गुर्जरों को तीसरी बार मिला पांच फीसदी आरक्षण का झुनझुना

राजस्थान विधानसभा में 5 फीसदी गुर्जर आरक्षण का बिल तीसरी बार पास हो गया है. पिछड़ा वर्ग आरक्षण बिल 2019 को बुधवार ही विधानसभा में पेश किया गया और आज ही पारित कर दिया गया. इस बिल में कहा गया है कि गुर्जरों को 5 फीसदी आरक्षण दिया जाता है. इसके साथ ही यह भी गुर्जरों से अपील की गई कि वह रेलवे ट्रैक और हाईवे छोड़ कर उठ जाएं. उनकी मांग राजस्थान विधानसभा में विधायक के रूप में पारित की जा चुकी है.

हालांकि अभी फैसला नहीं हुआ है कि गुर्जर इस बात पर राजी होकर रेलवे ट्रैक और हाईवे से उठ जाएंगे, क्योंकि पहली बार मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत ने 2015 में गुर्जरों को 5 फीसदी आरक्षण दिया था, जिस पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी. उसके बाद वसुंधरा सरकार आई तो 2017 में गुर्जरों को आरक्षण दिया गया. उस पर भी राजस्थान हाई कोर्ट ने रोक लगा दी. राजस्थान सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई है और वहां पर सुनवाई चल रही है.

इस बीच 2018 में कांग्रेस की सरकार फिर से आ गई और गुर्जर फिर से आरक्षण की मांग को लेकर पटरी पर बैठ गए. अशोक गहलोत ने समाधान का वही तरीका निकाला और एक बार फिर से 2019 में गुर्जरों को आरक्षण देने का विधानसभा में पारित करवा दिया. राजस्थान विधानसभा में गुर्जरों का आरक्षण विधेयक पारित तो होता है, लेकिन हर बार अटक जाता है. कोर्ट का कहना है कि आरक्षण की कुल सीमा 50 से ज्यादा नहीं हो सकती है, लिहाजा गुर्जरों को आरक्षण नहीं दिया जा सकता है.

राजस्थान में पहले से एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण को मिलाकर 49 फीसदी है. बचा हुआ एक फीसदी आरक्षण गुर्जरों को दिया जा रहा है. तीसरी बार पारित होने से गुर्जरों को आरक्षण का लाभ मिल पाएगा. इस पर बीजेपी ने आशंका जताते हुए कहा कि विधानसभा में सब राजी तो थे, लेकिन इससे कुछ हो नहीं पाएगा.

प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि पिछले कई सालों से होता आ रहा है, लेकिन जब तक संविधान संशोधन नहीं होगा, तब तक गुर्जरों को आरक्षण नहीं मिल सकता है. इसका जवाब देते हुए राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा कि बीजेपी केंद्र की मोदी सरकार से संविधान संशोधन करवाएं. जिस तरह से गरीबों को भी आरक्षण देने के लिए संविधान संशोधन कराया गया है. उसी तरह से गुर्जरों को आरक्षण देने के लिए केंद्र में संविधान संशोधन करवाएं.

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