राहुल गांधी की रैली के माध्यम से कांग्रेस नेतृत्व प्रदेश में कमजोर पड़ चुके संगठन को संजीवनी देने की कोशिश में है। वर्षों से कांग्रेस की कोई ऐसी रैली नहीं हुई है जिसमें अपार भीड़ पहुंची हो, कम से कम एक लाख लोगों का आगमन हुआ है। विपक्ष के संयुक्त कार्यक्रमों में भीड़ की बात अलग है। हाल के कुछ वर्षों में लोगों को मोदी की रैली में भीड़ के पहुंचने की याद है और कांग्रेस के नेता कोशिश कर रहे हैं कि राहुल की रैली में कम से कम इतने लोग पहुंचें कि चुनाव तक स्मृति पटल पर यह छाया रहे।
कांग्रेस रैली को लेकर सिर्फ रांची में ही नहीं, दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में भी सक्रिय हो रही है। वहां भी पोस्टर-बैनर लगाने का निर्देश दिया गया है। रांची पहुंचने वाली हर गाड़ी में पार्टी और राहुल गांधी की तस्वीरों के साथ बैनर लगे होंगे। ट्रेन से पहुंचनेवाली भीड़ भी हाथ में बैनर लेकर चलेगी। कांग्रेस नेताओं की कोशिश है कि इस रैली के माध्यम से कार्यकर्ताओं में जोश भरा जाए ताकि न सिर्फ लोकसभा चुनाव बल्कि विधानसभा चुनाव में भी पार्टी का प्रदर्शन सुधरे।
पिछले चार वर्षों में दो विधानसभा उपचुनाव, राज्यसभा चुनाव और गीता कोड़ा को पार्टी में शामिल कराने जैसी जीतों से कांग्रेस भले ही उत्साहित हो, कार्यकर्ताओं का मनोबल चारों ओर नहीं बढ़ा है। प्रदेश में कहीं न कहीं कार्यकर्ताओं में जोश का अभाव दिखता है। प्रदेश कांग्रेस इसी अभाव को इस रैली के माध्यम से दूर करने की कोशिश में है। चेष्टा यह कि अगर भीड़ जुट गई तो शहर से लेकर गांव-गांव तक संदेश जाएगा।