लोस चुनाव 2019 : बक्सर में किसका रहेगा असर?

आलोक कौशिक, 19 मई को लोकसभा चुनाव के सातवें व अंतिम चरण के तहत बिहार की आठ लोकसभा सीटों पर मतदान होने हैं। इससे पहले छह चरणों में राज्य की thirty two सीटों पर चुनाव हो चुके हैं। सातवें चरण में नालंदा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, सासाराम, काराकाट, जहानाबाद लोकसभा सीट पर मतदान होने हैं।

बक्‍सर लोकसभा के अंतर्गत छह विधान सभाएं हैं-बक्सर सदर, ब्रह्मपुर, डुमरांव, राजपुर, रामगढ़ और दिनारा। बक्सर बिहार के forty लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। यह गंगा नदी के तट पर स्थित एक ऐतिहासिक शहर है। प्राचीन काल में इसका नाम ‘व्याघ्रसर’ था। सुप्रसिद्ध बक्सर की लड़ाई शुजाउद्दौला और कासिम अली खां की और अंग्रेज मेजर मुनरो की सेनाओं के बीच यहीं 1764 में लड़ी गई थी। कार्तिक पूर्णिमा पर यहां बड़ा मेला लगता है।

यह क्षेत्र भगवान राम के प्रारंभिक जीवन से भी जुड़ा माना जाता है। यहां गुरु विश्वामित्र के आश्रम में राम और लक्ष्मण की शुरुआती पढ़ाई हुई थी। राक्षसी ताड़का का वध राम ने यहीं किया था। यहां बिहारी का प्रमुख मंदिर भी है। यह क्षेत्र प्रदेश की राजधानी पटना से करीब 118 किलोमीटर दूर है, जबकि राष्‍ट्रीय राजधानी नई दिल्‍ली से इस क्षेत्र की दूरी 958 किलोमीटर है। पूर्वांचल के रास्ते बिहार का द्वार कहा जाने वाला गंगा किनारे बसा बक्सर संसदीय क्षेत्र कभी किसी एक दल का गढ़ नहीं रहा। यहां के मतदाताओं ने कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा पर भरोसा जताया।

वामपंथियों और राष्ट्रीय जनता दल को भी यहां से प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। 2014 के चुनाव में भाजपा के अश्विनी कुमार चौबे राजद के जगदानंद सिंह को हराकर सांसद बने। बक्सर की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक पहचान है। पुराणों में इसे महर्षि विश्वामित्र की धरती कहा गया है। यह क्षेत्र मुख्य रूप से कृषि आधारित है। रामायणकालीन ताड़का वध के साथ ही इतिहास में बक्सर की ख्याति हुमायूं और शेरशाह के बीच चौसा में हुए युद्ध और अंग्रेजों एवं शुजाउद्दौला, मीर कासिम और शाह आलम के बीच कतकौली में हुई लड़ाई के लिए भी है।

समृद्ध ऐतिहासिक विरासत को संजोए इसी बक्सर में लोकसभा चुनाव – 2019 का महासमर एक बार फिर दो ‘बाबाओं’ के बीच है। एनडीए से भाजपा प्रत्याशी और केन्द्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे हैं। उनको लोग चौबे बाबा के नाम से भी जानते हैं। वहीं, लालू -राबड़ी सरकार में मंत्री रहे जगदानंद सिंह महागठबंधन से राजद प्रत्याशी हैं। एक समय जब सूबे में बिजली की स्थिति ठीक नहीं थी, अपने विधानसभा क्षेत्र को रोशन करने के लिए लोग इनको बिजुरिया बाबा पुकारते थे।

गत लोस चुनाव में चौबे ने जगदानंद को शिकस्त दी थी। दोनों योद्धाओं पर उनके दलों ने दूसरी बार बाजी लगाई है। कड़ा मुकाबला है। इस लोकसभा क्षेत्र के भी वोटर मुखर हैं और चौक-चौराहों पर चर्चा में राष्ट्र, मोदी हैं। विकास, पुलवामा, जीएसटी और नोटबंदी तक के मुद्दे उठ रहे हैं। युद्ध के पुराने इतिहास वाले बक्सर में बड़ी संख्या में युवा फौज में हैं। इस नाते क्षेत्र में देशभक्ति भी बड़ा मुद्दा है। इसका जवाब सेना के नाम पर राजनीति, नोटबंदी और जीएसटी से देश की अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान एवं बेरोजगारी पर बहस से दी जा रही है। दूसरी ओर जातीय गोलबंदी भी अंदरखाने चल रही है।

ब्राह्मण बहुल इस लोकसभा क्षेत्र में यादव दूसरे नम्बर पर हैं। इसके बाद राजपूत व भूमिहार हैं। दोनों खेमों से अपने-अपने पक्ष में गोलबंदी जारी है। सहज उपलब्धता और काम के मामले में जनता दोनों को बराबर ही मानती है। दोनों को लेकर स्थानीय और बाहरी का मुद्दा भी मुखर हो रहा है। बक्सर सीट पर जातीय समीकरण देखें तो ब्राह्मण: four लाख, यादव: 3.5 लाख, राजपूत: three लाख, भूमिहार: 2.5 लाख, मुसलमान: 1.5 लाख, कुशवाहा: eighty हजार, कुर्मी: sixty हजार, वैश्य: one लाख, दलित: two लाख व अन्य जातियों की संख्या sixty हजार है।

पिछले पांच साल में संसदीय क्षेत्र में कई बड़ी परियोजनाओं पर काम हुआ है। वर्षों से लटके बक्सर-पटना फोरलेन और गंगा नदी पर बक्सर और बलिया के बीच नए पुल पर निर्माण कार्य शुरू हुआ। चौसा पॉवर प्लांट को नीति आयोग से सहमति मिली। बिजली की स्थिति अच्छी हुई और ग्रामीण सड़कों पर काफी काम हुआ। सिंचाई की समस्या, धान क्रय में विफलता, शिक्षा में बदहाली, और रेल ओवरब्रिज के न बनने से जाम की समस्या यहां के प्रमुख मुद्दे हैं।

कुल मतदाता : 1806004 पुरुष मतदाता : 953853 महिला मतदाता : 852125 थर्ड जेंडर : twenty six नए जुड़े मतदाता : 37158

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