अररिया की ना ही तकदीर बदली और ना ही संवरी

आलोक कौशिक,

अररिया 1990 में जिला बना। लेकिन लोकसभा का राजनीतिक पिच यहां 1967 में ही तैयार हो गया था। इन 52 सालों में अररिया लोकसभा क्षेत्र की तस्वीर भी बदली और तासीर भी बदला। आरक्षित सीट सामान्य हो गई। पूरा जिला एक संसदीय क्षेत्र में समा गया। कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, भाजपा, राजद सबने इस पर राज किया। इन सबके बीच दुर्भाग्य यह कि अररिया की ना ही तकदीर बदली और ना ही संवरी।

आज अररिया देश के 115 सबसे पिछड़े जिलों में शुमार होकर अपने राजनीतिक रहनुमाओं को कोस रहा है। न कोई मेडिकल कॉलेज, न कोई सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज। एक भी सरकारी महिला कॉलेज नहीं है। रेल मार्ग लगभग ना के बराबर। इक्का-दुक्का लंबी दूरी की ट्रनें हैं, जो जोगबनी से खुलती हैं। नेपाल की तराई में बसे करीब 32 लाख की आबादी वाले अररिया के विकास को लेकर कभी कोई राजनीतिज्ञ     संजीदा नहीं रहे। बाढ़ का दंश लोगों को हर साल दर्द देता रहा है। जबकि इसके अपेक्षा आस-पड़ोस के जिले आगे बढ़ते गये।

कब-कब किसका रहा कब्जा :-

1967 से 1977 तक दो बार कांग्रेस के तुल मोहन राम यहां से सांसद रहे। 1977 में जनता पार्टी के महेंद्र नारायण सरदार जीते। 1980 से 1989 तक दो बार में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के डुमर लाल बैठा ने जीत दर्ज की। इसके बाद नौवें, 10वें व 11वें चुनाव में जनता दल के सुकदेव पासवान ने हैट्रिक जीत दर्ज की। 1998 में भाजपा के रामजी दास ऋषिदेव ने सुकदेव पासवान को हरा दिया। 1999 में सुकदेव राजद के टिकट पर और 2004 में भाजपा के टिकट पर पुन: जीते।
सामान्य सीट होने पर बदल गई यहां की राजनीति2009 में नया परिसीमन लागू होने के बाद यह सीट आरक्षित से सामान्य हो गई। इसके बाद यहां की राजनीति बदल गई। मैदान में मो. तस्लीमुद्दीन आ गये। लेकिन भाजपा-जदयू की जोड़ी के आगे वे हार गये। परिसीमन के बाद पहली जीत भाजपा को मिली। 2014 में भाजपा व जदयू के अलग होने का लाभ मो. तस्लीमुद्दीन को मिला और वे जीत गये। कार्यकाल पूरा होने से पहले उनकी मौत हो गई। मार्च 2018 में हुए उपचुनाव में उनके बेटे सरफराज आलम को राजद के टिकट पर जीत मिली। 

वर्तमान सांसद :- सरफराज आलम

पिता की विरासत बचाने में मिली थी कामयाबी।अररिया लोस से पहली बार मैदान में आए सरफराज आलम जीत हासिल कर पिता मो. तस्लीमुद्दीन की विरासत को बचाने में कामयाब रहे। सितंबर, 2017 में राजद सांसद मो. तस्लीमुद्दीन की मौत हो गई थी। मार्च 2018 में उपचुनाव हुये। जोकीहाट की विधायकी और जदयू का साथ छोड़ सरफराज आलम ने राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा और भाजपा के प्रदीप सिंह को हराया।

कब कौन जीते और कौन हारे :-

2018 जीते: सरफराज आलम, राजद, 509334 हारे : प्रदीप कुमार सिंह, भाजपा, 447546
2014 जीते : मो. तस्लीमुद्दीन, राजद, 407978 हारे : प्रदीप सिंह, भाजपा, 261474
2009 जीते : प्रदीप सिंह, भाजपा,        282742 हारे : जाकीर खान, लोजपा,      260240
2004 जीते : सुकदेव पासवान, भाजपा 216677 हारे : रामजी ऋषिदेव, एसपी       188933

वर्तमान में :- 

कुल मतदाता 18,01,185पुरुष मतदाता 9,48,077महिला मतदाता 8,53,045थर्ड जेंडर 63 मतदान केंद्र 1723 आगामी लोकसभा चुनाव 23 अप्रैल को तृतीय चरण में ।

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