पंजाब में सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है पवित्र ग्रंथ का अपमान

The biggest election issue in Punjab is the insult of sacred texts

News Agency : पंजाब के बरगारी गांव के लोग अभी भी अक्टूबर 2015 के उस दिन को भूल नहीं सके हैं, जब पवित्र गुरुग्रंथ के अपमान का मामला सामने आया था। इस घटना के बाद बड़े पैमाने पर हुए बवाल के बाद two युवकों की मौत हो गई थी। विरोधी भले ही कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के ‘हुआ तो हुआ’ बयान को भुनाने की कोशिश में लगे हों, लेकिन पवित्र ग्रंथ के अपमान का मुद्दा चुनाव में कहीं ज्यादा हावी है।

फरीदकोट लोकसभा में आने वाला बरगारी गांव बठिंडा से ज्यादा दूर नहीं है। यह क्षेत्र शिरोमणि अकाली दल का मजबूत गढ़ माना जाता है। घटना के समय राज्य में अकालियों की ही सरकार थी, जिन्हें अभी तक उस घटना के बाद पनपी हिंसा और दो युवकों की मौत की कीमत चुकानी पड़ रही है। कांग्रेस सरकार, अकालियों के प्रति जनता के इस गुस्से को भुनाने की पूरी कोशिश में है।

पंजाब की सभी thirteen लोकसभा सीटों के लिए रविवार को सातवें और अंतिम चरण में मतदान होना है. जनता के बीच गुरुद्वारे के प्रभाव वाले पंजाब के दोआब, माझा, मालवा क्षेत्रों में लोगों के अंदर शिरोमणि अकाली दल के प्रति अभी भी नाराजगी है। इसकी वजह बादल फैमिली का परिवारवाद और ड्रग्स से लड़ने में सरकार की नाकामी है। हालांकि स्थितियां कांग्रेस के लिए भी इतनी आसान नहीं है, लेकिन सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की कुछ नीतियों और वादों का असर होता देख अभी उन्हें और भी मौका दिए जाने के पक्षधर हैं। बीजेपी पंजाब में three सीटों पर लड़ रही है, बाकी पर गठबंधन की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार हैं। पंजाब में मोदी फैक्टर गायब नजर आता है। बीजेपी के चुनावी पोस्टरों में भी स्थानीय नेताओं की मौजूदगी रहती है और मुद्दे भी स्थानीय होते हैं।

सीमावर्ती राज्य होने के बावदूद यहां राष्ट्रवाद का खास रोल नहीं नजर आ रहा है। गुरदासपुर और होशियारपुर के कुछ हिस्सों को छोड़ दें तो ‘पाकिस्तान कार्ड’ का खास महत्व नहीं है। स्थानीय लोग भी पीएम मोदी सरकार से संतुष्ट नजर नहीं आते हैं। उनके अनुसार उन्हें बालाकोट स्ट्राइक से ज्यादा मतलब बच्चों की बेहतर स्कूली पढ़ाई से है। प्रधानमंत्री किसान योजना की पहली किश्त मिलने से किसान संतुष्ट तो हैं, लेकिन रोजगार और जीएसटी-नोटबंदी की वजह से बिजनस पर पड़ी मार से नाराजगी भी है। बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक से युवाओं तथा अपर मिडिल क्लास में उत्साह तो है, लेकिन सीमावर्ती गांवों में यह फैक्टर ज्यादा मायने नहीं रखता है।

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