लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर राफेल विमान सौदे में कथित गड़बड़ी का मामला चर्चा में है. सुप्रीम कोर्ट में आज राफेल डील पर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई हो रही है. केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को ही हलफनामा दायर किया गया है, जिसमें बताया गया कि रक्षा मंत्रालय से राफेल के कागजात लीक हुए थे.
अदालत में सुनवाई के दौरानअटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत को बताया कि CAG की जो रिपोर्ट अदालत में दाखिल की गई थी, उसमें कुछ कागजात नहीं थे. रिपोर्ट में शुरुआती तीन पेज शामिल नहीं थे. AG ने कहा कि उनसे गलती से पेज दाखिल नहीं हो पाए थे.जिसपर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि आप दस्तावेज़ों के विशेषाधिकार की बात कर रहे हैं, लेकिन इसके लिए आपको सही तर्क पेश करने होंगे.
सुनवाई के दौरान जस्टिस एसे कौल ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि आप अब दस्तावेज बदल रहे हैं और विशेषाधिकार की मांग कर रहे हैं. लेकिन आपने सबूत पेश किए हैं. इसके जवाब में AG ने कहा कि डॉक्यूमेंट्स दूसरी पार्टी ने पेश किए हैं, हमने नहीं.
सुप्रीम कोर्ट में AG ने RTI एक्ट का तर्क दिया और कहा कि सुरक्षा से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती हैं. जिस पर जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि जिन संस्थानों में ऐसा नियम है और अगर भ्रष्टाचार का आरोप है तो फिर जानकारी देनी ही पड़ती है.
सुप्रीम कोर्ट में सेक्शन 24 का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय इसके अंतर्गत नहीं आता है. जस्टिस जोसेफ ने इस पर जवाब दिया कि आरटीआई एक्ट के कारण किसानों को फायदा पहुंचा, हमारा एक्ट अमेरिका, ब्रिटेन से भी आगे है.
अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट में तर्क दिया कि जिन कागजों की बात हो रही है उसमें राफेल के दाम भी शामिल हैं जिससे देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है. उन्होंने कहा कि अगर युद्ध होता है तो ये देश को नुकसान पहुंचा सकता है.
केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जरनल ने कहा कि राफेल दो सरकारों के बीच का मामला है. इसलिए हमनें कैग को कहा था कि रिपोर्ट में दाम का जिक्र न करें.
प्रशांत भूषण ने कहा कि पत्रकार के लिए किसी भी कानून में सोर्स बताने की पाबंदी नहीं है. उन्होंने कहा कि 2G में भी ऐसा ही हुआ था, किसी अनजान आदमी ने सीबीआई रंजीत सिन्हा के घर का एंट्री रजिस्टर दिया था, जिससे खुलासा हुआ था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया है. प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट को कहा कि अगर राफेल पर दस्तावेज सही हैं तो फिर कोर्ट ने स्वीकार कर सकता है, भले ही दस्तावेज कहीं से भी आए हों. इस दौरान उन्होंने US की सुप्रीम कोर्ट का भी हवाला दिया.
आपको बता दें कि इससे पहले सरकार इसी कैग रिपोर्ट में गलती की बात कह चुकी थी, जिसके बाद ही इस पुनर्विचार याचिका को दाखिल किया गया था. पिछली CAG रिपोर्ट के आधार पर ही मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिली थी.