आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार ने 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले को विस्फोट से भरी कार से टक्कर मार दी थी। इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। वह अचानक से पाकिस्तान बेस्ड आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद में शामिल नहीं हुआ था। जांच के दौरान पता चला है कि जैश, एक देवबंदी आतंकी संगठन जिसने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ा हुआ है, उसमें शामिल होने से पहले आदिल पूरी तरह कट्टरपंथी था। इस संगठन का मानना है कि वह इस्लामिक मिशन पर है।
सूत्रों का कहना है कि आदिल कश्मीर बेस्ड आतंकी जाकिर मूसा के संगठन अंसार गजावत-उल-हिंद का सदस्य था। जिसका दावा है कि वह अल-कायदा से जुड़ा हुआ है। संगठन जुलाई 2017 में अस्तित्व में आया था। यह अब निष्क्रिय हो चुका है क्योंकि सुरक्षाबलों ने उसके ज्यादातर सदस्यों को मार गिराया है। सूत्रों का कहना है कि आदिल 20 साल की उम्र में तब कट्टरपंथी बन गया था जब वह अंसार गजावत उल-हिंद में शामिल हुआ था। वह जल्द ही जेईएम में शामिल हो गया क्योंकि उसे लगा कि अल कायदा से जुड़ा संगठन जिहादी के तौर पर उसकी योजनाओं के लिए छोटा मंच है।
कश्मीर में जेईएम द्वारा किए गए आतंकी हमले में सूत्रों का कहना है कि जैश का मुखिया मौलाना मसूद अजहर और उसका भाई मुफ्ती अब्दुल रौफ असगर ने बहवलपुर मुख्यालय को खाली कर दिया है और पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के किसी सुरक्षित स्थान पर चले गए हैं। सुरक्षा एजेंसियां इस बात की जानकारी जुटा रही हैं कि मसूद अजहर के भतीजे मोहम्मद उमर का इस हमले में क्या हाथ है। वह पिछले साल मई-जून में पीओके से भारत आया था और उसने भारत में ‘बड़े हमलों’ को अंजाम दिया।