उम्मीद पर कांग्रेस कायम रूठे राहुल

उम्मीद पर कांग्रेस कायम

News Agency : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद से ही अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने पर अड़े हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस में राहुल के मान-मनौव्वल का दौर चल रहा है. यूथ कांग्रेस के नेताओं से लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों तक, हर स्तर पर प्रयास के बावजूद राहुल इस्तीफे की जिद से टस से मस नहीं हो रहे. one माह से अधिक का समय गुजर जाने के बाद भी राहुल अपनी जिद पर, कांग्रेस उम्मीद पर कायम है. रूठे राहुल की मनुहार का सिलसिला जारी है.सोमवार को भी कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राहुल गांधी से मुलाकात की. मान-मनौव्वल का दौर two घंटे तक चलता रहा. स्वयं गहलोत और कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की पेशकश तक कर दी, लेकिन राहुल नहीं माने. मुलाकात के बाद गहलोत ने राहुल के इस्तीफा वापस लेने की उम्मीद जताते हुए कहा कि उन्होंने हमारी बातें ध्यान से सुनीं. गहलोत कार्यकर्ताओं की भावनाएं राहुल गांधी तक पहुंचाने का दावा कर रहे थे, लेकिन सवाल यह भी है कि क्या राहुल गांधी तक इतने दिनों से कार्यकर्ताओं की भावनाएं नहीं पहुंच रही थीं?राहुल गांधी से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भी मुलाकात कर मनाने की कोशिश की थी. कार्यकर्ताओं से मुलाकात के दौरान राहुल ने अपना दर्द जाहिर किया था. खबरों की मानें तो राहुल ने कहा था कि मुझे इस बात का दुःख है कि पार्टी की इतनी बड़ी हार के बावजूद पार्टी के किसी भी मुख्यमंत्री ने इस्तीफा नहीं दिया.हुल को यह आस थी कि अनुभवी हाथों में सरकार की बागडोर से पार्टी दोनों राज्यों में बेहतर प्रदर्शन करेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. राजस्थान में 2014 की ही तर्ज पर कांग्रेस खाता खोलने में भी असफल रही. वहीं मध्य प्रदेश में महज one सीट पर सिमट गई और राहुल के करीबी माने जाने वाले और प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया भी चुनाव हार गए. पार्टी के इस प्रदर्शन के बाद राहुल को दोनों नेताओं से यह उम्मीद थी कि वह इसकी जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देकर एक उदाहरण प्रस्तुत करेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

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