लालू परिवार का चलेगा इमोशनल कार्ड? या जीतेगें रुडी

लोकनायक जय प्रकाश नारायण की जन्मभूमि सारण सीट बिहार की सबसे हाई प्रोफाइल संसदीय सीट मानी जाती है. 2008 के परिसीमन से पहले इसका नाम छपरा था. छपरा शहर सारण जिले का मुख्यालय भी है. ये सीट राजपूतों और यादव समुदाय का गढ़ माना जाता है. चुनावी लड़ाई में इसका असर भी देखने को मिलता है. यादव-मुस्लिम वोटों के समीकरण से यहां से लालू यादव 4 बार सांसद रह चुके हैं. लालू यादव ने अपनी संसदीय पारी की शुरुआत 1977 में यहीं से की थी. उनकी पत्नी राबड़ी देवी भी यहां से चुनाव लड़ चुकी हैं.

यहां के वर्तमान सांसद हैं बीजेपी के युवा नेता राजीव प्रताप रुडी. जो कि 3 बार सांसद रहे हैं. रुडी अटल सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं. 2014 में जीतने के बाद वे मोदी सरकार में भी मंत्री बनाए गए थे. हालांकि, मंत्रिमंडल के फेरबदल में उनसे मंत्री पद वापस ले लिया गया. वे बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं.

लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जन्म सारण के सिताब दियारा में हुआ था. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा राय भी सारण के ही रहने वाले थे. दरोगा राय के बेटे चंद्रिका राय परसा विधानसभा सीट से विधायक हैं. उनकी बेटी ऐश्वर्या राय की शादी लालू यादव के बेटे तेजप्रताप से हुई.

गंगा, गंडक एवं घाघरा नदी से घिरा सारण जिला भारत में मानव बसाव के सार्वाधिक प्राचीन केंद्रों में एक है. यह समतल एवं उपजाऊ इलाका है. भोजपुरी यहां की भाषा है. सोनपुर मेला, चिरांद पुरातत्व स्थल यहां की पहचान हैं. मढौरा का चीनी मील और मर्टन मील बिहार के पुराने उद्योगों के प्रतीक थे. रेल चक्का कारखाना, डीजल रेल इंजन लोकोमोटिव कारखाना, सारण इंजीनियरिंग, रेल कोच फैक्ट्री भी यहां है. हालांकि शिक्षा और रोजगार के लिए बड़े शहरों की ओर पलायन यहां की आम समस्या है.

2008 के परिसीमन से पहले सारण लोकसभा सीट छपरा के नाम से जानी जाती था. इस सीट से 1957 के चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के राजेंद्र सिंह चुनाव जीते थे. 1962, 1967 और 1971 में कांग्रेस के राजशेखर प्रसाद सिंह यहां से चुनाव जीते थे. 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर लालू यादव यहां से सांसद बनकर दिल्ली पहुंचे. 1980 में जनता पार्टी के सत्यदेव सिंह और 1984 में कांग्रेस के योगेश्वर प्रसाद योगेश तथा 1985 में जनता पार्टी के राम बहादुर सिंह सांसद बने.

1989 में जनता दल के टिकट पर लालू यादव छपरा से लोकसभा चुनाव दोबारा जीते. 1991 में जनता दल के लाल बाबू राय यहां से सांसद बने. 1996 के चुनाव में बीजेपी ने राजीव प्रताप रुडी को मौका दिया. रुडी चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. इसके बाद 1998 में आरजेडी के हीरालाल राय जीते. 1999 के अटल लहर में रुडी जीतकर फिर संसद पहुंचे.

लेकिन 2004 में लालू यादव ने छपरा सीट से चुनाव लड़ा और रुडी को मात दी. 2008 में सारण नाम से इस सीट का परिसीमन हुआ. 2009 के चुनाव में भी लालू यादव यहां से जीते. चारा घोटाले में सजा हो जाने के बाद लालू के चुनाव लड़ने पर रोक लग गई और 2014 में राबड़ी देवी इस सीट से उतरीं. मोदी लहर में आरजेडी के सारे समीकरण फेल हो गए और चुनाव जीतकर फिर राजीव प्रताप रुडी संसद पहुंच गए.

सारण लोकसभा क्षेत्र में वोटरों की कुल तादाद 1,268,338  है. इसमें से 580,605 महिला मतदाता हैं जबकि 687,733 पुरुष मतदाता हैं.

सारण संसदीय सीट के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं- मढौरा, छपरा, गरखा, अमनौर, परसा और सोनपुर. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इनमें से 4 सीटें आरजेडी ने और 2 सीटें बीजेपी ने जीती. बाहुबली प्रभुनाथ सिंह के जेडीयू छोड़ आरजेडी में जाने का फायदा यहां की सीटों पर आरजेडी को हुआ. छपरा विधानसभा सीट से प्रभुनाथ सिंह के बेटे रंधीर सिंह मैदान में थे हालांकि बीजेपी उम्मीदवार डॉ. सीएन गुप्ता के हाथों उनकी हार हुई.

2014 में सारण सीट से बीजेपी के उम्मीदवार राजीव प्रताप रुडी जीते थे. रुडी ने लालू यादव की पत्नी और बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी को हराया. चारा घोटाले में सजा होने के बाद लालू यादव की सदस्यता छिन जाने के बाद राबड़ी देवी सारण से चुनाव मैदान में उतरी थीं लेकिन मोदी लहर में जीत बीजेपी के हाथ लगी. राजीव प्रताप रुडी को 3,55,120 वोट मिले थे. जबकि राबड़ी देवी को 3,14,172  वोट. जेडीयू के सलीम परवेज 1,07,008  वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे.

इससे पहले 2009 के चुनाव में सारण सीट से आरजेडी चीफ लालू यादव जीते थे. लालू यादव को 2,74,209 वोट मिले थे जबकि राजीव प्रताप रुडी को 2,22,394  वोट. सलीम परवेज तब भी तीसरे नंबर रहे थे लेकिन उस समय वे बसपा के टिकट पर उतरे थे. उन्हें 45,027 वोट मिले थे.

वर्तमान सांसद राजीव प्रताप रुडी ने 1985 में पंजाब विश्वविद्यालय से कानून में डिग्री और 1987 में मगध विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर किया. चुनावी दंगल में उतरने से पहले वे पटना के ए. एन. कॉलेज में लेक्चरर थे. वे लाइसेंसधारक पायलट भी हैं. 1990 में महज 26 साल की उम्र में वे विधायक बने. उनकी गिनती सबसे कम उम्र के विधायकों में की जाती है. रुडी पहली बार 1996 में सांसद बने. दोबारा 1999 में चुने गए. तीसरी बार 2014 में वे चुनाव जीतने में कामयाब रहे.

राजीव प्रताप रुडी ने 16वीं लोकसभा के दौरान 192 बहसों में हिस्सा लिया. 3 प्राइवेट मेंबर बिल वे लेकर आए. विभिन्न मुद्दों से जुड़े 65 सवाल उन्होंने सदन के पटल पर पूछे. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में रुडी उड्डयन मंत्री जबकि मोदी मंत्रिमंडल में स्किल डेवलपमेंट मंत्री बनाए गए. वे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं.

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