भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने लोकसभा चुनावों के लिए होली की शाम को 20 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के 185 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की. इनमें प्रधानमंत्री मोदी वाराणसी से, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह गांधीनगर से, गृहमंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ से, नितिन गडकरी नागपुर से चुनाव लड़ेंगे. टिकट देते हुए पार्टी ने लगभग 99 प्रतिशत केंद्रीय मंत्रियों पर फिर से भरोसा जताया है. बीजेपी ने प्रत्याशियों की तीसरी लिस्ट जारी कर दी है. आज चौथी लिस्ट भी आने की संभावना है.
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने फैसला लिया है कि 75 से ज्यादा उम्र के नेताओं को चुनाव नहीं लड़वाया जाएगा. इसलिए घोषणा से पहले पार्टी के संगठन महासचिव रामलाल ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कलराज मिश्रा से मुलाकात कर पार्टी का फैसला सुना दिया. बीसी खंडूरी और शांता को फ़ोन पर पार्टी के फैसले से अवगत करा दिया गया. इसलिए लालकृष्ण आडवाणी की जगह बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को पार्टी ने गांधीनगर से उम्मीदवार बनाया गया और कलराज मिश्रा ने स्वयं घोषणा की कि लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. उन्हें पार्टी ने हरियाणा में चुनाव प्रभारी की जो ज़िम्मेदारी दी है, उससे वह संतुष्ट हैं.
उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने प्रधानमंत्री मोदी समेत 29 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की जिनमें मोदी सरकार में शाहजहांपुर से सांसद और कृषि राज्यमंत्री कृष्णाराज समेत 6 सांसदों के टिकट गए. संभल से सत्यपाल सैनी, आगरा से सांसद पूर्व केंद्रीय मंत्री और अनुसूचित आयोग के अध्यक्ष रामशंकर कठेरिया, फतेहपुर सीकरी से बाबूलाल चौधरी, हरदोई से अंशुल वर्मा, मिश्रिख से अंजुबाला का टिकट काटा गया है. पार्टी सूत्रों की मानें तो इन सबका नमो एप और कार्यकर्ताओं का फीडबैक के साथ-साथ पार्टी सर्वे में स्थिति जीतने लायक नहीं थी. इसलिए इनकी जगह पर नए चेहरों को जगह दी गई है. सबसे चौंकाने वाला नाम सामने आया बदायूं से संघमित्रा मौर्य का, जो योगी सरकार में मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीएसपी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे.
बहरहाल, केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के नाम की घोषणा नहीं की गई है कि वह कहां से चुनाव लड़ेंगी. सूत्रों का कहना है कि मेनका गांधी ने पार्टी नेतृत्व को कहा था वह इस बार पीलीभीत की जगह हरियाणा की करनाल सीट से चुनाव लड़ना चाहती हैं. जबकि उनके बेटे वरुण गांधी को पीलीभीत से टिकट दिया जाए. वरुण गांधी अभी सुल्तानपुर से सांसद हैं. लेकिन सूत्रों का कहना है कि बीजेपी में पिछले हफ्ते ही हरियाणा में बीजेपी में शामिल हुए पूर्व सांसद अरविंद शर्मा को टिकट देगी. इसलिए मेनका गांधी को कह दिया गया कि करनाल में नो एंट्री. ऐसे में अब मेनका गांधी चाहती हैं कि उन्हें सुल्तानपुर से और वरुण गांधी को पीलीभीत से टिकट दिया जाए. वरुण गांधी 2009 में पीलीभीत से लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. पार्टी नेतृत्व चाहता है कि मेनका गांधी और वरुण गांधी में से किसी एक को ही टिकट दिया जाए. अब देखना ये है कि पार्टी मां-बेटे पर क्या फैसला लेती है.
राजस्थान में बीजेपी ने 25 में से 16 उम्मीदवारों की घोषणा की है. झुंझनू से संतोष अहलावत का टिकट इसलिए काटा गया क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री वशुंधरा राजे से उनकी पटरी नहीं बैठती थी और सबका नमो एप और कार्यकर्ताओं का फीडबैक के साथ-साथ पार्टी सर्वे में स्थिति जीतने लायक नहीं थी. 2014 में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में 25 में से 25 लोकसभा सीटें जीती थीं. लेकिन अलवर से सांसद महंत चंद नाथ और अजमेर से सांसद सावर लाल जाट की मृत्यु के बाद उपचुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. दौसा से सांसद हरीशचंद मीणा ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का दामन थाम लिया था. सूत्रों का कहना है कि वसुंधरा राजे ने पार्टी नेतृत्व से चुनाव ना लड़ने की इच्छा जताई थी. इसलिए पार्टी ने उनके बेट दुष्यंत सिंह को चौथी बार झालावाड़ से टिकट दिया है.
कर्नाटक में बीजेपी 28 सीटों में से 21 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम घोषित कर चुकी है. पार्टी अपने सभी मौजूदा सांसदों को टिकट दिया है. शिवमोगा से बीएस येदियुरप्पा के बेटे राघवेंद्र को, हासन सीट से कांग्रेस छोड़कर दोबारा बीजेपी में शामिल हुए पूर्व मंत्री ए मंजू को, कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले विधायक डॉ उमेश जाधव को गुलबर्गा से मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ टिकट दिया. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री सदानंद गौडा, अनंत हेगड़े को पार्टी ने फिर मौका दिया है. अभी तक बेंगलुरु दक्षिण सीट से उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं हुई है. सूत्रों की मानें तो पार्टी ने अनंत कुमार की पत्नी तेजस्विनी अनंत कुमार को उम्मीदवार बनाने की सिफारिश की थी, लेकिन सह संगठन मंत्री बीएल संतोष के विरोध के बाद अनंत कुमार की पत्नी तेजस्विनी के नाम की घोषणा नहीं हो सकी.
बीजेपी ने जिस तरह से अपनी पहली लिस्ट में उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है, उसे देखकर लगता है कि पार्टी ने जोड़तोड़ करके जातिगत आधार पर जो समीकरण तैयार हुआ है वो पार्टी की रणनीति के हिसाब से सही है. लेकिन इस बार 2014 का नहीं बल्कि 2019 का चुनाव है, जहां विपक्ष न चाहते हुए भी कई राज्यों में एकजुट हुआ है.