अक्सर सभी मंदिरों में पूजा-पाठ के समय शंख बजाने का विशेष महत्व है। सेहत के लिए भी शंख बजाने फायदेमंद होता है।समुद्र मंथन के दौरान मिले 14 रत्नों में से छठवां रत्न शंख था। शास्त्रों मेइसे घर में रखने से नकरात्मक ऊर्जा नहीं आती।हिन्दू धर्म में मांगलिक कार्यो, विवाह, धार्मिक अनुष्ठानों और रोजाना पूजा-पाठ में शंख बजाया जाता है। इसे बजाने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। साथ ही धार्मिक महत्व के आलावा इसका वैज्ञानिक महत्व भी है।
शंख बजाने से निकलने वाली ओम का नाद मानसिक रोगों को दूर करता हैऔरशंखनाद से शरीर और आस-पास के वातावरण शुद्ध होता है।
रोजाना शंख बजाने से फेफड़ों से संबंधित रोग दूर होते है। साथ ही इससे दमा, कास प्लीहा, यकृत जैसे रोग दूर होता है।
शंख में रखें पानी के सेवन करने से हड्डियों को मजबूत बनती है। शंख में कैल्शियम, गंधक और फास्फोरस काफी मात्रा में पाए जाते है जो दांतो के लिए भी फायदेमंद है।
रात को शंख में पानी भर कर रख दें और सुबह इस पानी से स्किन की मसाज करें जो स्किन प्रॉब्लम के लिए शंख का पानी बहुत फायदेमंद होता है।
महिलाओं को गर्भावस्था के दौरन शंख नहीं बजाना चाहिए। शंख बजाने से गर्भ पर दबाव पड़ता है। बच्चों के बोलने की समस्या है तो बच्चे को शंख में पानी भरकर पिलाना फायदेमंद होता है।
शास्त्रों के अनुसार शाम की आरती के बाद शंख नहीं बजाना चाहिए। इससे आर्थिक नुकसान होता है।