कैसे धूल चटाई जगनमोहन रेड्डी ने चंद्रबाबू को

कैसे धूल चटाई जगनमोहन रेड्डी ने चंद्रबाबू को

News Agency : 2009 में वो कडप्पा लोकसभा क्षेत्र से सांसद बने. अगर उनके पिता जीवित होते तो जगन भी कांग्रेस में होते. पिता के असामयिक निधन के बाद जगन को कांग्रेस में मन मुताबिक़ तवज्जो नहीं मिली और उन्होंने कांग्रेस से अलग राह चुन ली.राजनीति में दस्तक के कुछ ही महीनों बाद जगनमोहन ने अपने पिता को खो दिया. इसके बाद कांग्रेस पार्टी के साथ उनका टकराव, वित्तीय मामलों में फँसने के बाद sixteen महीनों की जेल उनके इर्द-गिर्द घूमती रहीं. हालांकि जगनमोहन ने राजनीतिक रूप से कभी सरेंडर नहीं किया.कडप्पा ज़िले के पुलिवेंदुला में twenty one दिसंबर 1972 को जगनमोहन का जन्म हुआ. पुलिवेंदुला में कुछ समय पढ़ने के बाद वह हैदराबाद पब्लिक स्कूल पढ़ाई के लिए चले गए. उन्होंने कॉमर्स से स्नातक किया है. उनकी छोटी बहन शर्मिला भी राजनीति में हैं. जगनमोहन प्रोटेस्टेंट ईसाई हैं.2009 में 15वीं लोकसभा से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाले जगनमोहन का परिवार लंबे समय से राजनीति से जुड़ा रहा है.पहली बार वह कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में संसद पहुंचे. उनके पिता राजशेखर रेड्डी की असामयिक मृत्यु के बाद उनके पिता के कई चाहने वालों ने आत्महत्या कर ली थी.उस समय जगन ने सोचा कि आत्महत्या करने वाले लोगों के घरों में जाकर उन्हें सांत्वना दी जानी चाहिए. इसको लेकर उन्होंने एक सांत्वना यात्रा शुरू की. हालांकि, कांग्रेस के हाई कमान ने उन्हें इस यात्रा को समाप्त करने के निर्देश दिए लेकिन जगन ने इसकी परवाह किए बिना यात्रा जारी रखी.उन्होंने कहा कि यह उनका व्यक्तिगत मामला था और इसके बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी को ख़ुद से अलग कर लिया.29 नवंबर 2010 को उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया. सात दिसंबर 2010 को उन्होंने घोषणा की कि वह forty five दिनों में अपनी नई राजनीतिक पार्टी का गठन करेंगे.पूर्वी गोदावरी में मार्च 2011 में उन्होंने घोषणा की कि उनकी पार्टी का नाम वाईएसआर कांग्रेस होगा. वाईएसआर का मतलब वाईएस राजशेखर रेड्डी से नहीं था. इसका मतलब युवजन श्रमिक रायतू कांग्रेस पार्टी है.इसके बाद उन्होंने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी से कडप्पा चुनाव क्षेत्र से चुनाव लड़ा और उन्होंने five,45,043 वोट पाकर बड़ी जीत दर्ज की.

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