कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यदि चुनाव के समय दावे के साथ कहते हैं कि “मोदी और आरएसएस से सिर्फ कांग्रेस ही लड़ सकती है” तो इसके पीछे उनकी उम्मीदों को समझा जा सकता है। उन्होंने यूपी जैसे बड़े राज्य में अकेले चलने का फैसला किया है और दिल्ली में गठबंधन करने की आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की मिन्नतों को ठुकरा दिया है, तो इसके पीछे भी उनका कुछ न कुछ गणित जरूर है। दरअसल, मौजूदा राजनीतिक हालात में 2014 के चुनाव का विश्लेषण करें तो कांग्रेस के बढ़े हौसले की वजह समझने में आसानी रहेगी। दरअसल, पिछले लोकसभा चुनाव में सिर्फ 44 लोकसभा सीटें जीतने वाली कांग्रेस मौजूदा चुनाव में भी 268 या उससे ज्यादा सीटों पर सीधी टक्कर देने की स्थिति में आ सकती है। इनमें से कई सीटें उन राज्यों में है, जहां इस बार कांग्रेस की स्थिति पहले से काफी सुधरी है। यानी अगर पार्टी मुकाबले को डटकर लड़ी, तो नतीजे चौंकाने वाले आ सकते हैं।
मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, पंजाब और कर्नाटक में कांग्रेस के पास इस दफे अपना प्रदर्शन बेहतर करने का सुनहरा मौका है। इन 6 राज्यों में लोकसभा चुनाव के बाद हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी ने 5 में अपनी स्थिति पहले से काफी अच्छी की है। जबकि, कर्नाटक में जेडीएस(JDS) के साथ गठबंधन होने से दोनों दलों की उम्मीदें बढ़ी हुई हैं। यानी इन सभी राज्यों में कांग्रेस का एनडीए के साथ सीधा मुकाबला है और अगर यहां पर पार्टी ने पिछली बार के प्रदर्शन को उलट दिया और विधानसभा चुनावों की कहानी दोहरा दी गई, तो वह दिल्ली की राजनीतिक दिशा और दशा बदल सकती है।
दरअसल पिछले चुनाव में कांग्रेस 224 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी और 44 सीटों पर उसे जीत मिली थी। यानी अबकी बार अगर वो अपनी 44 सीटें बरकरार रखते हुए बाकी 224 सीटों पर भी जोर लगाए तो लोकसभा में जादुई आंकड़े के बेहद नजदीक तक पहुंचने का दम रखती है। खास बात ये है कि इनमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक और केरल समेत 10 राज्यों में ही वो 183 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी। यानी इस चुनाव में उसके लिए अपना प्रदर्शन बेहतर करने की पूरी गुंजाइश है।
उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार समेत 9 राज्यों में कांग्रेस फिलहाल बड़ी शक्ति नहीं है। इन राज्यों में उसके मुकाबले क्षेत्रीय पार्टियां कहीं ज्यादा मजबूत हैं। कांग्रेस की दिक्कत ये है कि इन राज्यों में कुल 291 सीटें हैं। इनमें से सिर्फ 10 सीटों पर ही पिछली बार कांग्रेस जीत पायी थी और 48 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। इनमें से कांग्रेस के लिए इस बार सबसे ज्यादा उम्मीद बिहार में है, जहां उसका आरजेडी के साथ गठबंधन हुआ है और वो 9 सीटों पर एनडीए के मुकाबले में खड़ी है। दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में भी पार्टी प्रियंका गांधी वाड्रा को सक्रिय राजनीति में उतारकर अपनी दावेदारी मजबूत करने की कोशिश कर रही है। इनके अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, उत्तर-पूर्व के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की कुल 28 लोकसभा सीटों में से भी 22 पर कांग्रेस पिछली बार दूसरे नंबर पर रही थी और 5 में उसे सफलता भी मिली थी। वैसे, फिलहाल इन राज्यों में वह कोई बड़ा बदलाव कर पाएगी ऐसा लगता नहीं। लेकिन, इतना तय है कि वो अपनी मजबूत दावेदारी वाली कुल 268 सीटों पर पूरा जोर लगाए, तो वह अपने चुनाव परिणामों से निश्चित तौर पर चौंका सकती है।
(रंजन कुमार चौधरी)