जरूरत है दहेज विरोधी राष्ट्रीय अभियान की

Need of anti-dashing national campaign

आलोक कौशिक,

अररिया जिला अन्तर्गत पलासी थाना क्षेत्र के रामनगर पंचायत के हटगांव में मंगलवार को दहेज लोभी पति ने अपने पत्नी को पहले बुरी तरह से पीटा, इसके बाद गले में रस्सी का फंदा लगाकर उसकी हत्या कर दी। घटना के बाद पति और ससुराल वाले घर छोड़कर फरार हो गए। किसी ने इसकी सूचना पलासी पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए अररिया भेज दिया। पुलिस के समक्ष पीड़ित पिता ने बेटी की हत्या करने का आरोप लगाया है। वहीं शव के शरीर पर जगह-जगह चोट के साथ गले में रस्सी लगाने के भी निशान पाए गए हैं। पलासी पुलिस का कहना है कि सुहाना (पीड़िता) के साथ पहले मारपीट की गई, उसके बाद उसके गले में रस्सी का फंदा डालकर हत्या कर दी गई। पलासी एस एच ओ ओम प्रकाश ने बताया कि मृतका के पिता के बयान पर नामजद प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। अभियुक्तों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

भारत में समय-समय पर ऐसे लोगों ने जन्म लिया है जिन्होंने अपने बलबूते भारत में व्याप्त तमाम बुराईयों, कुप्रथाओं पर लगाम लगाई है। उन महापुरुषों का आह्वान ऐसा होता था कि लोग खूद-ब-खूद आगे आकर ऐसी बुराईयों के प्रति जागरूकता पैदा करते थे। आज प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ऐसे ही व्यक्तिव के रूप में भारत के लोगों के सामने हैं। सामाजिक बुराईयों के प्रति उनकी हर एक बात को जनता सुन रही है। स्वच्छ भारत मिशन का आज यह असर है कि घर के बच्चे अपने पैरेंट्स को गाड़ी से बाहर कूड़ा फेंकने पर टोक देते हैं। रोड किनारे धड़ल्ले से मूत्र त्यागने वाले लोग चार बार इधर उधर देखकर ऐसा रिस्क उठा रहे हैं। हर घर में करो योग रहो निरोग की बातें हो रही हैं। स्वदेशी अपनाने को लेकर लोग एक दूसरे को जागरूक कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के रूप में देश हित में किए जा रहे हर एक आह्वान पर लोग तालियां बजा रहे हैं। आपकी एक आह्वान पर करोड़ों लोग मोबाइल ऐप (भीम ऐप) तक डाउनलोड कर ले रहे हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि भारत की सबसे बड़ी कुप्रथा के खिलाफ भी बिगुल फूंका जाए।

यह सही है कि कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिस पर राजनीतिक बहसबाजी शुरू हो जाती है। कुछ मुद्दे ऐसे होते हैं जिससे पार्टी का नफा या नुकसान तौलने की जरूरत पड़ती है। पर इसमें कोई दो राय नहीं कि कुछ सामाजिक कुरीतियां ऐसी होती है जिस पर कोई भी आपको गलत नहीं ठहरा सकता है। दहेज विरोधी अभियान भी एक ऐसा मुद्दा है। अगर आज नीतीश कुमार ने दहेज के खिलाफ बिहार के लोगों का आह्वान किया है तो क्या यह राष्ट्रीय आह्वान नहीं बन सकता है? मोदी जी हो सकता है नीतीश कुमार से आपकी राजनीतिक प्रतिद्वंदिता हो। हो सकता है कि आपके पार्टी के लोग आपको नीतीश कुमार के इस आह्वान से दूर होने की सलाह दें। पर आप मंथन जरूर करें। दहेज के कारण जब बेटियां जला दी जाती हैं या उनकी हत्या कर दी जाती हैं तो क्या आप खुद को माफ करने के काबिल समझ पाते हैं। नवरात्र पर नौ दिन का व्रत रखकर क्या आप यह संकल्प नहीं ले सकते कि जबतक लोग आपकी बातों को सुन रहे हैं आप दहेज के खिलाफ जोरदार आह्वान करते रहेंगे।

दहेज के मुद्दे पर पूरे देश के राजनेताओं, सरकारों और जन प्रतिनिधियों को राजनीति प्रतिद्वंदिता से ऊपर उठकर सोचने की जरूरत है। आज नीतीश कुमार ने यह आह्वान किया है। अगर इसी आह्वान को पूरे देश में आंदोलन का रूप दे दिया जाए तो हर साल हजारों की संख्या में दहेज की बली चढ़ने वाली बेटियों को सुरक्षित किया जा सकता है। दहेज के ही डर से हर साल लाखों बेटियों को कोख में ही मार दिया जाता   है। आज भी हम उस सोच से मुक्ति नहीं पा सके हैं कि बेटी पैदा हुई तो उसकी शादी के समय खेत खलियान सब बेचना पड़ेगा। इस सोच को जड़ से खत्म करने के लिए व्यापक जन आंदोलन और जनजागरुकता की जरूरत है। आज नरेंद्र मोदी इस जन आंदोलन के सबसे बड़े प्रणेता के रूप में खुद को सामने ला सकते हैं। 

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