अरुण कुमार चौधरी,
झारखंड के दूसरे चरण में दो मुख्यमंत्री, एक केंद्रीय मंत्री का दांव प्रतिष्ठा पर लगा हुआ है। इसमें सबसे दिलचस्प मुकाबला खूंटी और रांची में लग रहा है। इस चुनाव में भाजपा की ओर से आरएसएस के लोग उग्र प्रचार कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर महागठबंधन की ओर आदिवासी, ईसाई तथा मुसलमान प्रचार को लेकर उग्र रूप लिये हुये हैं। जहां आरएसएस के लोग इस चुनावी लड़ाई को अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए मोदी को फिर से सरकार बनाने का जद्दोजहद किये हुये हैं। दूसरी ओर झारखंड के आदिवासी, ईसाई और मुस्लिम वर्ग के लोग अपनी वजूद बचाने के लिए एक जुट दिख रहे हैं। झारखंड के गांवों में आदिवासी समाज को लग रहा है कि मोदी के फिर से आने पर जल, जंगल और जमीन पर पूंजीपतियो का कब्जा हो जायेगा तथा अल्पसंख्यकों के मन में डर समा गया है कि अगली बार मोदी सरकार आने के बाद हमलोगों का भारी नुकसान होगा।
इन्हीं वजहों के कारण झारखंड का लोकसभा चुनाव दिलचस्प लगने लगा है। ईसाई क्षेत्रों में महागठबंधन के उम्मीदवारों को धन से भी मदद कर रहे हैं। और इसी क्रम में रांची में कांग्रेस महागठबंधन, भाजपा तथा निर्दलिय उम्मीदवार रामटहल चौधरी में सीधा टक्कर चल रहा है। ऐसे तो रांची शहरी क्षेत्रों में भाजपा अपनी बढ़त बनाये हुये है, लेनिक ग्रमीण क्षेत्रों में भाजपा का वोट रामटहल चौधरी आराम से काट रहे हैं। क्योंकि रामटहल चौधरी को भाजपा के टिकट नहीं देने से कुड़मी और कोयरी समाज अपने को बहुत ही उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। रांची लोकसभा क्षेत्र के कई विधानसभा क्षेत्रों कायरी, कुड़मी वर्ग का बहुत बड़ा दबदबा और अधिपत्य है। जिसके कारण पिछले कई दशकों से भाजपा रामटहल चौधरी को अपना उम्मीदवार घोषित करते आ रही है। राजनीतिक जानकारों की माने तो इससे सीधा लाभ कांग्रेस को होता दिख रह है। ऐसे तो 2014 के चुनाव आजसू उम्मीदवार सुदेश महतो को 142560 वोट मिले थे और इस बार आजसू भाजपा को खुलेआम समर्थन दे रही है जिसके कारण कांग्रेस को कई कोयारी और कुड़मी ग्रामीण क्षेत्रों में नुकसान भी हो सकती है। इसके साथ-साथ कांग्रेस के उम्मीदवार सुबोधकांत सहाय को अपनी जाति-बिरादरी से भी खतरा नजर आ रहा है।
क्योंकि पिछने 2014 के चुनाव में कायस्थ लोगों ने थोक भाव से भाजपा को वोट दिया था और इस बार कायस्थ की नाराजगी दूर करने के लिए श्री सहाय ने कांग्रेस के अपने जाति के नेता स्व. लालबहादुर शास्त्री के छोटे पुत्र अनिल शास्त्री तथा शत्रुघ्न सिन्हा को कायस्थ क्षेत्रों में चुनाव प्रचार के लिए उतारे हैं। जबकि लोगों का कहना है कि जब भी सुबोधकांत मंत्री हुये हैं सबसे ज्यादा फायदा अपने जाति को ही पहुंचाया है परंतु इस बार भी कायस्थ समाज बीजेपी की ओर है। रांची संसदीय क्षेत्र में कायस्थों का वोट करीबन लाखों से भी ज्यादा है परंतु इन सारी बातों के बावजूद भी ग्रामीण क्षेत्र एवं आदिवासी, अल्पसंख्यक वोट के कारण श्री सहाय की स्थिति मजबूत लग रही है।
हजारीबाग लोकसभा :इस बार हजारीबाग क्षेत्र में लोगों के लिए सिंचाई का संकट आफत की तरह है जिसके कारण काफी लोग पलायन के लिए मजबूर हैं। हजारीबाग क्षेत्रों में ही कोनार, सेवाई, दामोदर, महाने आदि नदियों के पानी को रोककर सिंचाई हो सकती है परंतु इन पांच वर्षों में जयंत सिन्हा ने सिंचाई के बारे मे ंकोई भी एक चर्चा तक नहीं किया है। जिसके कारण स्थानीय लोगों में नाराजगी दिख रही है ऐसे तो मोदी के नाम पर जयंत सिन्हा की स्थिति मजबूत लग रही है परंतु स्थानीय लोगों का कहना है कि जयंत सिन्हा ने स्थानीय लोगों के साथ कभी भी मिलना-जुलना पसंद नहीं करते थे। इसके साथसाथ इनके यहां केवल बड़े-बड़े लोगों का पहुंच रहता था।
वहीं हजारीबाग क्षेत्र में सबसे बड़ा पैसा का बोलबाला दोंनों पक्षों में लग रहा है। सूत्रों की माने तो जहां एक ओर जयंत सिन्हा पैसे के सहारे झामुमो विधायक जेपी पटेल को अपने पाले में कर लिया है। लोगो ंका कहना है कि चुनाव में खर्च के नाम पर करीबन 50 लाख रुपये जेपी पटेल को दिया है। इसके साथ-साथ चंद्रप्रकाश चौधरी का चुनावी स्टाईल रहा है कि चुनाव के दिन प्रत्येक गांवों के बूथ पर मांस, मुर्गा भात तथा दारू की पूरी व्यवस्था रहती है और अभी वही आजसू के कार्यकर्ता जयंत सिन्हा से चुनाव के दिन वोट के लिए प्रत्येक बूथ पर 5-5 हजार रुपये की मांग कर रहे हैं और लोगों का कहना है कि प्रत्येक गांवों के बूथ पर 2.5-2.5 हजार आजसू के कार्यकर्ता को बांट दिया गया है। दूसरी ओर कांग्रेस के उम्मीदवार श्री गोपाल साहु भी पानी की तरह पैसे को बहा रहे हैं। कार्यकर्ता के प्रत्येक मोटरसाईकल पर तीन हजार रुपये तथा उनके गाड़ी के लिए छह हजार रुपये बांट रहे हैं।
इसके साथ-साथ महागठबंधन के प्रत्येक दल के नेता को प्रखंड स्तर 15-20 हजार रुपये दे रहे हैं। इसके साथ-साथ चुनाव के दिन प्रत्येक बूथ पर 10 हजार रुपये देने का लक्ष्य है। इसलिए इस बार हजारीबाग में दोनों दलों के राजनीतिक कार्यकर्ताओं जेब पूरी तरह से गरम हो रहा है। ऐसे इस समय जयंत सिन्हा की स्थिति मजबूत दिख रही है। खूंटी लोकसभा : खूंटी लोकसभा क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के कारण हाईप्रोफाइल सीट बन गई है। इस सीट पर महागठब्ांन ने पूरी ताकत के साथ अर्जुन मुंडा को हराने के लिए आदिवासी क्षेत्रों में जोर-शोर से प्रचार कर रहे हैं और लगता है कि आदिवासियो ंको अपनी ओर आकर्षित करने में कांग्रेस सफल लग रही है। ऐसे तो खूंटी के पत्थलगड़ी कांड में अर्जुन मुंडा आदिवासियो ंके साथ खड़े थे और अपनी ही सरकार को कोसते रहते थे।
जिसके कारण आदिवासियों का एक वर्ग की सहानुभूति अर्जुन मुंडा के साथ है। ऐसे इस चुनाव में रोजगार विकास और समृद्धि के सपने दोनो ंही दल दिखा रहे हैं इस क्षेत्र में अभी नक्सलियों का दबदबा काफी कम होते जा रहा है परंतु रघुवर सरकार के गलत नीति के कारण इस क्षेत्र के आदिवासी लोग भाजपा से विमुख नजर आ रहे हैं और यही सबसे बड़ी परेशानी अर्जुन मुडा को दिख रहा है। लेकिन दूसरी ओर अर्जुन मुंडा के राजनीतिक कद के सामने कालीचरण मुंडा बौने लग रहे हैं जिसका फायदा अर्जुन मुंडा को मिल रहा है। ऐसे इस क्षेत्र में आदिवासियों के मुडा समाज का ही बर्चस्व है और सभी समय मुंडा समाज के लोग ही प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं। पिछले बार इस क्षेत्र में कालीचरण मुंडा को 147015 वोट मिले थे और एनोस एक्का को 176937 वोट मिले थे जबकि कड़िया मुंडा को मोदी लहर में 269185 ही वोट मिले थे और इस बार महागठबंधन में जेएमएम, जेवीएम तथा झारख्ांड पार्टी का पूरा सहयोग कांग्रेस प्रत्याशी को मिल रहा है फिर भी लोगों का कहना है कि अर्जुन मुंडा की स्थिति मजबूत है।
कोडरमा लोकसभा : कोडरमा में बाबुलाल मरांडी के टक्कर में राजकुमार यादव भाकपा माले है।जबकि तीसरे नंबर पर भाजपा प्रत्याशी अन्नपूर्णा देवी चल रही है क्योंकि अन्नपूर्णा देवी को अपने ही पुराने राजद के साथी बड़ी मुखरता के साथ विरोध कर रहे हैं और स्थानीय भाजपा के लोग भी अन्नपूर्णा देवी को पचा नहीं पा रहे हैं यहां भाजपा को राजद के साथ-साथ भूमिहार लोग भी रवींद्र राय के कारण बड़ी ही मुखरता के साथ खड़े हैं। इसी क्रम में रवींद्र राय के बड़े भाई जो कि भाजपा के स्थानीय नेता हैं ने खुलेकर कहते हैं कि रघुवर सरकार में कोई भी काम बिना कमीशन का नहीं होता हैं और कमीश्न का पैसा रघुवर के पास सीधे जा रहा है। पिछले बार मोदी लहर में रवींद्र राय को 365405 वोट मिले थे। दूसरे प्रणव वर्मा 160638 वोट तथा कांग्रेस तिलकधारी सिंह को मात्र 60330 वोट मिले थे जो कि पूरी तरह से यह वोट अल्पसंख्यको ंका था। इस समय परिस्थिति और उम्मीदवार पूरी तरह से बदले हुये हैं।
बाबुलाल मरांडी का एक स्वच्छ छवि तथा कर्मठ नेता के रूप मे लोग देख रहे हैं और श्री मरांडी को जीताने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में झामुमो और जेवीएम तथा कांग्रेस का एक वर्ग चुनाव जीताने के लिए जी जान लगाये हुये हैं। यादवों के वोटों में पूरी तरह से बंटवारा लग रहा है और इसमें यादवों के वोट में राजकुमार यादव को ज्यादे मिलने की संभावना है और इन्हीं कारणों के कारण माले प्रत्याशी राजकुमार यादव बाबुलाल के सामने टक्कर में आ गये है। ऐसे अभी पूरे चारों लोकसभा क्षेत्रों में बाबुलाल मरांडी की स्थिति बहुत ही बेहतर मानी जा रही है। ऐसे चुनाव के सही परिणाम के लिए 23 मई तक पाठकों को इंतजार करना होगा।