुश्किल हो गया है. हमारा हांथ टूट गया और परेशानी बढ़ गई. यहां के लोगों से मदद लेकर दूकान खोल लेता हूं. दस बीस मिल जाता है. बस बाबा विश्वनाथ हैं जो चाहेंगे वही होगा.
दरअसल, इस गली में तकरीबन साठ से ज़्यादा दुकाने हैं जिन पर ये कहर टूटा है. ख़ास बात ये है कि ये दुकानें विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट में नहीं बल्कि विश्वनाथ मन्दिर विस्तारीकरण में टूट रही हैं. लिहाजा इनका मुवावज़ा भी अलग है. पर इन दुकानदारों को अपने मुवावजे से ज़्यादा अपने बेरोज़गार होने का दर्द है.
वहीं, दुकानदार धीरज गुप्ता कहते हैं कि “जो रोज़गार देने वाली सरकार है, रोज़गार का दवा करने वाली सरकार है, आज इस भवन को खरीद कर हम लोगों को बेदखल कर रही है. आगे जीविका का खतरा है. इसलिए हम लोग ये तख्ती लगाये हैं- ‘एक ही भूल कमल का फूल’. हमारी मांग ये है कि हमारी दूकान सत्तर-अस्सी साल पुरानी है. इसके एवज़ में सरकार हमें रोज़गार के लिए दूकान उपलब्ध कराये जिससे हम रोज़गार कर सके.
हालांकि बीजेपी नेता कह रहे हैं कि लोगों ने ये मकान अपनी इच्छा से दिए हैं और उन्हें उचित मुवावज़ा भी मिला फिर भी अगर कोई शिकायत है तो बात करेंगे.
प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता अशोक पाण्डेय कहते हैं कि “किसी का मकान छीना नहीं गया है. लोगों को उनके मकान का दुगना तिगुना छह गुना तक मुवावज़ा दिया गया है. लोगों ने कॉरिडोर बनाने के लिए स्वेच्छा से दिए हैं. दो चार दुकानदार जो एक ही भूल कमल का फूल लगाए हैं निश्चित तौर पर उनसे बातचीत की जायेगी. हालांकि, उनको भी उचित मुवावज़ा दिया गया है लेकिन निश्चित तौर पर उनसे बात करके कोई रास्ता निकला जाएगा जिससे उनकी रोज़ी रोटी की समस्या हल हो सके.” बता दें कि इसके पहले विश्वनाथ कॉरिडोर में आने वाली गलियों की सैकड़ों दुकाने टूट चुकी हैं.