केंद्र और उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज बीजेपी के लिए इस बार राज्य के बुंदेलखंड क्षेत्र में राह आसान नहीं नजर आ रही है। आकड़ों पर नजर डालें तो 2014 के आम चुनाव में क्षेत्र की सभी चार लोकसभा सीटों पर बीजेपी को कुल 19,19,551 मत मिले थे, जबकि एसपी और बीएसपी (दोनों को मिलाकर) को 18,21,027 मत मिले थे। यानी बीजेपी को एसपी-बीएसपी के मुकाबले कुल 98,488 मत ज्यादा मिले थे। इस बार परिथितियां बिल्कुल अलग हैं। उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड में सात जिले बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी और ललितपुर हैं। इन सात जिलों में चार लोकसभा सीटें बांदा-चित्रकूट, महोबा-हमीरपुर-तिंदवारी, उरई-जालौन और झांसी-ललितपुर हैं। यहां 19 विधानसभा सीटें हैं। सभी चार लोकसभा और सभी 19 विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है।
पिछले लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र में कांग्रेस का ज्यादा असर नहीं रहा था, लेकिन इस बार प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में उतरने से कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ता एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं और यहां लड़ाई बीजेपी, एसपी-बीएसपी गठबंधन और कांग्रेस के बीच ‘त्रिकोणीय’ होती दिख रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव में बांदा-चित्रकूट से बीजेपी उम्मीदवार भैरों प्रसाद मिश्रा को 3,42,066 मत मिले थे, जबकि बीएसपी के आर.के. सिंह पटेल (अब बीजेपी विधायक मानिकपुर) को 2,26,278 और एसपी के बाल कुमार पटेल को 1,89,730 मत मिले थे।
महोबा-हमीरपुर-तिंदवारी सीट पर बीजेपी के पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल को 4,52,929 मत मिले थे, जबकि एसपी के विशंभर प्रसाद निषाद (राज्यसभा सदस्य) को 1,87,095 और बीएसपी को 1,76,360 मत मिले थे। वहीं उरई-जालौन सीट पर बीजेपी के भानुप्रताप सिंह वर्मा को 5,48,631, बीएसपी के बृजलाल खाबरी को 2,61,429 और एसपी के घनश्याम अनुरागी को 1,80,921 मत मिले थे। इसी प्रकार झांसी-ललितपुर सीट पर बीजेपी की उमा भारती को 5,75,889 मत, एसपी के चंद्रपाल सिंह यादव को 3,85,422 और बीएसपी को 2,13,792 मत मिले थे। इस प्रकार सभी चार लोकसभा सीटों पर बीजेपी को 19,19,515 और एसपी-बीएसपी को मिलाकर 18,21,027 मत मिले थे। यानी इन दोनों दलों से बीजेपी को 98,488 मत ज्यादा मिले थे।
इस बार का लोकसभा चुनाव एसपी और बीएसपी मिलकर लड़ रही हैं। पहले माना जा रहा था कि एसपी-बीएसपी गठबंधन और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई होगी। लेकिन प्रियंका गांधी के आने से कांग्रेस के पक्ष में स्थितियां काफी कुछ बदली हैं। कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ता एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं और बीजेपी खेमे में जा चुके दलितों में गैर जाटव और पिछड़ों में गैर यादव बिरादरी के मतों में सेंधमारी करने में जुट गए हैं। ऐसे में बुंदेलखंड की चारों सीटों पर बीजेपी, एसपी-बीएसपी गठबंधन और कांग्रेस के बीच ‘त्रिकोणीय’ लड़ाई से इंकार नहीं किया जा सकता।
एसपी-बीएसपी गठबंधन के सीट बंटवारे की बात करें तो बांदा-चित्रकूट और झांसी-ललितपुर एसपी के हिस्से में आई है, जबकि महोबा-हमीरपुर-तिंदवारी और उरई-जालौन बीएसपी के हिस्से में है। एसपी ने बांदा-चित्रकूट से इलाहाबाद के बीजेपी सांसद श्यामाचरण गुप्त को और झांसी-ललितपुर से श्यामसुंदर सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतारा है। बीएसपी ने महोबा-हमीरपुर से ठाकुर दिलीप कुमार सिंह को और उरई-जालौन से अजय सिंह पंकज (जाटव) पर भरोसा जताया है। कांग्रेस ने बांदा-चित्रकूट से ददुआ के भाई और मिर्जापुर से एसपी के पूर्व सांसद बालकुमार पटेल को टिकट दिया है, जबकि महोबा-हमीरपुर-तिंदवारी से प्रीतम सिंह लोधी ‘किसान’ पर दांव लगाया है। इसी प्रकार कांग्रेस ने उरई-जालौन में बीएसपी के पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी और झांसी-ललितपुर से पूर्व मंत्री और जन अधिकार मंच (पार्टी) के अध्यक्ष बाबू सिंह कुशवाहा के भाई शिवशरण सिंह कुशवाहा को चुनावी समर में उतारा है।
वहीं बीजेपी ने महोबा-हमीरपुर से अपने मौजूदा सांसद पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल और उरई-जालौन से सांसद भानुप्रताप सिंह वर्मा को फिर से टिकट दिया है। बीजेपी ने अभी बांदा-चित्रकूट और झांसी-ललितपुर सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। राजनीतिक विश्लेषक बुजुर्ग अधिवक्ता रणवीर सिंह चौहान कहते हैं, “इस बार बुंदेलखंड का चुनावी परि²श्य बिल्कुल बदला हुआ है। पिछले चुनाव में गैर जाटव दलित और गैर यादव पिछड़े वर्ग के मतदाता एकमुश्त बीजेपी के खाते में गए थे। इस बार ये मतदाता पलटी मार सकते हैं और विकल्प के तौर पर कांग्रेस के साथ जा सकते हैं।”
चौहान कहते हैं, “पिछले चुनाव में बीजेपी ने ‘अच्छे दिन आएंगे’ और ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे की बदौलत जीत हासिल की थी। लेकिन बुंदेलखंड में न तो ‘अच्छे दिन’ आए और न ही किसी का विकास हुआ। दलित और पिछड़े वर्ग के खिलाफ कई ऐसे अपराध हुए हैं, जिससे यह वर्ग विचलित हुआ है। ऐसे वक्त में बीएसपी और एसपी भी उनके साथ नहीं रहे थे। फिर ये समुदाय कभी कांग्रेस का परंपरागत समर्थक रहा है। उन्होंने आगे कहा कि बीएसपी की नजर में अनुसूचित वर्ग में सिर्फ जाटव ही उसका वोट बैंक है और इसी समुदाय को वह तवज्जो देती रही है। बाकी अन्य समुदाय कोरी, धोबी, बाल्मीकि, खटिक, कुछबंधियां, भाट, कंजर आदि राजनीतिक हिस्सेदारी न दिए जाने से खुद को उपेक्षित मानते रहे हैं। यही वजह है कि पिछले चुनाव में इस समुदाय के मतदाता बीजेपी के साथ चले गए थे, जो अब बदलाव के मूड में हैं। यही स्थिति पिछड़े वर्ग में आने वाले कहार, आरख, काछी, कुम्हार, कुर्मी, केवट की भी थी।
हालांकि, बीएसपी के बुंदेलखंड समन्वयक और पूर्व मंत्री गयाचरण दिनकर कहते हैं, “बीएसपी सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय के नारे को अंगीकार करती है और जाति व संप्रदाय की राजनीति से दूर रहती है। इस बार एसपी-बीएसपी गठबंधन बुंदेलखंड की सभी चारों सीटें जीतेगा। कांग्रेस यहां सिर्फ ‘वोट कटवा’ की स्थिति में है। वहीं, कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के संगठन मंत्री साकेत बिहारी मिश्र बुंदेलखंड की तीन सीटें जीतने का दावा करते हैं। वह कहते हैं, “उरई-जालौन, महोबा-हमीरपुर और झांसी-ललितपुर में उनके उम्मीदवार अच्छे मतों से चुनाव जीत रहे हैं और बांदा-चित्रकूट में त्रिकोणीय लड़ाई होगी। यही नहीं प्रियंका गांधी की सक्रियता से प्रदेश की सभी 80 सीटों पर कांग्रेस का ग्राफ बढ़ा है और वह लड़ाई में है। हालांकि, बीजेपी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के बुंदेलखंड अध्यक्ष इन्द्रपाल सिंह पटेल दावा करते हैं कि “एसपी-बीएसपी गठबंधन के कार्यकर्ता एक-दूसरे को पचा नहीं पा रहे हैं और कांग्रेस खुद के पुनर्जीवित होने की लड़ाई लड़ रही है। बीजेपी चारों सीटों पर एकतरफा जीत हासिल करेगी।