News Agency : चौथे चरण के मतदान के तहत बिहार में 29 अप्रैल को 5 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है। इन पांचों सीटों पर eighty six लाख के लगभग मतदाता 66 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। 5 में से 4 सीटों पर मुकाबला ज्यादातार आमने सामने ही है। सिर्फ एक बेगूसराय लोकसभा सीट पर इस बार भी 2014 की तरह ही त्रिकोणीय मुकाबला देखने के मिल रहा है। बेगूसराय में कन्हैया कुमार के सहारे सीपीआई अपने मिनी मास्को को फिर से जीतने की कोशिश कर रहा है। इन पांचों सीटों के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव समेत तमाम दिग्गज नेता इन इलाकों में जनसभा कर अपने-अपने उम्मीदवार को विजयी बनाने की पुरजोर अपील कर चुके हैं।
लेफ्ट का गढ़ होने के कारण इसे मिनी मास्को और लेनिनग्राद के नाम से भी पुकारा जाता था। बेगूसराय लोकसभा सीट पर 2014 की तरह ही त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है । एक तरफ बीजेपी के हिन्दूवादी चेहरे गिरिराज सिंह है जो अपने बयानों से यहां राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व की भावना को जगाकर एक बार फिर से इस सीट को जीतकर बीजेपी के खाते में डालने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं तो दूसरी तरफ सीपीआई के इस गढ़ को फिर से हासिल करने की कोशिश में लगे हैं कन्हैया कुमार। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से राजनीति का पाठ सीखने वाले कन्हैया कुमार की चर्चा देश-विदेश में हो रही है और जावेद अख्तर जैसे नामी-गिरामी लोग उनके चुनाव प्रचार के लिए बेगूसराय पहुंच रहे हैं।
इन दोनों के बीच तीसरे उम्मीदवार भी है जिनकी बहुत ज्यादा चर्चा भले ही नहीं हो रही हो लेकिन जमीन पर काफी मजबूत है और 2014 में वो बीजेपी से कम अंतर से हार कर दूसरे नंबर पर रहे थे। हम बात कर रहे हैं लालू यादव की पार्टी के उम्मीदवार तनवीर हसन की । यहां सबसे ज्यादा भूमिहार मतदाता है जिनकी आबादी 4.1 लाख के लगभग है । इसके बाद मुस्लिम मतदाता का नंबर आता है जिनकी आबादी तीन लाख से ज्यादा है। दिलचस्प तथ्य तो यह है कि गिरिराज और कन्हैया दोनो ही भूमिहार जाति के हैं तो वहीं राजद उम्मीदवार तनवीर हसन मुस्लिम है।