नई दिल्ली। सीबीआइ के अतिरिक्त निदेशक एवं पूर्व अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का दोषी माना है। कोर्ट ने राव को दिनभर कोर्ट में एक कोने में बैठे रहने की सजा सुनाई थी जिसके बाद अब वो यह सजा पूरी कर चुके हैं और कोर्ट परिसर से बाहर निकले हैं। इससे पहले सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान राव ने कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी और कहा कि उन्हें अपनी गलती का अहसास है। हालांकि, उनकी मंशा कोर्ट की अवहेलना करने की कतई नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट राव की इस दलील से संतुष्ट नहीं हुआ। कोर्ट ने राव पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। राव के साथ ही कोर्ट ने कानूनी राय देने वाले अधिकारी भासुरन को भी दोषी ठहराया है।
गौरतलब है कि कोर्ट ने गत सात फरवरी को रोक आदेश के बावजूद मुजफ्फरपुर संरक्षण गृह मामले की जांच कर रहे अधिकारी एके शर्मा का सीबीआइ के बाहर तबादला करने पर इन दोनों अधिकारियों को प्रथम दृष्टया अवमानना का जिम्मेदार माना था। दोनों को 12 फरवरी को कोर्ट मे तलब किया है। इन दोनों अधिकारियों के अलावा कोर्ट ने सीबीआइ निदेशक से उन सभी बाकी अधिकारियों के भी नाम पूछे हैं जो एके शर्मा की तबादला प्रक्रिया में शामिल थे, साथ ही उन सब अधिकारियों को भी 12 फरवरी को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था।
नागेश्वर राव ने आइपीएस अधिकारी के तौर पर बेदाग सर्विस रिकार्ड का हवाला देते हुए कहा है कि उन्होंने जानबूझकर कोर्ट के आदेश की अवहेलना नहीं की है। वह ऐसा करने की सपने में भी नहीं सोच सकते। राव ने कहा है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट के गत वर्ष 31 अक्टूबर और 28 नवंबर के आदेश को देखते हुए एके शर्मा को प्रोन्नत करने के लिए सीबीआइ से रिलीव करने की कानूनी राय कोर्ट से अनुमति लिए बगैर नहीं स्वीकार करनी चाहिए थी। राव ने कहा है कि मैं अपनी गलती स्वीकार करता हूं और कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगता हूं।
राव के अलावा अभियोजन निदेशक का काम देख रहे अतिरिक्त कानूनी सलाहकार ने भी कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी है। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष संरक्षण गृह यौन उत्पीड़न मामले की जांच कर रहे अधिकारी एके शर्मा का तबादला न किए जाने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद इसी वर्ष जनवरी में जब नागेश्वर राव सीबीआइ के अंतरिम निदेशक थे एके शर्मा का तबादला सीबीआइ से सीआरपीएफ के अतिरिक्त डीजी पद पर कर दिया गया था। इस बात की जानकारी जब गत सात फरवरी को कोर्ट को हुई तो कोर्ट नाराज हो गया और उसने अधिकारियों को तलब कर लिया था।