स्टेशन पर झाड़ू लगाने वाले की बिटिया बनी दारोगा

कहते हैं अगर सच्चे लगन से कोई भी काम किया जाये तो सफलता आपके कदमों को चूमती है. ऐसी ही कहानी है पूर्णिया की एक सफाई कर्मी की बेटी पुष्पा की जिसने अपने संघर्ष के बदौलत वो मुकाम हासिल किया है जो समाज के लिये प्रेरणा का काम करती है. दारोगा और बीपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल कर पुष्पा ने न केवल अपने परिवार और माता-पिता बल्कि पूर्णिया का भी गौरव बढ़ाया है.

पूर्णिया जंक्शन पर सफाईकर्मी का काम करनेवाले सुबोध मेहतर की बेटी पुष्पा कुमारी ने दरोगा भर्ती की परीक्षा में सफलता अर्जित की साथ ही बीपीएससी 63 वीं और 64वीं की पीटी परीक्षा में लगातार सफलता अर्जित की है. पुष्पा की इस सफलता से जहां उनके परिजन काफी खुश हैं वहीं आसपास के लोग समेत रेलकर्मी भी काफी खुश हैं. पुष्पा का कहना है कि माता-पिता और गुरु के सहयोग से आज वो इस मुकाम तक पहुंची है.

उन्होंने कहा कि उनके पिता सुबोध मेहतर रेलवे में सफाईकर्मी हैं. सीमित संसाधन के बावजूद वो काफी संघर्ष कर वे हमेशा सपोर्ट करते थे. उनके इसी सपोर्ट ने मेरा मनोबल बढाया और आज मैं इस मुकाम तक पहुंची हूं. पुष्पा ने कहा कि वो आगे भी अपना पढ़ाई जारी रखेगी और बीपीएससी में पूर्ण सफलता अर्जित कर देश और समाज की सेवा करेगी.

पुष्पा की मां गीता देवी कहती हैं कि आज उनकी बेटी ने उनका मान बढ़ाया है. बेटी की सफलता से वे लोग काफी खुश हैं. गीता देवी ने कहा कि उनकी बेटी ने काफी संघर्ष कर इस सफलता को अर्जित किया है. पुष्पा के पिता सुबोध मेहतर कहते हैं कि सरकार का नारा है कि बेटी बढाओ, बेटी पढाओ. इसी मूलमंत्र के साथ मैंने कभी बेटा और बेटी में फर्क नहीं किया.

अपनी सीमित सैलरी के बावजूद मैंने अपनी बेटी और बेटे को पढ़ाय आज उसी का परिणाम है कि उनकी बेटी पुष्पा दारोगा बनी है. आगे वो बीपीएससी में पूर्ण सफलता अर्जित कर हम सबको गौरवान्वित करेगी.

पुष्पा की बहन रुपा भी अपनी बड़ी बहन की सफलता से काफी खुश है. रुपा कहती है कि दीदी लोगों का भी काफी सहयोग करती है.<br />वहीं पूर्णिया जंक्शन के रेलकर्मी भी अपने सफाईकर्मी की बेटी की इस सफलता से काफी खुश हैं और उन्हें बधाईयां दे रहे हैं. स्टेशन अधीक्षक मुन्ना कुमार ने कहा कि सुबेध मेहतर रेलवे के सफाई कर्मी हैं. वो अपनी ड्यूटी के साथ-साथ अपने बच्चों के प्रति भी काफी सजग हैं, इसी का नतीजा है कि इनकी बेटी दरोगा के साथ-साथ बीपीएससी में भी सफल हुई है.

नारी सशक्तिकरण के इस दौर में बेटियां अब बेटों से काफी आगे निकल गई हैं. एक महादलित परिवार की सफाईकर्मी की बेटी पुष्पा ने जिस तरह से सीमित संसाधनों के बावजूद सफलता अर्जित की है वो वैसे लोगों के लिये प्रेरणा का स्त्रोत है जो आज भी बेटी को घर की दहलीज से बाहर नहीं जाने देते.

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