वैशाली में कौन बनेगा भाग्यशाली?

Who will be lucky in Vaishali?

आलोक कौशिक, भूमिहार समुदाय पूरे बिहार में लालू प्रसाद यादव और आरजेडी का सबसे मुखर विरोधी रहा है लेकिन इस बार वैशाली में इस समुदाय के कई लोगों का यह मानना है कि उनकी वफ़ादारी का इनाम भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें नहीं दिया है। लेकिन रघुवंश बाबू की असली चुनौती वैशाली में भूमिहार नहीं हैं बल्कि राजपूत हैं। अगर उन्हें अपने समुदाय का समर्थन मिल गया तो उनकी जीत पक्की है। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र यानी “रिपब्लिक” कायम किया गया था। भगवान महावीर की जन्मस्थली होने के कारण जैन धर्मावलंबियों के लिए वैशाली एक पवित्र स्थल है। मशहूर राजनर्तकी और नगरवधू आम्रपाली भी यहीं की थीं। बिहार की वैशाली लोकसभा सीट लंबे समय तक आरजेडी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह का सियासी गढ़ रहा है लेकिन अभी यहां से वर्तमान सांसद हैं एलजेपी के रामा सिंह। रामा सिंह एलजेपी के टिकट पर 2014 में चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। 16वीं लोकसभा के दौरान उन्होंने fourteen बहसों में हिस्सा लिया और 189 सवाल सदन के पटल पर पूछे। कई विवादों में भी वे लगातार फंसते रहे। पहले जातीय वर्चस्व की लड़ाई में उनका परिवार उलझा रहा। रामा सिंह को व्यवसायी जयचंद वैद्य अपहरण कांड में दुर्ग जेल भेज दिया गया. वैशाली सीट पर वोटरों की कुल संख्या one,278,891 है। इसमें से 681,119 पुरुष वोटर हैं जबकि 597,772 महिला वोटर हैं। वैशाली संसदीय सीट के तहत विधानसभा की six सीटें आती हैं- मीनापुर, कान्ति, बरुराज, पारु, साहेबगंज और वैशाली। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इन six में से तीन सीटें आरजेडी के खाते में गई थीं। वहीं बीजेपी-जेडीयू और निर्दलीय उम्मीदवार एक-एक सीट पर जीतने में कामयाब रहे। वैशाली सीट शुरू से कांग्रेस का गढ़ रहा। वैशाली लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले पहले शख्स थे दिग्विजय नारायण सिंह। वे लगातार पांच बार यहां से लोकसभा के लिए चुने गए। वहीं इस सीट से जीतने वाली पहली महिला जनप्रतिनिधि थीं किशोरी सिन्हा। 1980 और 1984 में किशोरी सिन्हा, 1989 में उषा सिन्हा यहां से जीतने में कामयाब रहीं। 1991 में जनता दल के शिव शरण सिंह यहां से जीते। 1994 में हुए उपचुनाव में समता पार्टी की लवली आनंद इस सीट से चुनकर गईं। वे बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी हैं। इसके बाद 1996 में रघुवंश प्रसाद सिंह जनता दल के टिकट पर जीते, इसके बाद के चार चुनावों 1998, 1999, 2004 और 2009 में आरजेडी के टिकट पर रघुवंश प्रसाद सिंह वैशाली से जीतकर लोकसभा गए और केंद्र में मंत्री भी बने। 2014 के मोदी लहर में बीजेपी के सहयोगी दल एलजेपी के रामा सिंह को यहां से टिकट मिला और वे जीतने में कामयाब रहे। 16वीं लोकसभा के लिए 2014 में हुए चुनाव में वैशाली सीट से एलजेपी के रामा किशोर सिंह विजेता रहे थे। उनको 305450 वोट मिले थे। गौरतलब है कि रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी इस चुनाव में एनडीए के साथ मिलकर लड़ी थी और उसे मोदी लहर का पूरा फायदा मिला था। दो नंबर पर रहे आरजेडी उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह। जिन्हें 206183 वोट मिले। 104229 वोटों के साथ बाहुबली मुन्ना शुक्ला की पत्नी और निर्दलीय उम्मीदवार अनु शुक्ला तीसरे नंबर पर रहीं। इस सीट से 2009 के चुनाव में रघुवंश प्रसाद सिंह ने जेडीयू के विजय कुमार शुक्ला को 21405 वोट से हराया था। वैशाली लोकसभा सीट से राजद से लालू प्रसाद यादव के सबसे पुराने साथी रघुवंश प्रसाद सिंह चुनाव मैदान में हैं, तो वहीं दूसरी ओर राम विलास पासवान की पार्टी लोकतांत्रिक जनता पार्टी से वीणा देवी किस्मत आजमा रही है। वीणा देवी जदयू के एमएलसी दिनेश चंद्र सिंह की पत्नी हैं। वैसे परंपरागत तौर पर दो ऐसी बातें भी वैशाली से जुड़ी हैं जो रघुवंश प्रसाद सिंह को परेशानी में डालने वाली हैंं। एक तो वैशाली महिलाओं के लिए पसंदीदा चुनाव मैदान रहा है। यहां से चार बार महिलाएं लोकसभा में पहुंचने में कामयाब रही हैं। 1980 और 1984 का चुनाव किशोरी सिन्हा ने जीता था, जबकि 1989 में जनता दल की उषा सिन्हा और 1994 में बीजेपी के टिकट पर लवली आनंद ने चुनाव जीता था। इसके अलावा एक और बात है, यहां एक बार चुनाव हारने वाले दिग्गज नेताओं का सियासी करियर संकट में आ जाता है। उनके लिए सक्रिय राजनीति में फिर से जगह बना पाना मुश्किल होता आया है। तारकेश्वरी सिन्हा, ऊषा सिन्हा, किशोरी सिन्हा, नवल किशोर सिंह और वृषण पटेल जैसे नेता हार के बाद वापसी नहीं कर पाये। ऐसे में 2014 का चुनाव हार चुके रघुवंश बाबू के सामने इस इतिहास को बदलने का दारोमदार भी होगा।

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